अमेरिकी इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) मेकर Tesla के मौजूदा वर्ष की पहली तिमाही में प्रॉफिट और रेवेन्यू में भारी कमी हुई है। पहली तिमाही में कंपनी का प्रॉफिट वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 55 प्रतिशत कम होकर लगभग 1.1 अरब डॉलर और रेवेन्यू नौ प्रतिशत घटकर लगभग 21.3 अरब डॉलर का रहा।
पिछले कई महीनों से
टेस्ला को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी सेल्स में कमी हो रही है। इसने अपनी वर्कफोर्स को भी घटाने का फैसला किया है। कंपनी के इनवेस्टर्स को उम्मीद है कि अगले वर्ष यह एक अफोर्डेबल इलेक्ट्रिक कार लॉन्च करेगी। इससे कंपनी की सेल्स में बढ़ोतरी हो सकती है। हाल ही में कंपनी ने अमेरिका में अपने कुछ मॉडल्स के प्राइसेज को 2,000 डॉलर तक घटाया था। पहली तिमाही में टेस्ला की डिलीवरी लगभग 8.5 प्रतिशत घटी है।
पिछले सप्ताह टेस्ला के चीफ एग्जिक्यूटिव, Elon Musk ने भारत का अपना विजिट टाल दिया था। इस विजिट में उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ भी मीटिंग होनी थी। भारत में बिजनेस शुरू करने की घोषणा के लिए मस्क का 21 अप्रैल को आने का कार्यक्रम था। बिलिनेयर मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में बताया था, "टेस्ला में काम का अधिक बोझ होने के कारण भारत का विजिट टालना पड़ रहा है लेकिन मैं मौजूदा वर्ष में इस विजिट का इंतजार कर रहा हूं।" टेस्ला के अलावा मस्क अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस उपलब्ध कराने वाली कंपनी Starlink के लिए भी देश में बिजनेस शुरू करने की अनुमति मांग रहे हैं। इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया था कि केंद्र सरकार ने स्टारलिंक को इस वर्ष की तीसरी तिमाही तक यह अनुमति मिलने का आश्वासन दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी और मस्क की पिछले वर्ष जून में अमेरिका के न्यूयॉर्क में मीटिंग हुई थी। टेस्ला ने देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर इम्पोर्ट टैक्स लगाने के लिए लॉबीइंग की थी। पिछले महीने केंद्र सरकार ने नई EV पॉलिसी की घोषणा की थी जिसमें किसी ऑटोमोबाइल कंपनी के कम से कम 50 करोड़ डॉलर का इनवेस्टमेंट करने पर कुछ मॉडल्स पर इम्पोर्ट टैक्स को 100 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत किया गया है। हालांकि, देश की ऑटोमोबाइल कंपनियां इस छूट का कड़ा विरोध कर रही थी। हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में एक्सपोर्ट के लिए टेस्ला ने जर्मनी के अपने प्लांट में राइट-हैंड ड्राइव कारों की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की है।
कंपनी अपनी फैक्टरी के लिए गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों पर फोकस करेगी जहां पहले से ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की मौजूदगी है।