भारत का चंद्रयान-3 बुधवार को चंद्रमा पर लैंड करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के इस मिशन पर दुनिया भर की नजर है। ISRO इसके बाद कुछ अन्य महत्वपूर्ण मिशंस की तैयारी कर रही है। इनमें सूर्य की स्टडी से जुड़ा एक मिशन, क्लाइमेट का अवलोकन करने वाले एक सैटेलाइट का लॉन्च और इंडो-US सिंथेटिक अपार्चर राडार शामिल हैं।
ISRO ने मंगलवार को बताया कि इसके अलावा ब्राइट एस्ट्रोनॉमिकल X-रे सोर्सेज की स्टडी के लिए देश का पहला पोलरिमेटरी मिशन भी लॉन्च के लिए तैयार है।
ISRO के चेयरमैन, S Somanath ने कहा कि क्लाइमेट का अवलोकन करने वाले सैटेलाइट INSAT-3DS के लॉन्च की तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही
गगनयान से क्रू के निकलने के सिस्टम की पुष्टि के लिए एक टेस्ट व्हीकल मिशन भी जल्द लॉन्च किया जा सकता है। अंतरिक्ष यात्रियों के साथ देश के पहले स्पेस फ्लाइट मिशन गगनयान के प्रोपल्शन सिस्टम की पिछले महीने सफलतापूर्वक टेस्टिंग की गई थी। यह टेस्टिंग तमिलनाडु के महेन्द्रगिरि में ISRO के प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में हुई थी। इस मिशन में तीन दिनों के लिए तीन सदस्यीय क्रू को 400 किलोमीटर के ऑर्बिट पर भेजा जाएगा और उसके बाद उन्हें सुरक्षित धरती पर लाया जाएगा।
इन टेस्ट से प्रोपल्शन सिस्टम के प्रदर्शन को बेहतर किया जाएगा और इससे गगनयान मिशन की तैयारी सुनिश्चित होगी। पिछले महीने की शुरुआत में ISRO ने चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया था। इससे भारत चंद्रमा की सतह पर अपने स्पेसक्राफ्ट को लैंड कराने वाला चौथा देश बन जाएगा। चंद्रयान-3 का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग और रोविंग की देश की क्षमता को प्रदर्शित करना है। चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफलतापू्र्वक लैंडिंग के बाद रोवर बाहर आएगा और इसके चंद्रमा पर 14 दिनों तक कार्य करने की उम्मीद है। इस रोवर पर लगे कई कैमरा से इमेजेज ली जा सकेंगी। इससे चंद्रमा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।
चंद्रमा पर देश के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 को लगभग चार वर्ष पहले लॉन्च किया गया था। हालांकि, विक्रम लूनर लैंडर के चंद्रमा पर क्रैश होने के कारण यह मिशन नाकाम हो गया था। ISRO ने Gaganyaan प्रोजेक्ट में जल्दबाजी नहीं करने का फैसला किया है। इस मिशन को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि जिससे यह पहली कोशिश में ही सफलता हासिल कर सकेगा। इसके लिए टेस्टिंग और डिमॉन्स्ट्रेशन को बढ़ाया गया है।