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Chandrayaan 3 : -200 डिग्री ठंड झेलने के बाद क्‍या ‘नींद’ से जागेंगे विक्रम और प्रज्ञान? आ गई इम्तिहान की घड़ी, जानें लेटेस्‍ट अपडेट

Chandrayaan 3 : गुरुवार और शुक्रवार को मॉड्यूल को 'रीबूट' करने की कोशिश की जाएगी।

Chandrayaan 3 : -200 डिग्री ठंड झेलने के बाद क्‍या ‘नींद’ से जागेंगे विक्रम और प्रज्ञान? आ गई इम्तिहान की घड़ी, जानें लेटेस्‍ट अपडेट

Photo Credit: ISRO

दोनों को स्‍लीप मोड से जगाने की कोशिश 21 और 22 सितंबर को हो सकती है, जब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सूर्योदय होगा।

ख़ास बातें
  • चंद्रयान-3 मिशन के लिए आई इम्तिहान की घड़ी
  • विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को 'नींद' से जगाने की कोशिश
  • इसरो के वैज्ञानिक कर रहे हैं कोशिश
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Chandrayaan-3 Mission : भारत के चंद्रयान-3 मिशन के लिए इम्तिहान की घड़ी आ गई है। बीते 15 दिनों से चांद की सतह पर लगभग माइनस 200 डिग्री की ठंड में स्‍लीप मोड में रह रहे प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर को जगाने का वक्‍त आ गया है। चंद्रमा पर एक बार फ‍िर से सूर्य उगने वाला है। ऐसे में भारतीय स्‍पेस एजेंसी (ISRO) के वैज्ञानिकों की टीम Vikram Lander और Pragyaan Rover को फ‍िर से शुरू करने में जुट गई है।   

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, गुरुवार और शुक्रवार को मॉड्यूल को 'रीबूट' करने की कोशिश की जाएगी। इसमें कामयाबी मिली, तो चंद्रयान-3 मिशन को उसके लक्ष्‍य से भी आगे ले जाया जा सकेगा। इसरो की टीम को उम्‍मीद है कि शिव शक्ति पॉइंट (Shivshakti Point) पर मौजूद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर वहां सूर्य के उगते ही फ‍िर से एक्टिव हो जाएंगे।  

दोनों को स्‍लीप मोड से जगाने की कोशिश 21 और 22 सितंबर को हो सकती है, जब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सूर्योदय होगा। इसरो अध्‍यक्ष एस सोमनाथ कह चुके हैं 22 सितंबर को इंस्‍ट्रूमेंट के फ‍िर जीवित होने की उम्‍मीद कर सकते हैं।  
 

गौरतलब है कि 23 अगस्‍त को चांद की सतह पर सफलता पूर्वक लैंडर करने के बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने वहां 2 सितंबर तक अपने मिशन को अंजाम दिया था। 2 सितंबर को विक्रम और प्रज्ञान पर लगे इंस्‍ट्रूमेंट्स को स्‍लीप मोड में भेज दिया गया था। उससे पहले इसरो ने मॉड्यूल की बैटरियों को पूरी तरह चार्ज कर लिया था। सौर पैनलों को ऐसे एडजस्‍ट किया गया था कि सूर्य के उगते ही उन्‍हें रोशनी मिलने लग जाए। 

जिस जगह पर विक्रम और प्रज्ञान हैं वहां सूर्यास्‍त के बाद तापमान करीब माइनस 200 डिग्री तक नीचे चला जाता है। इसके बावजूद वो फ‍िर से एक्टिव होते हैं, तो यह चंद्रयान-3 मिशन के लिए बड़ी उपलब्‍धि होगी। 
 
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