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  • भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला पहुंचे स्पेस स्टेशन, Dragon स्पेसक्राफ्ट की हुई डॉकिंग
    Axiom-4 मिशन के क्रू के सदस्य ISS पर कई एक्सपेरिमेंट्स करेंगे। इनमें से सात एक्सपेरिमेंट्स की अगुवाई शुक्ला करेंगे। इस मिशन में 31 देशों की भागीदारी है इस मिशन को सुरक्षा के साथ ISS पर पहुंचाने के लिए NASA और अमेरिकी स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपर Axiom Space ने कड़ी तैयारी की थी। इन एस्ट्रोनॉट्स के साथ शून्य ग्रेविटी के उनके संकेतक के तौर पर Joy कहे जाने वाले एक स्वैन टॉय को भी भेजा गया है।
  • Axiom-4 मिशन कल ISS पर पहुंचेगा, भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला हैं मिशन के पायलट
    Axiom-4 मिशन को धरती से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर मौजूद ISS पर डॉकिंग करने में लगभग 29 घंटे लगेंगे। Falcon 9 रॉकेट पर स्थित SpaceX का Dragon स्पेसक्राफ्ट शुरुआत में ISS से नीचे के एक ऑर्बिट में पहुंचेगा। ISS के साथ डॉकिंग (जुड़ना) के लिए इस स्पेसक्राफ्ट को अपने रास्ते और ऊंचाई में बदलाव करने होंगे। यह प्रक्रिया आसान नहीं है क्योंकि ISS लगभग 28,000 km/h की रफ्तार से चक्कर लगा रहा है।
  • टेक्नोलॉजी की दुनिया से आपके लिए आज की 5 महत्वपूर्ण खबरें
    अमेरिकी स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपर Axiom Space ने बताया है कि पिछले 40 वर्षों से अधिक में यह पहली बार है कि जब अमेरिका की सरकार ने भारत, पोलैंड या हंगरी के एस्ट्रोनॉट्स वाली एक स्पेसफ्लाइट के लिए स्वीकृति दी है। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री Rakesh Sharma ने 1984 में अंतरिक्ष में पहुंचकर इतिहास बनाया था।
  • शुभांशु शुक्ला ने भरी स्पेस में उड़ान, Ax-4 मिशन में पायलट; 40 साल बाद कोई भारतीय पहुंचा ISS
    आज, 25 जून की सुबह Axiom Space के "Ax‑4" मिशन ने फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से अपने चारों अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना किया, जिसमें ISRO के ग्रुप कप्तान शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) भी शामिल हैं। इस मिशन के जरिए वह राकेश शर्मा (1984) के बाद भारत के दूसरे और ISS पर भेजे गए पहले अंतरिक्ष यात्री बनेंगे।
  • Axiom स्पेस मिशन के कल लॉन्च की तैयारी, भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला क्रू में शामिल
    NASA, Axiom Space औ बिलिनेयर Elon Musk की SpaceX ने इस मिशन के लिए 25 जून को बुधवार 12.01 PM (भारतीय समयानुसार) पर लॉन्च का टारगेट रखा है। अमेरिका में कैलिफोर्निया के Kennedy Space Centre से SpaceX का Falcon 9 रॉकेट इस मिशन के स्पेसक्राफ्ट Dragon के साथ उड़ान भरेगा। यह Dragon स्पेसक्राफ्ट की पहली और Falcon 9 रॉकेट की दूसरी उड़ान होगी।
  • भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला का स्पेस मिशन फिर टला, लॉन्च की नई तिथि का इंतजार
    Axiom-4 मिशन के जरिए ISS पर भारतीय एस्ट्रोनॉट, Shubhanshu Shukla के साथ अमेरिका की Peggy Whitson, पोलैंड के Slawosz Uznanski Wisniewski और हंगरी के Tibor Kapu को जाना है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA, Axiom Space और SpaceX की ओर से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर ऑपरेशनल और सेफ्टी से जुड़ी आशंकाओं को दूर किया जा रहा है।
  • भारत के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला को स्पेस में ले जाने वाला Axiom-4 मिशन 22 जून तक टला
    बिलिनेयर Elon Musk की रॉकेट कंपनी SpaceX ने बताया कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA और Axiom ने मिशन के लिए 22 जून के लॉन्च की तिथि तय की है। इस मिशन के टलने से NASA को ISS के Zvezda सर्विस मॉड्यूल के अंदर ऑपरेशंस की समीक्षा करने में सहायता मिलेगी। अमेरिका में कैलिफोर्निया के Kennedy Space Centre से SpaceX का Falcon 9 रॉकेट इस मिशन के स्पेसक्राफ्ट Dragon के साथ उड़ान भरेगा।
  • भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला को ISS पर ले जाने वाले Axiom-4 मिशन का 19 जून को लॉन्च
    Axiom Mission 4 को 12 जून को एक लीक की वजह से टाल दिया गया था। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA, Axiom Space और बिलिनेयर Elon Musk की SpaceX ने इस मिशन के लॉन्च के लिए 19 जून को तय किया है। NASA ने बताया है कि Falcon 9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सिजन लीक की रिपेयर की गई है। इसके बाद SpaceX ने इसकी टेस्टिंग भी की है। अमेरिका में Kennedy Space Centre से इस रॉकेट को लॉन्च किया जाएगा।
  • धरती के लिए कभी खतरा बने एस्ट्रॉइड की चंद्रमा से टकराने की आशंका
    पिछले वर्ष इस एस्ट्रॉइड के धरती पर असर डालने की आशंका बनी थी। इस एस्ट्रॉइड को 2024 YR4 कहा जा रहा है। इसका व्यास लगभग 53-67 मीटर का है। इसका साइज 10 मंजिल की एक बिल्डिंग के समान है। पिछले वर्ष के अंत में इसका पता लगाया गया था। इसे Apollo प्रकार के एस्ट्रॉइड के तौर पर वर्गीकृत किया गया है। धरती से इस एस्ट्रॉइड को नहीं देखा जा सकता है क्योंकि टेलीस्कोप से इसे देखने के लिए इसकी दूरी बहुत अधिक है।
  • भारतीय एस्ट्रोनॉट Shubhanshu Shukla का Axiom-4 मिशन 19 जून को होगा लॉन्च
    बिलिनेयर Elon Musk की रॉकेट कंपनी SpaceX की एक टीम ने यह पुष्टि की है कि इस Axiom-4 मिशन को टालने के पीछे की समस्या का समाधान किया गया है। इस स्पेस मिशन को 29 मई को लॉन्च किया जाना था। हालांकि, इसके बाद इसे 8 जून, 10 जून और 11 जून को टाला गया था। SpaceX ने बताया था कि Falcon-9 रॉकेट में एक लिक्विड ऑक्सिजन लीक की वजह से 11 जून को इस मिशन का लॉन्च टाला गया था।
  • सोलर तूफानों से Elon Musk की Starlink के सैटेलाइट्स आसमान से गिर रहे
    अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के Goddard Space Flight Centre में स्पेस फिजिसिस्ट, Denny Oliveira ने पिछले कुछ वर्षों में धरती पर वापस गिरे स्टारलिंक के 523 सैटेलाइट्स पर एक स्टडी की अगुवाई की है। इस स्टडी में पता चला है कि सूर्य में विस्फोटों से बनने वाले जियोमैग्नेटिक तूफानों से वातावरण में खिंचाव बढ़ता है और इससे सैटेलाइट्स ऑर्बिट से गिरकर तेजी से वातावरण में दोबारा एंट्री करते हैं।
  • भारतीय एस्ट्रोनॉट Shubhanshu Shukla की स्पेसफ्लाइट का लॉन्च टला, Falcon बूस्टर में लीकेज
    इस मिशन को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर भेजा जाना है। इस मिशन में देश के शुभांशु शुक्ला के अलावा अमेरिका की Peggy Whitson, पोलैंड के Slawosz Uznanski Wisniewski और हंगरी के Tibor Kapu शामिल हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन, V Narayanan ने बताया कि टेस्ट के दौरान प्रोपल्शन बे में एक LOx लीक मिलने के कारण इस स्पेसफ्लाइट को टाला गया है।
  • James Webb टेलीस्कोप की बड़ी खोज, यंग स्टार सिस्टम में मिला जमा हुआ पानी
    Science Alert में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, यह स्टार सिस्टम केवल 2.3 करोड़ वर्ष पुराना है, जो लगभग 4.6 अरब वर्ष पुराने सोलर सिस्टम की तुलना में काफी युवा है। यह स्टार सिस्टम अभी अपने शुरुआती दौर में है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के James Webb Telescope ने जमे हुए पानी के साथ ही पारदर्शी पानी वाली बर्फ को भी खोजा है।
  • ट्रंप ने दी मस्क की कंपनियों को मिले सरकारी कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने की चेतावनी
    टेस्ला और SpaceX को अमेरिकी सरकार से कॉन्ट्रैक्ट्स या सब्सिडी के जरिए अरबों डॉलर मिलते हैं। दुनिया के सबसे अधिक वैल्यू वाले स्टार्टअप्स में शामिल SpaceX को अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA और डिफेंस डिपार्टमेंट से 22 अरब डॉलर से अधिक के कॉन्ट्रैक्ट मिले हैं। चुनाव के दौरान मस्क ने ट्रंप की काफी मदद की थी। अमेरिका की सरकार में मस्क को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी दी गई थी।
  • 1 लाख से ज्यादा पहाड़ दबे हैं समुद्र में! NASA का नया खुलासा
    वैज्ञानिकों ने समुद्र के तल का हाई रिजॉल्यूशन मैप तैयार किया है जो दिखाता है कि समुद्र के नीचे हजारों-लाखों चट्टानें मौजूद हैं। और हैरानी की बात यह है कि ये वे चट्टानें जो अब से पहले कभी रिकॉर्ड में नहीं आईं। अब सैटेलाइट मैपिंग की मदद से इन्हें पहचान पाना बहुत आसान हो गया है। समुद्र के नीचे मौजूद पर्वतों की संख्या अब 44 हजार से बढ़कर 1 लाख हो गई है।

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