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अमेरिकी सेना ने स्पेस में भेजा सीक्रेटिव प्लेन, सोलर एनर्जी पर रिसर्च की कोशिश

इस स्पेसप्लेन को Boeing ने बनाया है और इसका साइज लगभग एक स्मॉल बस जितना है। अपने मिशन को समाप्त करने के बाद यह वातावरण के जरिए वापस नीचे आता है और एक एयरप्लेन की तरह रनवे पर लैंड करता है

अमेरिकी सेना ने स्पेस में भेजा सीक्रेटिव प्लेन, सोलर एनर्जी पर रिसर्च की कोशिश

इसे बिलिनेयर Elon Musk की कंपनी SpaceX के Falcon हेवी रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया है

ख़ास बातें
  • X-37B को क्रू के बिना स्पेस में भेजा गया है
  • इससे पहले यह छह मिशन को पूरा करने में 3,774 दिन लगा चुका है
  • इसका डिजाइन अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के स्पेस शटल के लगभग समान है
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दुनिया में अमेरिका की सेना को सबसे ताकतवर माना जाता है। इसके पास अत्याधुनिक हथियार और अन्य सिस्टम मौजूद हैं। अमेरिकी सेना ने गुरुवार को स्पेस में अपना एक प्लेन भेजा है। इस प्लेन को X-37B कहा जा रहा है और इसे बिलिनेयर Elon Musk की कंपनी SpaceX के Falcon हेवी रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया है। 

CNN के अनुसार, X-37B को क्रू के बिना स्पेस में भेजा गया है और इस मिशन का उद्देश्य महत्वपूर्ण रिसर्च करना है। हालांकि, यह पता नहीं चला है कि स्पेसप्लेन किस दिशा में भेजा गया है। इससे पहले यह छह मिशंस को पूरा करने में 3,774 दिन लगा चुका है। इस स्पेसप्लेन का पिछला मिशन रिकॉर्ड 908 दिनों का था। इसके मिशंस को सीक्रेट रखा गया है। इसका डिजाइन अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के स्पेस शटल के लगभग समान है। ऐसा कहा जा रहा है कि X-37B के मिशंस का उद्देश्य धरती पर इस्तेमाल के लिए स्पेस से सोलर एनर्जी के ट्रांसमिशन और खाद्यान्न को उगाने के लिए इस्तेमाल होने वाले बीजों पर रेडिएशन के प्रभाव जैसे कॉन्सेप्ट्स पर रिसर्च करना है। 

कुछ सप्ताह पहले चीन ने अपने रोबोट स्पेसप्लेन Shenlong को तीसरे मिशन पर ऑर्बिट में भेजा था। X-37B को Boeing ने बनाया है और इसका साइज लगभग एक स्मॉल बस जितना है। अपने मिशन को समाप्त करने के बाद यह वातावरण के जरिए वापस नीचे आता है और एक एयरप्लेन की तरह रनवे पर लैंड करता है। स्पेस में ऑब्जेक्ट्स को ट्रैकिंग करने से जुड़ी फर्म COMSPOC के CEO, Paul Graziani ने बताया कि एक पावरफुल रॉकेट के इस्तेमाल से यह संकेत मिल रहा है कि X-37B को स्पेस में पेलोड के लिए स्पेस में कुछ दूरी पर भेजा गया है। 

उनका कहना था, "अगर सेना यह नहीं चाहती कि लोग X-37B को ट्रैक करें तो इसे सूर्य की रोशनी या कुछ अन्य जरियों से छिपाया जा सकता है।" ऐसी अटकल है कि यह स्पेसप्लेन जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट की ओर बढ़ रहा है जो धरती से लगभग 36,000 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। NASA के अभियानों से अंतरिक्ष के बारे में नई जानकारी मिलती रहती है। इसके जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप से लेकर हबल टेलीस्‍कोप और तमाम दूरबीनों की मदद से इमेजेस को कैप्‍चर किया जाता है। धरती से 400 किलोमीटर ऊपर पृथ्‍वी का चक्‍कर लगा रहा इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन भी अंतरिक्ष और पृथ्‍वी के बारे में जानकारियां दे रहा है। यह रिसर्चर्स के लिए काफी उपयोगी है। 
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आकाश आनंद

Gadgets 360 में आकाश आनंद डिप्टी न्यूज एडिटर हैं। उनके पास प्रमुख ...और भी

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