देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस सेगमेंट में राजधानी दिल्ली का अग्रणी स्थान है। दिल्ली में व्हीकल्स के कुल रजिस्ट्रेशंस में से लगभग 11.5 प्रतिशत EV हैं। राजधानी में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को भी तेजी से बढ़ाया जा रहा है।
Yes Bank और FICCI की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में कुल व्हीकल्स में से लगभग 11.5 प्रतिशत EV हैं। इसके बाद केरल 11.1 प्रतिशत EV के साथ है। इस लिस्ट में तीसरे स्थान पर असम है। असम में कुल व्हीकल्स में से
EV की हिस्सेदारी लगभग 10 प्रतिशत की है, जिनमें बड़ी संख्या
इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और थ्री-व्हीलर्स की है। वित्त वर्ष 2021 से वित्त वर्ष 2024 के बीच गुजरात, ओडिशा, केरल और पंजाब में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) अधिक रहा है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले वित्त वर्ष में EV की कुल बिक्री में देश के शीर्ष पांच राज्यों की हिस्सेदारी आधी से अधिक थी।
दिल्ली में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने हाल ही में नई EV पॉलिसी को पेश किया था। इसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए रोड टैक्स में छूट जैसे कुछ इंसेंटिव दिए गए हैं। देश के बहुत से राज्यों में EV को बढ़ावा देने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। इन उपायों में रोड टैक्स में छूट और सरकारी व्हीकल्स में EV की संख्या को बढ़ाना शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को तेजी से बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सितंबर में सरकार ने 14,335 करोड़ रुपये की दो योजनाओं को स्वीकृति दी थी। इसका उद्देश्य बसों, एंबुलेंस और ट्रकों सहित EV को बढ़ावा देना और पॉल्यूशन को घटाना है। इन योजनाओं में PM Electric Drive Revolution in Innovative Vehicle Enhancement (PM E-DRIVE) और PM-eBus Sewa-Payment Security Mechanism (PSM) शामिल हैं। PM E-DRIVE के लिए सरकार की ओर से लगभग 10,900 करोड़ रुपये और PSM के लिए लगभग 3,435 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा। पॉल्यूशन को घटाने के लिए PM E-DRIVE काफी मददगार हो सकती है। इस स्कीम के तहत, इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स, इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स, इलेक्ट्रिक एंबुलेंस और इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए 3,679 करोड़ रुपये की सब्सिडी/डिमांड इंसेंटिव उपलब्ध कराए जाएंगे। इस योजना से 24.79 लाख इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स, लगभग 3.16 लाख इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स और 14,028 इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने में मदद की जाएगी।