देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) से जुड़ी इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की नई EV पॉलिसी को जल्द शुरू किया जा सकता है। इस पॉलिसी का उद्देश्य इंटरनेशनल ऑटोमोबाइल कंपनियों को देश में EVs की मैन्युफैक्चरिंग करने के लिए प्रोत्साहित करना है। हालांकि, बिलिनेयर Elon Musk की Tesla को इस पॉलिसी ज्यादा दिलचस्पी नहीं है।
पिछले वर्ष मार्च में इस EV की पॉलिसी की घोषणा की गई थी। Bloomberg News की एक
रिपोर्ट में हेवी इंडस्ट्रीज और स्टील मिनिस्टर H D Kumaraswamy के हवाले से बताया गया है कि इस पॉलिसी के तहत जल्द आवेदन मांगे जा सकते हैं। इसमें 35,000 डॉलर तक के इम्पोर्ट्ड इलेक्ट्रिक व्हीकल पर ड्यूटी को घटाकर 15 प्रतिशत करने की पेशकश की गई है। हालांकि, इम्पोर्ट ड्यूटी में छूट का फायदा लेने के लिए EV कंपनी को तीन वर्षों के अंदर देश में फैक्टरी लगाने में न्यूनतम 50 करोड़ डॉलर का निवेश करना होगा। इस पॉलिसी में घटी हुई ड्यूटी पर 8,000 कारों तक का वार्षिक इम्पोर्ट किया जा सकेगा। इस पॉलिसी का फायदा लेने वाली कंपनियों के लिए वित्तीय पात्रता की शर्त को सख्त बनाया गया है। इसमें EV मेकर को अपने बिजनेस के चौथे वर्ष में न्यूनतम 50 अरब रुपये का न्यूनतम रेवेन्यू हासिल करना होगा। इस शर्त को पूरा नहीं करने वाली कंपनी को रेवेन्यू में अंतर का तीन प्रतिशत तक पेनल्टी के तौर देना होगा।
हालांकि, कुमारस्वामी ने बताया है कि इस पॉलिसी में टेस्ला के शामिल होने की कम संभावना है क्योंकि वह देश में मैन्युफैक्चरिंग नहीं करना चाहती। टेस्ला की योजना शोरूम और डीलरशिप्स के जरिए इम्पोर्टेड इलेक्ट्रिक कारें बेचने की है। इस बारे में कुमारस्वामी ने अधिक जानकारी नहीं दी है। टेस्ला की जल्द भारत में बिजनेस शुरू करने की तैयारी है। हालांकि, देश में अधिक इम्पोर्ट ड्यूटी को लेकर मस्क ने नाराजगी भी जाहिर की थी।
चीन की BYD के EV की देश में बिक्री की जा रही है। सरकार के चीन को लेकर सख्त रवैया रखने की वजह से BYD के लिए इस पॉलिसी में शामिल होना मुश्किल है। वियतनाम की
VinFast इस पॉलिसी की शुरुआत से पहले ही देश में फैक्टरी का निर्माण कर रही है। VinFast ने देश में अपनी VF6 और VF7 को लॉन्च करने की पुष्टि की है। इन दोनों इलेक्ट्रिक SUVs का डिजाइन और डिवेलपमेंट वियतमाम में किया गया है। हालांकि, इन SUVs में भारतीय स्थितियों के अनुसार बदलाव किए जाएंगे। मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि यह EV पॉलिसी नाकाम हो सकती है क्योंकि टेस्ला, BYD और VinFast जैसी बड़ी EV कंपनियों के इसमें शामिल नहीं होने से इसका ज्यादा फायदा नहीं होगा।