पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) का मार्केट तेजी से बढ़ा है। रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज मिनिस्टर Nitin Gadkari ने बताया कि देश की EV इंडस्ट्री 2030 तक लगभग 20 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकती है। यह इंडस्ट्री अभी 4.50 लाख करोड़ रुपये की है। अगले पांच वर्षों में इस इंडस्ट्री में रोजगार के लगभग पांच करोड़ अवसर बनने की संभावना है।
देश में व्हीकल्स की कुल सेल्स में EV की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से कम की है। गडकरी ने एक कॉन्फ्रेंस में कहा कि पेट्रोल और डीजल से चलने वाले व्हीकल्स के विकल्प के तौर पर EV की सेल्स में बढ़ोतरी महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया, "हम लगभग 22 लाख करोड़ रुपये के फॉसिल फ्यूल का इम्पोर्ट करते हैं। यह एक बड़ी इकोनॉमिक चुनौती है। हमारे देश में फॉसिल फ्यूल के इस इम्पोर्ट से काफी समस्याएं हो रही हैं।"
अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में भारत तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट है। इसके बावजूद देश में EV की संख्या कम है। हालांकि, EV की इंटरनेशनल सेल्स में कमी का ट्रेंड भारत में नहीं दिख रहा है। इस वर्ष जनवरी से नवंबर के बीच देश में EV की सेल्स लगभग 30 प्रतिशत बढ़ी है। हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि देश में EV के लिए पब्लिक चार्जिंग की
डिमांड को पूरा करने के लिए 2030 तक लगभग 16,000 करोड़ रुपये के कैपिटल एक्सपेंडिचर की जररूत है। EV को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से भी उपाय किए गए हैं। FICCI EV पब्लिक चार्जि्ंग इंफ्रास्ट्रक्चर रोडमैप 2030 रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई थी।
EV की सेल्स को बढ़ाने के लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने 14,335 करोड़ रुपये की दो योजनाओं को स्वीकृति दी है। इसका उद्देश्य बसों, एंबुलेंस और ट्रकों सहित
EV को बढ़ावा देना और पॉल्यूशन को घटाना है। इन योजनाओं में PM Electric Drive Revolution in Innovative Vehicle Enhancement (PM E-DRIVE) और PM-eBus Sewa-Payment Security Mechanism (PSM) शामिल हैं। PM E-DRIVE के लिए लगभग 10,900 करोड़ रुपये और PSM के लिए लगभग 3,435 करोड़ रुपये का आवंटन होगा। पॉल्यूशन को घटाने के लिए PM E-DRIVE काफी मददगार हो सकती है। इस स्कीम के तहत, इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स, इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स, इलेक्ट्रिक एंबुलेंस और इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए 3,679 करोड़ रुपये की सब्सिडी/डिमांड इंसेंटिव उपलब्ध कराए जाएंगे।