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इसरो - ख़बरें

  • भारत का 2028 में चंद्रयान-4 लॉन्च करने का टारगेट
    केंद्र सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन के लिए स्वीकृति दे दी है। इस मिशन में चंद्रमा से सैम्प्ल को लाया जाएगा। यह देश का सबसे जटिल लूनर मिशन होगा। इससे पहले अमेरिका, चीन और रूस ने चंद्रमा से सैम्प्ल लाने की क्षमता को प्रदर्शित किया है। Chandrayaan-4 मिशन को 2028 में लॉन्च करने का टारगेट है। ISRO की योजना अगले तीन वर्षों में स्पेसक्राफ्ट के मैन्युफैक्चरिंग की अपनी कैपेसिटी को तिगुना करने की है।
  • गगनयान मिशन में हुई बड़ी प्रगति, ISRO ने किया क्रू मॉड्यूल के लिए पैराशूट टेस्ट
    ISRO ने यह टेस्ट उत्तर प्रदेश में झांसी की बबीना फील्ड फायरिंग रेंज में किया है। इसमें भारतीय वायु सेना के IL-76 एयरक्राफ्ट से 2.5 किलोमीटर की ऊंचाई से लगभग 2.5 टन के क्रू मॉड्यूल को गिराया था। क्रू मॉड्यूल के नीचे उतरने पर पैराशूट सिस्टम बिना किसी मुश्किल के खुला जिससे इसकी वास्तविक मिशन के दौरान अत्यधिक मुश्किल स्थिति को संभालने में इसकी क्षमता साबित हो गई है।
  • ISRO की बड़ी कामयाबी, देश का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट CMS-03 किया लॉन्च
    देश का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट CMS-03 को रविवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया है। इस सैटेलाइट का भार लगभग 4,410 किलोग्राम का है। LVM3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-3) एक थ्री-स्टेज लॉन्च व्हीकल है। इस हेवी व्हीकल लॉन्च व्हीकल से ISRO को भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट्स को GTO में भेजने में आसानी हो गई है।
  • ISRO का मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन सैटेलाइट इस सप्ताह होगा लॉन्च
    इस मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन सैटेलाइट का डिजाइन भारत सहित ओशियानिक क्षेत्र में सर्विसेज उपलब्ध कराने के लिए तैयार किया गया है। CMS-03 का भार लगभग 4,400 किलोग्राम का है। यह भारत से जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में लॉन्च किया जाने वाला सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट होगा। ISRO ने बताया कि LVM3 का पिछला मिशन Chandrayaan-3 था।
  • गगनयान मिशन जल्द होगा टेस्ट फ्लाइट के लिए तैयार, ISRO ने दी जानकारी
    इस मिशन में तीन एस्ट्रोनॉट्स के क्रू को 400 किलोमीटर के ऑर्बिट में तीन दिन के लिए भेजा जाएगा और इसके बाद उनकी समुद्र पर सुरक्षित वापसी होगी। भारत की योजना अंतरिक्ष में अपना स्टेशन बनाने की भी इस स्टेशन का नाम "भारत अंतरिक्ष स्टेशन" होगा। इसकी स्थापना 2035 तक हो सकती है। भारत की योजना अंतरिक्ष में अपना स्टेशन बनाने की भी है।
  • ISRO का Gaganyaan मिशन 90% पूरा हुआ, जानें स्पेस में कब जाएंगे भारतीय अंतरिक्ष यात्री?
    भारत अब अपने सबसे बड़े स्पेस ड्रीम के बेहद करीब पहुंच चुका है। ISRO (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन) ने कंफर्म किया है कि देश का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन Gaganyaan अब लगभग 90% पूरा हो चुका है। ISRO के पूर्व चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने बताया कि एजेंसी अब मिशन के अंतिम चरणों पर काम कर रही है और लक्ष्य है कि इसे 2027 तक लॉन्च किया जाए। इससे पहले ISRO तीन अनक्रूड (बिना इंसान वाले) टेस्ट फ्लाइट्स पूरी करेगा, ताकि सिस्टम की सुरक्षा और तैयारी को परखा जा सके। इस मिशन के सफल होने पर भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल होगा जिन्होंने अपने दम पर इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा है।
  • इस वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को: भारत में दिखेगा या नहीं.... 
    सूर्य ग्रहण तब होता है जब धरती और सूर्य के बीच से चंद्रमा गुजरता है। इससे धरती तक सूर्य की रोशनी का पहुंचना आंशिक तौर पर या पूरी तरह अवरुद्ध हो जाता है। यह अलाइनमेंट के आधार पर पूर्ण, आंशिक या गोले के आकार का हो सकता है। आंशिक सूर्य ग्रहण में सूर्य का केवल एक हिस्सा चंद्रमा की ओर से धुंधला होता है। यह एक आकर्षक खगोलीय दृश्य बनाता है।
  • Semicon India 2025: भारत का पहला सेमीकंडक्टर चिप Vikram 32-bit तैयार, PM मोदी ने कही ये बड़ी बात
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेमिकॉन इंडिया 2025 क्रॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत सेमीकंडक्टर मिशन और डिजाइन-लिंक्ड प्रोत्साहन स्कीम के अगले फेज पर काम कर रही है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरी तरह भारत में तैयार प्रोसेसर Vikram 32-bit और 4 अन्य प्रोजेक्ट के टेस्टिंग चिप्स भेंट प्रस्तुत किए। पीएम मोदी ने कहा कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का आधार अहम खनिज हैं।
  • ISRO पूरा करेगा अमेरिकी मिशन, आसमान से सीधा मोबाइल पर 120 Mbps स्पीड वाला इंटरनेट!
    इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) अगले कुछ महीनों में टेक्सास बेस्ड AST SpaceMobile के 6,500 किलोग्राम वजन वाले Block-2 BlueBird कम्युनिकेशन सैटेलाइट को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। ग्लोबल सैटेलाइट कम्युनिकेशन में यह एक बड़ा कदम है क्योंकि यह सैटेलाइट सीधे मोबाइल तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाएगी, यानी अब टॉवर या टर्मिनल की जरूरत नहीं पड़ेगी। चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
  • ISRO के NISAR सैटेलाइट का सफल लॉन्च, धरती की निगरानी में होगा मददगार
    इस सैटेलाइट को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के साथ मिलकर बनाया है।इस सैटेलाइट के ऑर्बिट में पहुंचने के बाद इसके डुअल-फ्रीक्वेंसी राडार एक दिन में धरती का 14 बार चक्कर लगाएंगे। इससे प्रत्येक 12 दिनों में धरती पर सभी जमीन और बर्फ की सतहों की स्कैनिंग की जाएगी। यह सैटेलाइट धरती की सतह पर 1 सेंटीमीटर जितने बदलाव को भी रिकॉर्ड कर सकेगा।
  • भारत-अमेरिका का अंतरिक्ष मिशन NISAR सैटेलाइट आज होगा लॉन्च, दुनिया को इस खतरे से बचाएगा, ऐसे देखें लॉन्च इवेंट
    भारत की NASA-ISRO NISAR सैटेलाइट आज लॉन्च होने जा रही है। यह मिशन स्पेस साइंस, अर्थ ऑब्जर्वेशन और क्लाइमेट स्टडी में “गेमचेंजर” माना जा रहा है। अमेरिका की NASA और भारत की ISRO ने पहली बार इस स्तर की हाई-टेक राडार सैटेलाइट के लिए साझेदारी की है। NISAR की खासियत इसकी डुअल-बैंड Synthetic Aperture Radar तकनीक है, जो हर 12 दिन में पूरे पृथ्वी के सर्वे को संभव बनाएगी। इस सैटेलाइट के जरिए भूकंप, सुनामी, भूस्खलन जैसे आपदाओं का अलर्ट व मैपिंग के साथ कई अन्य कार्यों में मदद मिलेगी। आइए जानते हैं यह सैटेलाइट क्या करेगा, क्यों इतना अहम है और आप इसका लॉन्च लाइव कैसे देख सकते हैं।
  • धरती की निगरानी के लिए कल NISAR सैटेलाइट लॉन्च करेंगे ISRO और NASA
    NISAR सैटेलाइट को आंध्र प्रदेश में सतीश धवन स्पेस सेंटर से 30 जुलाई को 8:10 a.m. (भारतीय समय के अनुसार) लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए पिकअप ट्रक के साइज के स्पेसक्राफ्ट का इस्तेमाल होगा। इस सैटेलाइट के ऑर्बिट में पहुंचने के बाद इसके डुअल-फ्रीक्वेंसी राडार एक दिन में धरती का 14 बार चक्कर लगाएंगे। इससे प्रत्येक 12 दिनों में धरती पर सभी जमीन और बर्फ की सतहों की स्कैनिंग की जाएगी।
  • NASA के Perseverance रोवर ने बनाया मंगल ग्रह पर सबसे लंबी ड्राइव का रिकॉर्ड
    पिछले डेढ़ महीने से यह रोवर Jezero क्रेटर रिम की बाहरी ढलानों पर मौजूद Krokodillen पठार पर मिट्टी वाली चट्टानों की खोज कर रहा है। अगर चट्टानों के नमूनों में 'फिलोसिलिकेट्स' कहे जाने वाले मिनरल्स पाए जाते हैं तो इसका मतलब हो सकता है कि पहले इस ग्रह पर बड़ी मात्रा में पानी की मौजूदगी थी। NASA के Curiosity और Opportunity जैसे मंगल ग्रह पर अन्य रोवर्स की तुलना में इसकी स्पीड भी अधिक रही है।
  • भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक स्पेस मिशन के बाद धरती पर हुई वापसी, प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई
    इस मिशन के क्रू ने ISS पर कई एक्सपेरिमेंट्स किए हैं। इनमें से सात एक्सपेरिमेंट्स की अगुवाई शुक्ला ने की थी। इन एस्ट्रोनॉट्स के साथ शून्य ग्रेविटी के उनके संकेतक के तौर पर Joy कहे जाने वाले एक स्वैन टॉय को भी भेजा गया था। इस मिशन से भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO को गगनयान की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण सबक मिल सकते हैं।
  • भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई को शुरू करेंगे धरती पर वापसी की यात्रा
    इस मिशन के पायलट की जिम्मेदारी शुक्ला ने सभाली है, जबकि और मिशन कमांडर के तौर पर कमान Peggy Whitson के पास थी। अनडॉकिंग के कई घंटे बाद Axiom-4 मिशन का स्पलैशडाउन अमेरिका के कैलिफोर्निया में प्रशांत महासागर के तट के निकट होगा। Axiom-4 मिशन में 31 देशों की भागीदारी है इस मिशन को सुरक्षा के साथ ISS पर पहुंचाने के लिए NASA और Axiom Space ने कड़ी तैयारी की थी।

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