सोने के दाम | बैंगलोर में सोने के दाम | चेन्नई में सोने के दाम | दिल्ली में सोने के दाम | हैदराबाद में सोने के दाम | मुम्बई में सोने के दाम |
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22 कैरेट | ₹71,210 | ₹71,210 | ₹71,310 | ₹71,160 | ₹71,160 |
24 कैरेट | ₹77,680 | ₹77,680 | ₹77,780 | ₹77,630 | ₹77,630 |
अगर आप सोने में इनवेस्ट करने के बारे में सोच रहे हैं या अपने लिए सोने की ज्वैलरी खरीदना चाहते हैं, तो आपको खरीदारी से पहले आपकी जरूरत वाली सभी महत्वपूर्ण जानकारी यहां मिल सकती है। देश में 24 कैरेट और 22 कैरेट सोने के लेटेस्ट प्राइसेज देखें और एक समझदारी वाला फैसला करने के लिए इनकी तुलना करें। देश में आज सोने का दाम 24 कैरेट के लिए 75,870 रुपये और 22 कैरेट के लिए 69,500 रुपये है। सभी दामों को आज अपडेट किया गया है और ये इंडस्ट्री के स्टैंडर्ड के अनुसार हैं।
ग्राम | 24कै सोने के दाम | डेली प्राइस चेंज |
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1 ग्राम
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₹ 7,587 | ₹ 0 |
8 ग्राम
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₹ 60,696 | ₹ 0 |
10 ग्राम
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₹ 75,870 | ₹ 0 |
100 ग्राम
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₹ 7,58,700 | ₹ 0 |
ग्राम | 22कै सोने के दाम | डेली प्राइस चेंज |
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1 ग्राम
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₹ 6,950 | ₹ 0 |
8 ग्राम
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₹ 55,600 | ₹ 0 |
10 ग्राम
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₹ 69,500 | ₹ 0 |
100 ग्राम
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₹ 6,95,000 | ₹ 0 |
तिथि | 24 कैरेट | 22 कैरेट | % चेंज |
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20 नवंबर 2024
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₹ 75,870 | ₹ 69,500 | 0% |
19 नवंबर 2024
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₹ 75,870 | ₹ 69,500 | +1.43% |
18 नवंबर 2024
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₹ 74,810 | ₹ 68,520 | +1.45% |
17 नवंबर 2024
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₹ 73,740 | ₹ 67,540 | 0% |
16 नवंबर 2024
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₹ 73,740 | ₹ 67,540 | 0% |
15 नवंबर 2024
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₹ 73,740 | ₹ 67,540 | 0% |
14 नवंबर 2024
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₹ 73,740 | ₹ 67,540 | -2.03% |
13 नवंबर 2024
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₹ 75,260 | ₹ 68,940 | +0.48% |
12 नवंबर 2024
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₹ 74,900 | ₹ 68,610 | -2.51% |
11 नवंबर 2024
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₹ 76,840 | ₹ 70,380 | -0.71% |
10 नवंबर 2024
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₹ 77,380 | ₹ 70,880 | 0% |
9 नवंबर 2024
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₹ 77,380 | ₹ 70,880 | 0% |
8 नवंबर 2024
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₹ 77,380 | ₹ 70,880 | +0.78% |
7 नवंबर 2024
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₹ 76,780 | ₹ 70,330 | -1.73% |
6 नवंबर 2024
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₹ 78,140 | ₹ 71,570 | 0% |
शहर |
24 कैरेट सोने के दाम (10 ग्राम) |
22 कैरेट सोने के दाम (10 ग्राम) |
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₹ 77,680 | ₹ 71,210 | |
₹ 77,680 | ₹ 71,210 | |
₹ 77,680 | ₹ 71,210 | |
₹ 77,680 | ₹ 71,210 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,680 | ₹ 71,210 | |
₹ 77,680 | ₹ 71,210 | |
₹ 77,780 | ₹ 71,310 | |
₹ 77,680 | ₹ 71,210 | |
₹ 77,680 | ₹ 71,210 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,680 | ₹ 71,210 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,680 | ₹ 71,210 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,680 | ₹ 71,210 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 | |
₹ 77,680 | ₹ 71,210 | |
₹ 77,680 | ₹ 71,210 | |
₹ 77,630 | ₹ 71,160 |
24 कैरेट सोने को सबसे शुद्ध माना जाता है। शुद्ध सोना या 24 कैरेट सोना 99.9 प्रतिशत शुद्धता का संकेत है और इसमें किसी अन्य मेटल को नहीं मिलाया जाता। 24 कैरेट सोने का इस्तेमाल सोने के सिक्के और बार को बनाने में किया जाता है। सोने के लिए अन्य विभिन्न शुद्धताएँ भी होती हैं और इन्हें 24 कैरेट की तुलना में मापा जाता है।
22 कैरेट सोना ज्वैलरी मेकिंग के लिए बेहतर होता है। यह 22 पार्ट्स सोने और दो पार्ट्स सिल्वर, निकेल या कोई अन्य मेटल होता है। अन्य मेटल्स की मिक्सिंग से सोना अधिक कड़ा होता है और ज्वैलरी के लिए उपयुक्त रहता है। 22 कैरेट सोना 91.67 प्रतिशत शुद्धता का संकेत है।
24 कैरेट सोना | 22 कैरेट सोना |
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24 कैरेट सोना का सबसे शुद्ध सोना होता है और इसमें 99.5 प्रतिशत प्रेशियस मेटल रहता है। | 22 कैरेट सोने में शुद्ध सोने का 91.6 प्रतिशत पार्ट और बाकी सिल्वर, कॉपर या अन्य मेटल होता है। |
24 कैरेट सोना काफी नर्म, लचीला और मोड़ा जा सकने वाला होता है। | 22 कैरेट सोना सख्त होता है और इसे आसानी से मोल्ड नहीं किया जा सकता। |
24 कैरेट सोने का इस्तेमाल कंप्यूटर्स, मोबाइल हैंडसेट सहित मेडिकल और इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट में अधिक होता है। | 22 कैरेट सोने का दाम सोने का कम प्रतिशत होने के कारण कुछ सस्ता होता है। |
24 कैरेट सोना सबसे महंगा सोने का प्रकार होता है। | 22 कैरेट सोने का इस्तेमाल ज्वैलरी, बार, बुलियन और कॉइन बनाने में किया जाता है। |
24 कैरेट सोने का रंग ब्राइट येलो होता है। | 22 कैरेट सोने का रंग कुछ फीका होता है क्योंकि इसमें अन्य मेटल्स मिलाए जाते हैं। |
सोने के दाम डिमांड, लगाए जाने वाले इंटरेस्ट, ऑक्ट्रॉय चार्ज, राज्यों के टैक्स, सोना व्यापारियों, बुलियन एसोसिएशंस, ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट और मेकिंग चार्ज सहित विभिन्न कारणों से प्रत्येक शहर में अलग हो सकते हैं।
सोने की भारत सहित दुनिया भर में इनवेस्टमेंट के लिए काफी डिमांड है। अन्य फाइनेंशियल एसेट्स की तरह, सोने के दाम में भी बदलाव होता है। इसका मार्केट प्राइस तय करने में सबसे बड़ा कारण डिमांड है। हालांकि, बहुत से अन्य कारणों से भी प्राइस पर प्रभाव पड़ सकता है। इन कारणों के बारे में यहां जानकारी दी जा रही है।
किसी अन्य कमोडिटी की तरह, डिमांड और सप्लाई का सोने के दाम पर बड़ा प्रभाव होता है। कम सप्लाई और अधिक डिमांड होने पर प्राइस में बढ़ोतरी होती है। इसी तरह सोने की अधिक सप्लाई और स्थिर या कमजोर डिमांड से प्राइस गिर सकता है। आमतौर पर, भारत में सोने की डिमांड त्योहार और विवाह के सीजंस में बढ़ जाती है।
इन्फ्लेशन अधिक होने पर करेंसी की वैल्यू घट जाती है ऐसी स्थिति में, लोग धन को सोने में रखना पसंद कर सकते हैं। इससे सोने के दाम में बढ़ोतरी होती है। सोना एक प्रकार से इनफ्लेशन के खिलाफ हेज का काम करता है।
सोने और इंटरेस्ट रेट्स का विपरीत जुड़ाव होता है। इंटरेस्ट रेट्स के बढ़ने पर लोग अधिक इंटरेस्ट हासिल करने के लिए सोने को बेचना पसंद करते हैं। इसी तरह, इंटरेस्ट रेट्स गिरने पर अधिक सोना खरीदा जा सकता है, जिससे डिमांड बढ़ती है। प्राइस गिर सकता है। आमतौर पर, भारत में सोने की डिमांड त्योहार और विवाह के सीजंस में बढ़ जाती है।
भारत में सोने की डिमांड का बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों से आता है। यह डिमांड आमतौर पर अच्छे मॉनसून और बंपर फसल से मिलने वाले फायदे के बाद बढ़ जाती है।
बहुत सी सरकारों के पास फाइनेंशियल रिजर्व होते हैं जिनमें सोने की बड़ी हिस्सेदारी रखी जाती है। भारत में भी ऐसी ही स्थिति है। हालांकि, अगर यह रिजर्व सरकार की ओर से बेचे गए सोने की तुलना में बढ़ जाता है तो सोने के दाम में कम सप्लाई के कारण बढ़ोतरी होती है। भारत में इस रिजर्व को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बरकरार रखता है।
इंटरनेशनल मार्केट में सोने का ट्रेड डॉलर में होता है। इम्पोर्ट के दौरान, डॉलर को भारतीय रुपये में कन्वर्ट किया जाता है। इससे सोने के दाम में बदलाव होता है। आमतौर पर, अगर भारतीय रुपया कमजोर होता है तो सोने का आयात महंगा हो जाता है।
सोने का सभी प्रमुख एसेट्स के साथ कम या नकारात्मक जुड़ाव होता है। इस वजह से पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइ करने के लिए इसे बेहतर माना जाता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सोने से पोर्टफोलियो को वोलैटिलिटी से सुरक्षा मिलती है क्योंकि अन्य एसेट्स पर प्रभाव डालने वाले कारणों का सोने के दाम पर अधिक प्रभाव नही होता।
युद्ध जैसे भू-राजनीतिक कारणों से सोने की डिमांड बढ़ जाती है क्योंकि इसे फंड रखने के लिए सुरक्षित माना जाता है। ऐसी स्थिति होने पर अधिकतर एसेट्स के प्राइसेज पर नकारात्मक प्रभाव बोता है। हालांकि, सोने के दाम के लिए यह स्थिति सकारात्मक होती है।
ऑक्ट्रॉय चार्ज और एंट्री टैक्स राज्यों में टैक्स अथॉरिटीज अपने अधिकार क्षेत्र में गुड्स के आने पर लगाती हैं। ऑक्ट्रॉय एक शहर में गुड्स के पहुंचने पर लगता है, जबकि एंट्री टैक्स एक राज्य में गुड्स के पहुंचने पर लगाया जाता है। इसके अलावा अगर सोने की वैल्यू 30 लाख रुपये से अधिक है तो वेल्थ टैक्स लगाया जाता है।।
मेकिंग चार्ज आमतौर पर सोने की ज्वैलरी पर लगता है और यह डिजाइन और शहर के साथ ही प्रत्येक ज्वैलर के लिए अलग हो सकता है।
इनवेस्टर्स की लिस्ट में सोना सदियों से टॉप पर रहा है। यह भारत में इनवेस्टमेंट के सबसे लोकप्रिय एसेट्स में से एक है और इसे वित्तीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण जरिया माना जाता है।
इसके वित्तीय पक्ष के अलावा, यह कीमती मेटल बहुत सी संस्कृतियों में एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है, जिससे इसकी मार्केट वैल्यू बढ़ती है।
मार्केट्स में डिजिटल सोना भी खरीदा जा सकता है लेकिन इसके बावजूद फिजिकल सोने का आकर्षक बरकरार है।
हालांकि, सोने में इनवेस्ट करना जटिल हो सकता है और इसके लिए कई कारणों पर ध्यान देने की जरूरत होती है। आपकी सोने की अगली खरीद में मदद के लिए यहां एक विस्तृत गाइड दी जा रही है।
सोने की शुद्धता
सोना खरीदने से पहले इसकी शुद्धता पर ध्यान देना जरूरी है, जिसे कैरेट में बताया जाता है और इसमें 24 कैरेट सबसे शुद्ध होता है। 24K सोना एक लचीले और लिक्विड प्रकार में होता है और मजबूत बनाने के लिए इसमें अन्य मेटल्स मिलाने की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए, 22k सोने में सोने के 22 पार्ट्स का एक मिक्स होता है, इसका मतलब है 91.6 प्रतिशत और अन्य मेटल के 2 पार्ट्स होते हैं। शुद्धता जितनी अधिक होगी, सोना उतना ही महंगा हो जाएगा।
सोने के प्रकार
फिजिकल सोने को सिक्के, बार और ज्वैलरी में खरीदा जा सकता है।
सोने के सिक्के:
कलेक्ट किए जाने वाले कुछ सोने के सिक्कों की मार्केट वैल्यू सोने के अन्य प्रकारों से अधिक होती है। हालांकि, इस खरीदारी से पहले ऑथेंटिसिटी की जांच करने में सतर्कता बरतनी चाहिए।
सोने के बार:
इनवेस्टमेंट क्वालिटी के बुलियन या सोने के बार का शुद्धता लेवल 99.5%-99.99% का होता है। आप यह जानकारी बार पर भार और मैन्युफैक्चरर के नाम के साथ देख सकते हैं।
सोने की ज्वैलरी:
यह सोने का सबसे लोकप्रिय प्रकार है और इसका सांस्कृतिक महत्व भी है। हालांकि, इसे पिघलाने के बाद की वैल्यू आमतौर पर वास्तविक प्राइस से कम होती है।
वास्तविक गोल्ड सर्टिफिकेशन
भारत में सोने की शुद्धता को ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड की ओर से हॉलमार्किंग के जरिए सर्टिफाइड किया जाता है। हॉलमार्क सोना खरीदने से इसकी शुद्धता के साथ ही वैध होने का भी आश्वासन रहता है।
सोने की प्रति ग्राम कीमत
मार्केट की मौजूदा स्थिति के आधार पर सोने के दाम में बदलाव होता रहता है। विश्वश्नीयता वाली वेबसाइट्स से सोने के दाम को नियमित तौर पर देखना चाहिए।
सोने के दाम में बढ़ोतरी या गिरावट का हमेशा सटीक अनुमान लगाना संभव नहीं है। इसके अनुमानित दाम के लिए आप ज्वैलर्स से संपर्क कर सकते हैं। अगर आप सटीक प्राइसेज को पक्का करना चाहते हैं तो ज्वैलरी में प्रेशियस स्टोन्स को जड़वाने से पहले दाम का अलग से वजन करवाएं।
बायबैक की शर्तें
सोने की ज्वैलरी के किसी पीस को प्रोड्यूस और डिजाइन करने की कॉस्ट को मेकिंग चार्ज कहा जाता है। इसे ज्वैलरी की फाइनल कॉस्ट में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लगाने से पहले जोड़ा जाता है।
कुछ ज्वैलर्स का मेकिंग चार्ज फिक्स्ड होता है, जो आमतौर पर 8-16 प्रतिशत रहता है। अन्य ज्वैलर्स यह चार्ज ज्वैलरी के कुल भार के एक विशेष प्रतिशत पर ले सकते हैं। यह चार्ज डिजाइन और ज्वैलरी के मशीन से हाथ से बने होने के आधार पर अलग होता है।
फिजिकल सोना, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स गोल्ड में इनवेस्टमेंट के कुछ विकल्प हैं।
फिजिकल सोना | गोल्ड ETF | सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स | |
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स्टोरेज | फिजिकल सोने को आप सिक्के, बार और ज्वैलरी के तौर पर स्टोर कर सकते हैं। इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी इनवेस्टर की होती है। | गोल्ड ETF एक इलेक्ट्रॉनिक प्रकार होता है और इसकी स्टोरेज की जरूरत या इसके चोरी होने का रिस्क नहीं होता। | इनके लिए फिजिकल स्टोरेज की जरूरत नहीं होती और इन्हें सुरक्षित तरीके से ट्रेड किया जा सकता है। |
इंटरेस्ट | सोने की ज्वैलरी पर कोई इंटरेस्ट नहीं मिलता और इसे बहुत से लोग सुरक्षित लेकिन बिना रिटर्न वाला इनवेस्टमेंट मानते हैं | गोल्ड ETF पर भी कोई इंटरेस्ट नहीं मिलता लेकिन इनवेस्टमेंट पर रिटर्न अलग हो सकता है। | सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स पर इंटरेस्ट मिलता है। |
टैक्स | सोने की वैल्यू 30 लाख रुपये से अधिक होने पर वेल्थ टैक्स लगाया जाता है। | गोल्ड ETF पर नॉन-इक्विटी फंड्स के समान टैक्स लगता है। शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म गेन्स पर टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स चुकाना होता है। | सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स को मैच्योरिटी से पहले बेचने पर टैक्स लगता है। अगर इन बॉन्ड्स को मैच्योरिटी तक रखा जाता है तो कैपिटल गेन्स पर कोई टैक्स नहीं है। इस पर मिलने वाले इंटरेस्ट के लिए टैक्स देना होता है। |
विभिन्न यूनिट्स में सोने की वैल्यू का पता लगाने के लिए निम्नलिखित टेबल को देखें। सोने को अक्सर ग्राम, किलोग्राम, ट्रॉय औंस, भाट और टन में मापा जाता है।
इस यूनिट से कन्वर्ट | करने के लिए | इससे गुणा करें |
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ट्रॉय औंस | ग्राम | 31.1035 |
ट्रॉय औंस | ग्रेन्स | 480 |
किलोग्राम | ट्रॉय औंस | 32.1507 |
ग्राम | ट्रॉय औंस | 0.032151 |
किलोग्राम | तोला | 85.755 |
किलोग्राम | भाट | 68.41 |
इन्फ्लेशन के खिलाफ सोने को सबसे सुरक्षित फाइनेंशियल टूल्स में से एक माना जाता है और दुनिया भर में इसकी ट्रेडिंग कॉइन, बुलियन, बार, ज्वैलरी, एक्सचेंजों, म्यूचु्अल फंड्स, माइनिंग स्टॉक्स, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF), फ्यूचर एंड ऑप्शंस और डिजिटल सोने के तौर पर होती है।
सोने की शुद्धता 'कैरेट्स' की स्टैंडर्ड यूनिट में मापी जाती है और इसमें 24 कैरेट सबसे शुद्ध सोना होता है। हालांकि, यह सोना लिक्विड प्रकार में होता है और इसे ज्वैलरी, कॉइन या बार में मोल्ड नहीं किया जा सकता। इसे एक 'अलॉय' बनाने के लिए सिल्वर और निकेल जैसे अन्य मेटल्स के साथ मिक्स किया जाता है। उदाहरण के लिए, 22 कैरेट सोने में सोने के 22 पार्ट्स का मिक्स होता है, 91.6% और अन्य मेटल अलॉय के दो पार्ट्स। सोने की शुद्धता जितनी अधिक होती है, सोना उतना ही महंगा होता है।
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) की ओर से प्रेशियस मेटल्स की हॉलमार्किंग से सोने की शुद्धता की गारंटी मिलती है। यह खरीदार के साथ ही विक्रेता को क्वालिटी का आश्वासन देती है। देश की स्टैंडर्ड्स संस्था BIS के पास सोने के साथ ही सिल्वर ज्वैलरी के लिए स्टैंडर्डाइज्ड हॉलमार्क सिस्टम है। इस सिस्टम या BIS हॉलमार्किंग को इंटरनेशनल क्राइटेरिया के साथ जोड़ा गया है। हॉलमार्किंग का मुख्य उद्देश्य खरीदारी को मिलावट से सुरक्षित करना और मैन्युफैक्चरर्स को फाइननेस के कानूनी मापदंडों को बरकरार रखने के लिए जवाबदेह बनाना है। सोने की असेइंग सेंटर्स पर जांच की जा ती है।
हॉलमार्किंग वाले सोने पर लेजर से ये डिटेल्स लिखी जाती हैं:
हॉलमार्क से शुद्धता की गारंटी मिलती है। जब आप हॉलमार्क या BIS वेरिफाइड सोना खरीदते हैं, तो आपसे केवल सोने के प्रतिशत की कीमत ली जाती है। उदाहरण के लिए, अगर आप 22 कैरेट सोना खरीते हैं, तो आपसे 22K सोने के मौजूदा दाम के अनुसार की कीमत ली जाएगी।
यह 22 कैरेट सोने का एक अन्य नाम है। इसका इस्तेमाल फाइनल प्रोडक्ट में सोने की शुद्धता को बताने के लिए होता है, जैसे अलॉय के प्रत्येक 100 ग्राम के लिए, इसमें 91.6 ग्राम शुद्ध सोना होता है। 916 सोना ज्वैलरी मेकिंग के लिए बेहतर होता है और इसे BIS की ओर से भी वेरिफाइड किया जाता है। इसी तरह, 958 सोना 23 कैरेट होता है और 750 सोना 18 कैरेट।
KDM गोल्ड 92 प्रतिशत सोना और 8 प्रतिशत कैडमियम का एक अलॉय है। इसे अधिक शुद्धता वाला सोना माना जाता है लेकिन यह BIS की ओर से वेरिफाइड नहीं होता। इसका कारण कैडमियम से कारीगरों को होने वाली स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हैं।
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