आसमान में चमकता हमारा तारा यानी सूरज अपने अंदर बहुत से रहस्य छुपाए हुए है। इसका बाहरी वातावरण जिसे कोरोना कहते हैं, अपने आप में एक रहस्य है। कहा जाता है कि सूरज का कोरोना इसकी सतह से ज्यादा गर्म है। वैज्ञानिक इस बात को आज तक समझ नहीं पाए हैं। इसी के साथ एक और रहस्य वैज्ञानिकों को परेशान कर रहा है। सूरज की सतह से ऊर्जा के कणों की एक हवा चलती है जिसे सोलर वाइंड या सौर हवा कह देते हैं। जब यह सतह से बाहर की तरफ चलती है तो इसकी गति बढ़ती चली जाती है। ऐसा क्यों होता है, यह भी एक रहस्य है।
सूरज के बारे में
नासा इसी तरह का एक और रहस्य सुलझाना चाहती है। एजेंसी जानना चाहती है कि पृथ्वी के चारों तरफ जो सौर हवा का चैंबर बनता है, जिसे हीलियोस्फीयर कहते हैं, यह कैसे बनता है। हम इसी चैंबर में रहते हैं। कोरोना और सोलर वाइंड का इससे क्या संबंध है। इन सभी सवालों के जवाब तलाशने के लिए नासा सूरज के लिए अपना
PUNCH मिशन भेजने वाली है। यह मिशन 27 फरवरी को लॉन्च होगा।
PUNCH मिशन अपनी तरह का पहला मिशन है जो हीलियोफिजिक्स के दो मुख्य क्षेत्रों- सोलर फिजिक्स और सोलर वाइंड फिजिक्स को एकसाथ लाने के लिए डिजाइन किया गया है। PUNCH का मतलब Polarimeter to Unify the Corona and Heliosphere से है। यह 4 छोटे सैटेलाइट्स से मिलकर बना है। ये सैटेलाइट पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंच कर भीतरी हीलियोस्फीयर का एक 3D ऑब्जर्वेशन तैयार करेंगे।
हीलियोस्फीयर उस क्षेत्र को कहते हैं जो सूरज के चारों तरफ एक बुलबुले के रूप में मौजूद होता है। दरअसल यह क्षेत्र पूरे सौरमंडल को ही घेरे हुए है। सूर्य से निकलने वाले सौर हवा के कण जब आगे बढ़ते हैं और अंतरतारकीय माध्यम में दबाव डालते हैं तो हीलियोस्फीयर बनता है। यह सौर वायु के प्रभुत्व वाले अंतरिक्ष के हिस्से और शेष ब्रह्मांड के बीच एक दीवार पैदा कर देता है। जिससे हमारा सौरमंडल बाकी अंतरिक्ष से अलग होकर एक सौर हवा के एक चैम्बर से घिरा रहता है।
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