बड़ी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों में शामिल Ola Electric के लिए मुश्किलें बढ़ रही हैं। ट्रेड सर्टिफिकेट्स को लेकर गड़बड़ी के कारण महाराष्ट्र में कंपनी के स्टोर्स की राज्य सरकार स्क्रूटनी कर रही है। ओला इलेक्ट्रिक के राज्य में 146 स्टोर्स का इंस्पेक्शन किया गया था। इनमें से लगभग 121 स्टोर्स बिना ट्रेड सर्टिफिकेट के चलाए जा रहे थे। इन स्टोर्स में से 75 को राज्य सरकार की ओर से बंद किया गया है।
NDTV Profit ने महाराष्ट्र के ज्वाइंट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के हवाले से ओला इलेक्ट्रिक के ट्रेड सर्टिफिकेट से जुड़े मुद्दे पर बताया है, "ऐसे स्टोर के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए और वास्तविक ट्रेड सर्टिफिकेट को रद्द करना चाहिए।" हालांकि, इस बारे में ओला इलेक्ट्रिक के प्रतिनिधि ने कहा था, "महाराष्ट्र में हमारे स्टोर्स को लेकर आपके दावे गलत और भ्रामक हैं। हम किन्हीं प्रश्नों या आशंकाओं का समाधान करने के लिए महाराष्ट्र में संबंधित अथॉरिटीज के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं।"
इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने
ओला इलेक्ट्रिक को राज्य में उसके कुछ स्टोर्स के लिए ट्रेड सर्टिफिकेट नहीं होने पर नोटिस दिया था। कंपनी के महाराष्ट्र में कई स्टोर्स पर मार्च में ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ने छापे मारे थे। इस नोटिस में कहा गया था, "यह पाया गया है कि आपकी कंपनी अनधिकृत शोरूम और स्टोर्स के साथ ऑपरेट कर रही है और गैर कानूनी तरीके से व्हीकल्स की बिक्री की जी रही है। यह बहुत गंभीर मामला है। आपसे इसे लेकर एक स्पष्टीकरण उपलब्ध कराने का निवेदन किया जाता है कि इस गतिविधि के लिए आपकी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।" यह नोटिस 31 मार्च को महाराष्ट्र के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के ऑफिस के लेटरहेड पर भेजा गया था। इस नोटिस पर ज्वाइंट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, Ravi Gaikwad के हस्ताक्षर थे।
सेंट्रल मोटर व्हीकल्स एक्ट और सेंट्रल मोटर व्हीकल्स के रूल 33 के अनुसार, व्हीकल्स के मैन्युफैक्चरर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स को व्हीकल्स के रजिस्ट्रेशन के लिए बिजनेस सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स के रूल 35 में कहा गया है कि व्हीकल्स की बिक्री या ट्रेड से जुड़े प्रत्येक एस्टैबलिशमेंट, शोरूम या डीलरशिप के लिए रजिस्ट्रेशन करने वाली अथॉरिटी से एक अलग बिजनेस सर्टिफिकेट लेना होता है। अगर ट्रेड सर्टिफिकेट नहीं होता तो व्हीकल के मैन्युफैक्चरर और डिस्ट्रीब्यूटर पर मोटर व्हीकल्स एक्ट के सेक्शन 192 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
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