चंद्रमा अनुमान से हो सकता है 4 करोड़ वर्ष पुराना, स्टडी में मिली जानकारी

यह खोज एटम प्रोम टोमोग्राफी कहे जाने वाले एक नए तरीके से की गई है। इसमें क्रिस्टल्स से एटम्स को निकालने के लिए एक लेजर का इस्तेमाल किया जाता है

चंद्रमा अनुमान से हो सकता है 4 करोड़ वर्ष पुराना, स्टडी में मिली जानकारी

अपोलो चंद्रयान के एस्ट्रोनॉट चंद्रमा से क्रिस्टल्स को 1970 के दशक में धरती पर लाए थे

ख़ास बातें
  • फील्ड म्यूजियम और यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के रिसर्चर्स ने यह स्टडी की है
  • यह खोज एटम प्रोम टोमोग्राफी कहे जाने वाले एक नए तरीके से की गई है
  • यह स्टडी Geochemical Perspectives Letters जर्नल में प्रकाशित हुई है
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चंद्रमा पिछले अनुमान से 40 करोड़ वर्ष पुराना हो सकता है। चंद्रमा से लाए गए क्रिस्टल्स के एनालिसिस से यह पता चला है। अपोलो चंद्रयान के एस्ट्रोनॉट इसे 1970 के दशक में धरती पर लाए थे। इन क्रिस्टल्स का पहले भी एनालिसिस किया जा चुका है। इसके सबसे पुराने क्रिस्टल की आयु 4.46 अरब वर्ष होना का पता चला है। इससे पिछले अनुमान में इसके 4.52 अरब वर्ष पुराना होने की जानकारी मिली थी। 

फील्ड म्यूजियम और यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के रिसर्चर्स की ओर से की गई यह स्टडी Geochemical Perspectives Letters जर्नल में प्रकाशित हुई है। यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो की प्रोफेसर और इस स्टडी की प्रमुख लेखक, Jennika Greer ने कहा, "यह हैरान करने वाला है कि हमारे पास अभी तक का चंद्रमा का सबसे पुराना क्रिस्टल है। यह धरती के बारे में एक महत्वपूर्ण प्वाइंट है। जब आपको यह पता होता है कि कोई चीज कितनी पुरानी है, तो आपको इसकी बेहतर समझ मिल सकती है इसके इतिहास में क्या हुआ है।" यह खोज एटम प्रोम टोमोग्राफी कहे जाने वाले एक नए तरीके से की गई है। इसमें क्रिस्टल्स से एटम्स को निकालने के लिए एक लेजर का इस्तेमाल किया जाता है। एटम-दर-एटम के एनालिसिस से रिसर्चर्स को यह गिनने में आसानी होती है कि चंद्रमा के क्रिस्टल्स में कितने एटम्स को रेडियोएक्टिव नुकसान हुआ है। 

वैज्ञानिकों का कहना है कि अधिक सटीक आयु से उन्हें चंद्रमा के साथ ही धरती के उद्भव और इतिहास के बारे में अधिक जानकारी मिल सकती है। इस वर्ष मार्च में धरती के निकट एक नए एस्ट्रॉयड की खोज की है। इसे एक 'क्वासी मून' या 'क्वासी सैटेलाइट' माना जाता रहा है। यह सूर्य का धरती के समान अवधि में ही चक्कर लगाता है। इसे FW13 कहा गया है। सूर्य का चक्कर लगाने के साथ यह धरती का भी चक्कर लगाता है। 

Live Science की रिपोर्ट में बताया गया था कि इस चंद्रमा का व्यास 3,474 किलोमीटर का है और यह धरती का चक्कर लगाने के दौरान अपने निकटतम बिंदु पर 36,400 किलोमीटर दूर होता है। इसे मार्च में Pan-STARRS ऑब्जरवेटरी ने खोजा था। इसके बाद इसकी मौजूदगी की पुष्टि अमेरिका के हवाई में मौजूद टेलीस्कोप और एरिजोना में दो ऑब्जरवेटरी ने की थी। इसके बाद नए प्लैनेट और अन्य खगोलीय चीजों को नामांकित करने वाले इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के माइनर प्लैनेट सेंटर ने इसे आधिकारिक लिस्ट में शामिल किया है।  
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आकाश आनंद

Gadgets 360 में आकाश आनंद डिप्टी न्यूज एडिटर हैं। उनके पास प्रमुख ...और भी

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