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Mission - ख़बरें

  • चंद्रयान-5 के लिए सरकार ने दिया ISRO को अप्रूवल
    यह मिशन चंद्रमा पर वातावरण और अन्य स्थितियों को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा सकता है। भारत का लक्ष्य 2040 तक चंद्रमा पर ह्युमन मिशन भेजने का है। चंद्रयान-5 मिशन में लगभग 350 किलोग्राम के रोवर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मिशन में जापान का भी सहयोग लिया जाएगा। इससे पहले ISRO ने चंद्रयान-4 मिशन के लिए तैयारी शुरू की है।
  • NASA के फंसे हुए एस्ट्रोनॉट्स को वापस लाने के लिए ISS पर पहुंचा स्पेसक्राफ्ट
    इन दोनों एस्ट्रोनॉट्स को लाने के लिए बिलिनेयर Elon Musk की कंपनी SpaceX का स्पेसक्राफ्ट पहुंच गया है। NASA का Crew-10 मिशन शुक्रवार को लॉन्च किया गया था। NASA के केनेडी स्पेस सेंटर से Falcon 9 रॉकेट के जरिए Dragon स्पेसक्राफ्ट पर Crew-10 मिशन को लॉन्च किया गया था। इस मिशन में चार एस्ट्रोनॉट्स को भेजा गया है।
  • NASA की एस्ट्रोनॉट Sunita Williams की जल्द होगी धरती पर वापसी, Crew-10 मिशन हुआ लॉन्च
    विलियम्स और उनके साथी एस्ट्रोनॉट Butch Wilmore को लाने के लिए NASA और बिलिनेयर Elon Musk की कंपनी SpaceX ने शुक्रवार को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर एक नया क्रू भेजा है। NASA के केनेडी स्पेस सेंटर से Falcon 9 रॉकेट के जरिए Dragon स्पेसक्राफ्ट पर Crew-10 मिशन को लॉन्च किया गया है। इस क्रू में चार एस्ट्रोनॉट शामिल हैं।
  • स्पेस में फंसी NASA की एस्ट्रोनॉट Sunita Williams की धरती पर वापसी टली
    अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने बताया विलियम्स और उनके साथ ISS पर फंसे Butch Wilmore को लाने के लिए SpaceX के Falcon 9 रॉकेट का लॉन्च तकनीकी मुश्किलों के कारण टाल दिया गया है। SpaceX के मालिक बिलिनेयर Elon Musk हैं। अमेरिका में फ्लोरिडा के Kennedy Space Centre से Crew-10 मिशन को Falcon 9 के साथ हाइड्रॉलिक समस्या की वजह से टाला गया है।
  • स्पेस में फंसी NASA की एस्ट्रोनॉट Sunita Williams की इस दिन हो सकती है धरती पर वापसी....
    विलियम्स के साथ Butch Wilmore भी ISS पर फंसे हैं। पिछले वर्ष जून में ये दोनों एस्ट्रोनॉट कुछ दिन के मिशन पर ISS पर गए थे। हालांकि, स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी समस्या होने की वजह से ये फंस गए थे। NASA ने बताया है कि इन एस्ट्रोनॉट्स की वापसी के लिए SpaceX के Crew-10 मिशन को इस सप्ताह लॉन्च के लिए क्लीयरेंस मिल गई है।
  • चंद्रयान-3 मिशन ने खोले चांद के गहरे राज, कई हिस्सों पर हो सकती है बर्फ!
    चंद्रयान-3 मिशन की मदद से वैज्ञानिकों को चांद के बारे में एक अहम जानकारी मिलने की बात सामने आ रही है। चंद्रयान मिशन के द्वारा डेटा इकट्ठा किया गया, उसकी स्टडी से यह सामने आया है कि चांद पर कई और ऐसी जगहें हो सकती हैं जहां पर बर्फ मौजूद हो सकती है। ये जगहें इसकी सतह के नीचे बताई जा रही हैं।
  • स्पेस में फंसी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स की इस महीने होगी वापसी, NASA कर रही तैयारी
    विलियम्स के साथ Butch Wilmore भी पिछले कई महीनों से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर फंसे हैं। इन दोनों एस्ट्रोनॉट्स को बिलिनेयर Elon Musk की कंपनी SpaceX के Dragon स्पेसक्राफ्ट से वापस लाया जाएगा। पिछले वर्ष जून में विलियम्स और विल्मोर आठ दिन के मिशन के लिए ISS पर पहुंचे थे। Boeing के Starliner स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी समस्या के कारण विलियम्स और विल्मोर की वापसी मुश्किल हो गई था।
  • Blue Ghost: प्राइवेट कंपनी ने चांद पर स्पेसक्राफ्ट उतार रचा इतिहास! NASA के लिए क्यों खास है यह मिशन? जानें
    एक अमेरिकी प्राइवेट कंपनी ने चांद पर अपना स्पेसक्राफ्ट सफलतापूर्वक उतार दिया है। यह अपने आप में एक बड़ा कारनामा है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह केवल दूसरी बार हुआ है जब किसी प्राइवेट स्पेस मिशन के तहत चांद पर स्पेसक्राफ्ट को लैंड किया गया है। Firefly Aerospace ने यह सफलता हासिल की है। कंपनी ने ब्लू घोस्ट मिशन 1 के तहत इस अंतरिक्ष यान को चांद की सतह पर उतारा है।
  • चंद्रमा पर पानी की खोज के लिए NASA ने लॉन्च किया सैटेलाइट
    अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने चंद्रमा पर पानी की खोज के लिए Lunar Trailblazer सैटेलाइट लॉन्च किया है। इसका भार लगभग 200 किलोग्राम का है। इसके सोलर पैनल पूरी तरह खुले होने पर यह लगभग 3.5 मीटर चौड़ा है। इस सैटेलाइट को फ्लोरिडा में Kennedy Space Center से स्पेस में लॉन्च किया गया है।
  • ब्रह्मांड का 'सबसे रंगीन' मैप बनाएगा NASA का नया टेलीस्कोप
    SPHEREx कहे जाने वाले इस टेलीस्कोप का साइज छोटा है लेकिन यह अपने लगभग दो वर्ष के मिशन में बड़ी मात्रा में जानकारी उपलब्ध कराएगा। यह एक इंफ्रारेड टेलीस्कोप है जिसका डिजाइन स्पेक्ट्रोस्कोपिक इमेजेज लेने के लिए बनाया गया है। स्पेक्ट्रोस्कोपिक इमेजेज एक सोर्स से लाइट की अलग वेवलेंथ को मापती हैं। इससे ब्रह्मांड और तारा समूह की ग्रोथ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी।
  • चंद्रमा पर 2027 में पहुंचेगा भारत का चंद्रयान-4, धरती पर लाए जाएंगे सैम्पल
    चंद्रयान-4 का कुल भार लगभग 9,200 किलोग्राम का होगा। यह चंद्रयान-3 की तुलना में दोगुने से अधिक है। इसका साइज अधिक होने की वजह से दो लॉन्च व्हीकल मार्क- III (LVM 3) रॉकेट्स का इस्तेमाल जरूरी है। ये रॉकेट पांच विभिन्न मॉड्यूल्स को धरती के ऑर्बिट में ले जाएंगे, जहां चंद्रमा की यात्रा से पहले इन मॉड्यूल्स की डॉकिंग की जाएगी।
  • अंतरिक्ष में फंसी एस्ट्रोनॉट Sunita Williams की अगले महीने हो सकती है धरती पर वापसी
    अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने बताया है कि ISS के लिए क्रू-10 मिशन को 25 मार्च के बजाय 12 मार्च को लॉन्च करने का टारगेट है। विलियम्स के साथी एस्ट्रोनॉट Butch Wilmore को भी इस मिशन में लाया जाएगा। NASA ने कहा है कि क्रू-10 मिशन नए स्पेसक्राफ्ट के बजाय पहले उड़ान भर चुके SpaceX के स्पेसक्राफ्ट Endurance का इस्तेमाल करेगा।
  • NASA सुलझाने चली सूरज का बड़ा रहस्य! 27 फरवरी को लॉन्च करेगी PUNCH मिशन, जानें इसके बारे में
    सूरज के बारे में नासा एक और रहस्य सुलझाना चाहती है। एजेंसी जानना चाहती है कि पृथ्वी के चारों तरफ जो सौर हवा का चैंबर बनता है, जिसे हीलियोस्फीयर कहते हैं, यह कैसे बनता है। हम इसी चैंबर में रहते हैं। कोरोना और सोलर वाइंड का इससे क्या संबंध है। नासा सूरज के पास अपना PUNCH मिशन भेजने वाली है। यह मिशन 27 फरवरी को लॉन्च होगा।
  • NASA आर्टिमिस (Artemis) मून मिशन के लिए इन 9 कंपनियों पर खर्च करेगी 2.10 अरब रुपये!
    नासा चांद पर अपना महत्वाकांक्षी मिशन भेजने की तैयारी कर रही है। इस मिशन का नाम Artemis मिशन है जिसमें नासा का साथ 9 और कंपनियां देंगी। नासा के Artemis मिशन में 9 कंपनियां शामिल होंगी जो एजेंसी की मदद इस मिशन के सफल होने में करेंगी। नासा ने इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए 24 मिलियन डॉलर खर्च करने की योजना बनाई है।
  • भारत की 2027 में चंद्रयान-4 के लॉन्च की तैयारी, चंद्रमा से लाए जाएंगे सैम्पल
    देश के स्पेस एक्सप्लोरेशन के प्रयासों में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा से सैम्पल वापस धरती पर लाना होगा। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में पांच अलग कंपोनेंट्स को ले जाने के लिए LVM-3 रॉकेट के कम से कम दो लॉन्च की जरूरत होगी। यह चंद्रमा से सैम्पल लाने की देश की पहली कोशिश होगी। इससे स्पेस रिसर्च में भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताएं बढ़ेंगी।

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