नासा ने एस्टरॉयड के जो सैम्पल इकट्ठा किए हैं उनमें न केवल जीवन की नींव रखने वाले तत्व हैं बल्कि कुछ ऐसे नमकीन अवशेष भी हैं जो किसी पुराने गीले जगत का प्रमाण देते हैं। यानि सौरमंडल में कोई और भी ऐसा ग्रह है जहां पर कभी पानी रहा होगा। नतीजे पुख्ता प्रमाण दे रहे हैं कि एस्टरॉयड ही वे खगोलीय पिंड हैं जिन्होंने धरती पर जीवन के बीज बोए होंगे।
सूरज के बारे में नासा एक और रहस्य सुलझाना चाहती है। एजेंसी जानना चाहती है कि पृथ्वी के चारों तरफ जो सौर हवा का चैंबर बनता है, जिसे हीलियोस्फीयर कहते हैं, यह कैसे बनता है। हम इसी चैंबर में रहते हैं। कोरोना और सोलर वाइंड का इससे क्या संबंध है। नासा सूरज के पास अपना PUNCH मिशन भेजने वाली है। यह मिशन 27 फरवरी को लॉन्च होगा।
नासा चांद पर अपना महत्वाकांक्षी मिशन भेजने की तैयारी कर रही है। इस मिशन का नाम Artemis मिशन है जिसमें नासा का साथ 9 और कंपनियां देंगी। नासा के Artemis मिशन में 9 कंपनियां शामिल होंगी जो एजेंसी की मदद इस मिशन के सफल होने में करेंगी। नासा ने इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए 24 मिलियन डॉलर खर्च करने की योजना बनाई है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने हाल ही में पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की टेल में लगभग 165,000 किमी दूर एक कोरस तरंग का पता लगाया है। यह पहले के अंदाजे से कहीं अधिक दूर है। अब तक, ये तरंगें पृथ्वी के केवल 51,000 किलोमीटर के भीतर ही देखी गई थीं, जहां मैग्नेटिक फील्ड अधिक संरचित है। रिसर्चर्स का मानना था कि टेल में फैला हुई मैग्नेटिक फील्ड ऐसी तरंगों को बनने की अनुमति नहीं देगा, लेकिन यह नई खोज इसके परे कुछ अलग ही साबित करती है।
देश के स्पेस एक्सप्लोरेशन के प्रयासों में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा से सैम्पल वापस धरती पर लाना होगा। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में पांच अलग कंपोनेंट्स को ले जाने के लिए LVM-3 रॉकेट के कम से कम दो लॉन्च की जरूरत होगी। यह चंद्रमा से सैम्पल लाने की देश की पहली कोशिश होगी। इससे स्पेस रिसर्च में भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताएं बढ़ेंगी।
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने ब्लैक होल के बारे में पता लगाया। इसकी मदद से वैज्ञानिक जान पाए कि ये इतने विशाल आकार में फैले हैं। लेकिन इतनी जल्दी कैसे? इसके पीछे ब्रह्मांड का एक और तत्व काम कर रहा है जिसे डार्क मैटर (Dark Matter) कहते हैं। स्टडी बताती है कि सुपरमैसिव ब्लैक होल ब्रह्मांड की शुरुआत में ही इतनी तेजी से और इतने बड़े कैसे बन गए।
Elon Musk ने मंगल पर एक खोजी अभियान भेजकर जांच करने की बात कही है। दरअसल नासा के मार्स ग्लोबल सर्वेयर (MGS) के मार्स ऑर्बिटर कैमरा (MOC) ने मंगल पर एक फोटो खींची थी जिसमें एक सटीक चौकोर आकृति दिखाई दे रही है। यह एक सटीक वर्ग जैसा दिखता है। Musk ने कहा है कि इसके बारे में सीधे जाकर खोज करनी चाहिए कि आखिर इस स्क्येअर शेप का रहस्य क्या है।
एलन मस्क की कंपनी SpaceX स्पेसक्राफ्ट Lunar Trailblazer को लॉन्च करने की तैयारी कर रही है जो चांद पर जाकर पानी की तलाश करेगा। यह चांद की सतह पर विचरण करने के लिए डिजाइन किया गया खास स्पेसक्राफ्ट है। स्पेसएक्स इसे 26 फरवरी को लॉन्च करेगी। स्पेसक्राफ्ट को NASA के Kennedy Space Center से लॉन्च किया जाएगा। चांद पर जीवन की संभावनाओं को तलाशने में यह स्पेसक्राफ्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
NASA के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने एक खतरनाक एस्टरॉयड का पता लगाया है। इसका नाम एस्टरॉयड 2024 YR4 है। यह एस्टरॉयड 2032 में धरती से टकरा सकता है। इसके टकराने की संभावना है 83 में से 1 की बताई गई है जो कि चिंताजनक बात है। यह एस्टरॉयड साइज में 130 फीट से लेकर 300 फीट तक बड़ा हो सकता है। अगर यह धरती से टकराता है तो यहां बड़ी तबाही ला सकता है।
नोएडा के 14 वर्षीय स्कूली छात्र दक्ष मलिक ने NASA के प्रोग्राम के माध्यम से एक एस्टरॉयड की खोज की है। अब वह इसका नाम रखने की तैयारी में है। मलिक ने अपनी प्रारंभिक खोज को पिछले साल सब्मिट करवाया था। नासा ने अधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि कर दी है। इस एस्टरॉयड को 2023 OG40 के रूप में पहचाना गया है।
ISRO का 100वां मिशन बुधवार को लॉन्च किया जाएगा। आंध्र प्रदेश के Sriharikota के स्पेसपोर्ट से नेविगेशन सैटेलाइट एक GSLV ने रॉकेट से लॉन्च होगा। यह हाल ही में कार्यभार संभालने वाले ISRO के चेयरमैन, V Narayanan का यह पहला मिशन भी है। स्वदेशी क्रायोजेनिक अपर स्टेज के साथ जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) अपनी 17वीं फ्लाइट में नेविगेशन सैटेलाइट NVS-02 को 29 जनवरी को सुबह 6.23 पर ले जाएगा।
यूपी के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 में रोजाना लाखों की संख्या में लोग संगम पर स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। इस नजारे को ना सिर्फ पृथ्वी से बल्कि अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। नासा के अंतरिक्ष यात्री डॉन पेटिट ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से इस आयोजन की तस्वीरें ली हैं। ISS हमारी धरती से 400 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में है।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के एक एस्ट्रोनॉट ने महाकुंभ की हैरतअंगेज पिक्चर्स ली हैं। इनमें गंगा नदी के रोशनी से सजे किनारे दिख रहे हैं। महाकुंभ की ये पिक्चर्स इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से एस्ट्रोनॉट Don Pettit ने कैप्चर की हैं। इन पिक्चर्स को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर शेयर किया गया है। इनमें रोशनी से चमकते गंगा के किनारों पर बड़ी संख्या में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की कतार दिख रही है।
एक बार फिर से एयरोप्लेन जितना बड़ा एस्टरॉयड पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। इसका नाम है- 2025 AY2। नाम से पता चल जाता है कि एस्टरॉयड को इसी साल खोजा गया है। नासा के अनुसार, यह 220 फीट बड़ा है और 83 हजार 788 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। अनुमान है कि आज यह धरती के करीब से गुजरेगा। तब दोनों के बीच दूरी 67 लाख 90 हजार किलोमीटर रह जाएगी।
अंतरिक्ष में तैनात दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप- जेम्स वेब (James Webb Space Telescope) हर रोज हमारे ब्रह्मांड को कैप्चर कर रहा है। नासा के टेलीस्कोप ने अब अंतरतारकीय (interstellar) धूल और गैस की ज्यादा डिटेल इमेज ली हैं, जिससे वैज्ञानिकों ने इंटरस्टेलर धूल और गैस की 3डी संरचना बनाई है। रिपोर्ट के अनुसार, करीब 350 साल पहले एक तारे के खत्म होने से यह रोशनी, गैस और धूल निकली जो अबतक काफी लंबा सफर तय कर चुकी है।