सूरज के बारे में नासा एक और रहस्य सुलझाना चाहती है। एजेंसी जानना चाहती है कि पृथ्वी के चारों तरफ जो सौर हवा का चैंबर बनता है, जिसे हीलियोस्फीयर कहते हैं, यह कैसे बनता है। हम इसी चैंबर में रहते हैं। कोरोना और सोलर वाइंड का इससे क्या संबंध है। नासा सूरज के पास अपना PUNCH मिशन भेजने वाली है। यह मिशन 27 फरवरी को लॉन्च होगा।
चीन पिछले कुछ साल से एक ‘कृत्रिम सूर्य’ के साथ प्रयोग कर रहा है। इसका मकसद भविष्य में क्लीन एनर्जी हासिल करना है। रिपोर्टों के अनुसार, चीन के बनाए एक्सपेरीमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग टोकामाक (EAST) फ्यूजन एनर्जी रिएक्टर ने 1 हजार सेकंड तक अपने प्लाज्मा को बनाए रखा और उसका तापमान 10 करोड़ डिग्री पर पहुंच गया।
200 साल पहले धरती पर एक बड़ी घटना हुई थी जिसने सूरज का रंग नीला कर दिया था। नई स्टडी में इसके बारे में बताया गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि 1831 में एक भयंकर ज्वालामुखी विस्फोट धरती पर हुआ था जिसके फटने की वजह से पृथ्वी के वातावरण में भारी मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड का गुबार छा गया था। इससे विश्व का तापमान गिर गया था।
NASA का पार्कर सोलर प्रॉब (Parker Solar Probe) सूरज के सबसे करीब पहुंचने में कामयाबी हासिल कर चुका है, और इसने सूर्य के इतने करीब जाकर पहली बार अपना डेटा भेजा है। नासा ने गुरूवार यानी 2 जनवरी को इसके बारे में अपडेट जारी करते हुए जानकारी दी। पार्कर सोलर प्रॉब के सभी सिस्टम और साइंस उपकरण सही हैं और नॉर्मल तरीके से अपना काम कर रहे हैं।
नासा (Nasa) के पार्कर सोलर प्रोब ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर सूर्य (Sun) के बेहद नजदीक से उड़ान भरी थी। वह एक ऐतिहासिक पल था। हालांकि वैज्ञानिकों को अबतक यह मालूम नहीं है कि पार्कर सोलर प्रोब ‘जिंदा’ है या फिर सूर्य की गर्मी से ‘राख’ हो गया। रिपोर्टों के अनुसार, इसमें कुछ दिनों का टाइम लग सकता है। वैज्ञानिक इंतजार कर रहे हैं कि पार्कर सोलर प्रोब का उनसे संपर्क हो पाए और वह संकेत भेजे कि सबकुछ ठीक है।
NASA इस क्रिसमस पर इतिहास रचेगी जब इसका Parker Solar Probe सूरज के सबसे नजदीक पहुंचेगा। ऐसा पहली बार होगा जब कोई मानव निर्मित स्पेस क्राफ्ट सूर्य के इतने करीब पहुंचेगा। यह सूरज से महज 60 लाख 10 हजार किलोमीटर की दूरी पर होगा। इसकी स्पीड 6 लाख 90 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। यह अपने ही पुराने रिकॉर्ड को भी तोड़ देगा। कुछ चौंकाने वाले खुलासे यहां से हो सकते हैं।
अगर आप बृहस्पति ग्रह को आसमान में अपनी आंखों से देखना चाहते हैं तो 7 दिसंबर को यह मौका आने वाला है जब सूर्य पृथ्वी और बृहस्पति एक ही लाइन में मौजूद होंगे। इससे बृहस्पति ग्रह आसमान में आसनी से पहचाना जा सकेगा। यह एक दुर्लभ स्थिति होगी जब सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह को देखा जा सकेगा।
इस सप्ताह की शुरुआत में एक पावरफुल विस्फोट के बाद सूर्य ने फिर से शक्तिशाली सोलर फ्लेयर को रिलीज किया है। यह 7 साल में सूर्य से निकला सबसे ताकतवर फ्लेयर है। विस्फोटों के कारण पृथ्वी पर एक कोरोनल मास इजेक्शन (CME) आ रहा है, जिसकी वजह से आसमान में ऑरोरा नजर आ सकते हैं। लेटेस्ट सोलर फ्लेयर एक्स-क्लास कैटिगरी का था। गुरुवार को सनस्पॉट AR3842 से यह रिलीज हुआ। इसे X9 तीव्रता का आंका गया है।
Solar Flare Blast : 23 जुलाई को यूरोप के सोलर ऑर्बिटर (SolO) स्पेसक्राफ्ट ने सूर्य में एक विस्फोट का पता लगाया। यह इस साेलर साइकल का सबसे पावरफुल फ्लेयर था।
Aditya L1 Mission : लैग्रेंज पॉइंट 1 की दूरी पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य की तरफ है। यही वह जगह है जहां तैनात रहकर आदित्य एल-1, सूर्य में होने वाली गतिविधियों को ट्रैक कर रहा है।
Solar Storm Alert : नासा ने एक और सौर तूफान की चेतावनी जारी की है। इसकी वजह से पृथ्वी पर फिर से ऑरोरा दिखाई दे सकते हैं व रेडियो ब्लैकआउट्स हो सकते हैं।