TRAI ने बताया कि इस रूल का टारगेट कंज्यूमर्स के भरोसे को बढ़ाना, वॉयस कॉल्स के जरिए स्पैम पर लगाम लगाना और फ्रॉड से जुड़ी एक्टिविटीज को रोकना है
इस रूल का टारगेट कंज्यूमर्स के भरोसे को बढ़ाना, वॉयस कॉल्स के जरिए स्पैम पर लगाम लगाना है
पिछले कुछ वर्षों में इंश्योरेंस की आड़ में स्कैम के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इस समस्या पर रोक लगाने के लिए टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने एक नया रूल बनाया है। इस रूल के तहत, इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) की ओर से रेगुलेटेड सभी एंटिटीज को सर्विस और ट्रांजैक्शन से जुड़ी कॉल्स के लिए '1600' सीरीज के नंबर्स का इस्तेमाल करना होगा।
TRAI ने बताया कि इस रूल का टारगेट कंज्यूमर्स के भरोसे को बढ़ाना, वॉयस कॉल्स के जरिए स्पैम पर लगाम लगाना और फ्रॉड से जुड़ी एक्टिविटीज को रोकना है। इस रूल के पालन के लिए अगले वर्ष 26 फरवरी की समयसीमा तय की गई है। TRAI ने कहा है कि इसी तरह का रूल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI), सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) और पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) की ओर से रेगुलेटेड एंटिटीज के लिए पहले से लागू किया गया है। टेलीकॉम डिपारमेंट (DoT) ने बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज एंड इंश्योरेंस (BFSI) और सरकारी संगठनों के लिए '1600' नंबरिंग सीरीज को तय किया है।
इसका उद्देश्य वैध सर्विस और ट्रांजैक्शंस से जुड़ी कॉल्स की पहचान करना है। लगभग 570 एंटिटीज ने नई नंबरिंग सीरीज का इस्तेमाल शुरू किया है। TRAI ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया, "स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा के आधार पर यह तय किया गया है कि इस रूल के पालन के लिए समयसीमा तय करना जरूरी है जिससे एंटिटीज सर्विस और ट्रांजैक्शंस से जुड़ी कॉल्स के लिए स्टैंडर्ड 10-डिजिट के नंबर्स का इस्तेमाल जारी रखने के साथ ही फ्रॉड या भ्रामक कॉल्स के रिस्क को घटाने के लिए 1600 सीरीज के नंबर्स पर शिफ्ट कर सकें।"
हाल ही में TRAI ने DoT के रिसीवर के फोन पर कॉलर का नाम दिखाने को जरूरी बनाने के प्रपोजल को मंजूर किया था। इस फीचर को कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) कहा जाएगा। इस फीचर के लिए SIM रजिस्टेशन के दौरान वेरिफाई की गई कॉलर की जानकारी का इस्तेमाल किया जाएगा। TRAI ने बताया था कि देश में CNAP सर्विस को सभी टेलीकॉम सब्सक्राइबर्स के लिए डिफॉल्ट तौर पर लागू किया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति इस फीचर का इस्तेमाल नहीं करना चाहता तो इसके लिए टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर को निवेदन दिया जा सकता है। इस फीचर के लागू होने के बाद किसी व्यक्ति को कॉल किए जाने पर मोबाइल पर कॉलर का नाम दिखाई देगा। इस सर्विस के लिए TrueCaller जैसी किसी थर्ड पार्टी ऐप की जरूरत नहीं रहेगी।
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