रिसर्चर्स ने हिमालय की बर्फ में छुपी लगभग 1700 प्राचीन वायरस प्रजातियों का पता लगाया है। जो वायरस मिले हैं, उनमें से लगभग तीन-चौथाई के बारे में साइंटिस्ट नहीं जानते थे। तिब्बत के पठार पर स्थित गुलिया ग्लेशियर से बर्फ की परतों के सैंपल लिए थे। उनमें वायरस प्रजातियां मिलीं। यह जगह समुद्र तल से लगभग 6400 मीटर ऊपर है। रिसर्चर्स समझना चाहते हैं कि वायरस, मौमस में होने वाले बदलावों के साथ तालमेल कैसे बैठाते हैं।
इससे पहले वैज्ञानिक मानते आए थे कि संक्रामक रोगों ने निएंडरथल के खात्मे में अहम भूमिका निभाई होगी। लेकिन इसके लिए शोधकर्ताओं के पास कोई पुख्ता प्रमाण नहीं थे।
स्वास्थ्य मंत्री वीना जियॉर्ज ने एक मीडिया बयान में बताया कि संक्रमित मरीजों की संख्या 1080 पहुंच चुकी है जबकि इसमें 130 नए लोगों में संक्रमण पाया गया है। इनमें 327 तो वे लोग हैं जो हेल्थ वर्कर हैं।
'Daam' फोन कॉल रिकॉर्डिंग, कॉन्टैक्ट्स को हैक करने, कैमरे का एक्सेस प्राप्त करने, डिवाइस पासवर्ड को बदलने, स्क्रीनशॉट कैप्चर करने, SMS चोरी करने, फाइल डाउनलोड/अपलोड करने और C2 (कमांड-एंड-कंट्रोल) सर्वर से ट्रांसमिट करने में भी सक्षम है।
वैज्ञानिकों ने जिस जीव को खोजा है, वह हेलटेरिया (Halteria) की एक प्रजाति माइक्रोस्कोपिक सिलियेट्स (microscopic ciliates) है। यह दुनियाभर में मीठे पानी को साफ करती है।
इस खोज से एंटी-माइक्रोबियल दवाओं के विकास में मदद मिल सकती है और उन नुकसानदेह कवक (fungi) और परजीवियों (parasites) से बचाव हो सकता है, जो कृषि के लिए हानिकारक हैं।
वैज्ञानिकों ने यहां 13 वायरस को खोजा है और उन्हें फिर से जीवित कर दिया है। ये वायरस 5 अलग जीव समूहों से ताल्लुक रखते हैं। इनमें से एक वायरस 48,500 साल पुराना है।
रिपोर्टों में कहा गया है कि अमेरिकी रिसर्चर्स ने लैब में कोविड-19 वायरस का एक खतरनाक वैरिएंट डेवलप किया है। दावा है कि यह बेहद खतरनाक है और इससे संक्रमितों में मृत्यु दर 80% है।
रिपोर्टों में कहा गया है कि अमेरिकी रिसर्चर्स ने लैब में कोविड-19 वायरस का एक खतरनाक वैरिएंट डेवलप किया है। दावा है कि यह बेहद खतरनाक है और इससे संक्रमितों में मृत्यु दर 80% है।
यह फेस मास्क हवा में मौजूद सामान्य श्वसन वायरस, जैसे- इन्फ्लूएंजा और कोविड-19 का पता लगा सकता है। अगर हवा में वायरस है, तो मास्क 10 मिनट में अपने यूजर्स के मोबाइल पर जानकारी भेज सकता है।