देश के पहले अंतरिक्ष में मानव को भेजने के मिशन Gaganyaan का पहला ट्रायल इस वर्ष के अंत तक किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। इससे पहले यह ट्रायल मिशन पिछले वर्ष के अंत में और इस वर्ष मार्च में किया जाना था।
ISRO के चेयरमैन, V Narayanan ने बताया कि इस वर्ष अक्टूबर से तीन बिना क्रू वाले स्पेस मिशंस का ट्रायल किया जाएगा। इसके बाद दो क्रू वाले ट्रायल मिशन होंगे। एक ऑर्बिटल स्पेस फ्लाइट में देश के पहले एस्ट्रोनॉट 2027 में उड़ान भरेंगे। इस मिशन की सफलता के साथ दुनिया में भारत अंतरिक्ष में ह्युमन मिशन भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा। गगनयान मिशन के लिए एस्ट्रोनॉट्स के तौर पर ग्रुप कैप्टन Prasanth Balakrishnan Nair, Ajit Krishnan और Angad Pratap के साथ ही विंग कमांडर Shubanshu Shukla को चुना गया है।
नारायणन ने कहा कि गगनयान के लॉन्च से पहले इस वर्ष जून में एक भारतीय एस्ट्रोनॉट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर जाने वाले क्रू का हिस्सा बनेंगे। इससे भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में यात्रा के वातावरण को समझने और एक्सपेरिमेंट करने का एक्सपीरिएंस मिलेगा। उन्होंने बताया, "इस मिशन को लेकर काफी प्रगति हुई है। इसके लिए ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग अंतिम चरण में है।"
हाल ही में केंद्र सरकार ने
ISRO को चंद्रयान-5 मिशन के लिए अप्रूवल दिया था। यह मिशन चंद्रमा पर वातावरण और अन्य स्थितियों को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा सकता है। भारत का लक्ष्य 2040 तक चंद्रमा पर ह्युमन मिशन भेजने का है। चंद्रयान-5 मिशन में लगभग 350 किलोग्राम के रोवर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मिशन में जापान का भी सहयोग लिया जाएगा। इससे पहले ISRO ने चंद्रयान-4 मिशन की तैयारी शुरू की है। इस मिशन में चंद्रमा से सैम्पल एकत्र कर धरती पर लाए जाएंगे। पिछले वर्ष चंद्रयान-4
मिशन को सरकार ने स्वीकृति दी थी। ISRO का चंद्रयान-3 मिशन सफल रहा था। इस मिशन से चंद्रमा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई थी। चंद्रयान-4 का कुल भार लगभग 9,200 किलोग्राम का होगा। यह चंद्रयान-3 की तुलना में दोगुने से ज्यादा है। इसका साइज अधिक होने की वजह से दो लॉन्च व्हीकल मार्क- III (LVM 3) रॉकेट्स का इस्तेमाल जरूरी होगा।
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