इस रॉकेट से 200वां लॉन्च केरल के तिरुवनंतपुरम में थुंबा इक्वाटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन से किया गया। इस वर्ष ISRO की कुछ बड़ी उपलब्धियों में यह शामिल है
Written by आकाश आनंद,
अपडेटेड: 24 नवंबर 2022 17:39 IST
इस वर्ष ISRO की कुछ बड़ी उपलब्धियों में यह शामिल है
ख़ास बातें
इसका इस्तेमाल वातावरण और मौसम से जुड़ी स्टडीज के लिए किया जा रहा है
ISRO अपने तीसरे मून मिशन को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है
अगले साल जून में चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साउंडिंग रॉकेट RH200 से 200वां सफल लॉन्च किया गया है। ISRO ने इसे एक ऐतिहासिक क्षण बताया है। यह लॉन्च केरल के तिरुवनंतपुरम में थुंबा इक्वाटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन से किया गया। इस वर्ष ISRO की कुछ बड़ी उपलब्धियों में यह शामिल है।
ISRO ने बताया, "भारतीय साउंडिंग रॉकेट्स का इस्तेमाल साइंटिफिक कम्युनिटी के लिए स्पेस फिजिक्स में एक्सपेरिमेंट्स के महत्वपूर्ण टूल के तौर पर किया जाता है।" धरती के वातावरण की के साइटंफिक एक्सप्लोरेशन के लिए इक्वाटोरियल इलेक्ट्रोजेट (EEJ) और मॉनसून एक्सपेरिमेंट (MONEX) जैसे अभियानों में साउंडिंग रॉकेट प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया था। ISRO के भारी और जटिल लॉन्च व्हीकल्स में Rohini Sounding Rocket (RSR) सीरीज प्रमुख है। इसका इस्तेमाल वातावरण और मौसम से जुड़ी स्टडीज के लिए किया जा रहा है।
हाल ही में ISRO की कमर्शियल यूनिट न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से OneWeb के 36 ब्रॉडबैंड सैटेलाइट्स का सफल लॉन्च किया था। लो अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट कम्युनिकेशंस फर्म OneWeb में भारती ग्लोबल सबसे बड़ी इनवेस्टर है। यह ISRO और NSIL के लिए बड़े कमर्शियल ऑर्डर्स में से एक है। यह ऐसा पहला ऑर्डर है कि जिसमें LVM3 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है।
OneWeb ने बताया कि वह अगले वर्ष तक पूरे देश में हाई-स्पीड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने की योजना बना रही है। OneWeb के लिए यह 14वां और इस वर्ष का दूसरा लॉन्च है। इससे फर्म के सैटेलाइट्स की कुल संख्या 462 हो गई है। यह इसकी 648 लो अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट रखने की योजना का 70 प्रतिशत से अधिक है। OneWeb ने कहा था, "फर्म के चार लॉन्च बाकी है और इसके बाद अगले वर्ष तक ग्लोबल कवरेज शुरू करने के लिए OneWeb तैयार हो जाएगी। फर्म के कनेक्टिविटी सॉल्यूशंस पहले ही 50-डिग्री लैटिट्यूड के उत्तर में मौजूद हैं।" पूरी तरह स्वदेशी टेक्नोलॉजी से बनाया गया LVM3 रॉकेट अभी तक चार सफल मिशन में शामिल रहा है। इनमें महत्वपूर्ण चंद्रयान-2 मिशन शामिल है। ISRO अपने तीसरे मून मिशन को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। अगले साल जून में चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा। यह चंद्रमा की सतह पर खोज को लेकर एक महत्वपूर्ण अभियान है।