यह एक मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन सैटेलाइट है। इससे भारत सहित ओशियानिक रीजन में सर्विसेज उपलब्ध कराई जा सकेंगी
यह एक सांकेतिक इमेज है
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सैटेलाइट लॉन्च में अपनी विशेषज्ञता को एक बार फिर साबित किया है। देश का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट CMS-03 को रविवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया है। इस सैटेलाइट का भार लगभग 4,410 किलोग्राम का है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सफलता पर ISRO को बधाई दी है। SRO ने बताया कि 43.5 मीटर लंबे LVM3-M5 रॉकेट पर मौजूद यह सैटेलाइट 16-20 मिनटों की उड़ान के बारे लगभग 180 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने के साथ इससे अलग हो जाएगा। यह मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन सैटेलाइट है। इससे भारत सहित ओशियानिक रीजन में सर्विसेज उपलब्ध कराई जा सकेंगी। यह भारत से जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में लॉन्च किया गया सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट है। इस सैटेलाइट के लॉन्च के बाद ISRO के चेयरमैन, V Narayanan ने इस सैटेलाइट को 'बाहुबलि' बताया है।
LVM3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-3) एक थ्री-स्टेज लॉन्च व्हीकल है। इसमें दो सॉलिड मोटर स्ट्रैप-ऑन, एक लिक्विड प्रोपेलेंट कोर स्टेज और और एक क्रायोजनिक स्टेज है। इस हेवी व्हीकल लॉन्च व्हीकल से ISRO को भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट्स को GTO में भेजने में आसानी हो गई है। यह इस लॉन्च व्हीकल की पांचवी ऑपरेशनल फ्लाइट है। देश से एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में भेजने के पहले मिशन Gaganyaan के लिए ISRO ने ह्युमन रेटेड LVM3 रॉकेट का लॉन्च व्हीकल के तौर पर इस्तेमाल करने की योजना बनाई है। इस लॉन्च व्हीकल को HRLV कहा जाएगा। हाल ही में ISRO ने अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट NISAR का भी श्रीहरिकोटा से सफल लॉन्च किया था। इस सैटेलाइट को अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के साथ मिलकर बनाया है। NISAR (NASA-ISRO सिंथेटिक अपार्चर राडार सैटेलाइट) के लिए पिकअप ट्रक के साइज के स्पेसक्राफ्ट का इस्तेमाल किया गया था। इस सैटेलाइट के डुअल-फ्रीक्वेंसी राडार एक दिन में धरती का 14 बार चक्कर लगाएंगे। इससे प्रत्येक 12 दिनों में धरती पर सभी जमीन और बर्फ की सतहों की स्कैनिंग की जा सकेगी।
गगनयान मिशन को 2027 में लॉन्च किया जाना है। इस मिशन के लिए लगभग 90 प्रतिशत कार्य को पूरा कर लिया गया है। इससे पहले बिना क्रू वाली तीन टेस्ट फ्लाइट को भेजा जाएगा। इसके बाद इस फ्लाइट को ह्युमन्स के लिए तैयार घोषित किया जा सकेगा। इस मिशन की सफलता के साथ भारत ऐसे चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जिन्होंने ह्युमन स्पेस फ्लाइट को खुद विकसित किया है।
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