भारत का 2028 में चंद्रयान-4 लॉन्च करने का टारगेट

ISRO के चेयरमैन, V Narayanan ने बताया कि मौजूदा वित्त वर्ष में ISRO की कमर्शियल कम्युनिकेशन सैटेलाइट सहित सात और लॉन्च करने की योजना है

भारत का 2028 में चंद्रयान-4 लॉन्च करने का टारगेट

यह देश का अभी तक का सबसे जटिल लूनर मिशन होगा

ख़ास बातें
  • यह देश का अभी तक का सबसे जटिल लूनर मिशन होगा
  • इस मिशन में चंद्रमा से सैम्प्ल को लाया जाएगा
  • भारत की 2035 तक अपना स्पेस स्टेशन बनाने की भी योजना है
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देश ने पिछले कुछ वर्षों में अंतरिक्ष में मिशन भेजने में काफी प्रगति की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन के लिए स्वीकृति दी है। इस मिशन में चंद्रमा से सैम्प्ल को लाया जाएगा। यह देश का अभी तक का सबसे जटिल लूनर मिशन होगा। चंद्रयान-4 मिशन को 2028 को लॉन्च किया जाएगा। इसके साथ ही भारत की 2035 तक अपना स्पेस स्टेशन बनाने की भी योजना है। 

ISRO के चेयरमैन, V Narayanan ने बताया कि मौजूदा वित्त वर्ष में ISRO की कमर्शियल कम्युनिकेशन सैटेलाइट सहित सात और लॉन्च करने की योजना है। इनमें कुछ PSLV और GSLV मिशन शामिल होंगे। नारायणन ने कहा कि केंद्र सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन के लिए स्वीकृति दे दी है। इस मिशन में चंद्रमा से सैम्प्ल को लाया जाएगा। यह देश का सबसे जटिल लूनर मिशन होगा। इससे पहले अमेरिका, चीन और रूस ने चंद्रमा से सैम्प्ल लाने की क्षमता को प्रदर्शित किया है। नारायणन ने बताया कि Chandrayaan-4 मिशन को 2028 में लॉन्च करने का टारगेट है। 

एक अन्य महत्वपूर्ण मिशन LUPEX को जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के साथ मिलकर तैयार किया जा रहा है। इसके साथ ही ISRO की योजना अगले तीन वर्षों में स्पेसक्राफ्ट के मैन्युफैक्चरिंग की अपनी कैपेसिटी को तिगुना करने की है। LUPEX मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के साउथ पोल पर वॉटर आइस की स्टडी करना है। देश के पहले ह्युमन स्पेसफ्लाइट मिशन Gaganyaan के लिए हाल ही में ISRO ने इंटीग्रेटेड मेन पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट (IMAT) को सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह टेस्ट उस पैराशूट सिस्टम के लिए था जिससे इस मिशन पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स की स्पेस से धरती पर सुरक्षित वापसी होगी। 

इस टेस्ट में भारतीय वायु सेना के IL-76 एयरक्राफ्ट से 2.5 किलोमीटर की ऊंचाई से लगभग 2.5 टन के क्रू मॉड्यूल को गिराया था। क्रू मॉड्यूल के नीचे उतरने पर पैराशूट सिस्टम बिना किसी मुश्किल के खुला जिससे इसकी वास्तविक मिशन के दौरान अत्यधिक मुश्किल स्थिति को संभालने में इसकी क्षमता साबित हो गई है। गगनयान के लिए पैराशूट सिस्टम इंजीनियरिंग का एक जटिल उपकरण है। ISRO ने इस मिशन के लिए एयर ड्रॉप टेस्ट को पहले ही पूरा कर लिया है। यह टेस्ट बंगाल की खाड़ी के ऊपर चिनूक हेलीकाप्टर से हुआ था। 
 

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आकाश आनंद

Gadgets 360 में आकाश आनंद डिप्टी न्यूज एडिटर हैं। उनके पास प्रमुख ...और भी

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