• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • गजब : वैज्ञानिकों ने खोजे 1 लाख नए टाइप के वायरस, मिट्टी, समुद्र, सीवेज, गीजर तक से लिए सैंपल

गजब : वैज्ञानिकों ने खोजे 1 लाख नए टाइप के वायरस, मिट्टी, समुद्र, सीवेज, गीजर तक से लिए सैंपल

यह स्‍टडी तेल अवीव यूनिवर्सिटी (Tel Aviv University) ने की है, जो बताती है कि इस खोज के बाद RNA वायरसों की संख्‍या करीब 9 गुना बढ़ गई है।

गजब : वैज्ञानिकों ने खोजे 1 लाख नए टाइप के वायरस, मिट्टी, समुद्र, सीवेज, गीजर तक से लिए सैंपल

यह स्‍टडी डॉक्टरेट के छात्र उरी नेरी ने तेल अवीव यूनिवर्सिटी में लाइफ साइंस के प्रोफेसर उरी गोफना की गाइडेंस में पूरी की।

ख़ास बातें
  • तेल अवीव यूनिवर्सिटी ने की स्‍टडी
  • RNA वायरसों की संख्‍या 9 गुना तक बढ़ी
  • दुनियाभर के संस्‍थानों ने किया स्‍टडी में सहयोग
विज्ञापन
दुनियाभर के 100 से ज्‍यादा वैज्ञानिकों ने मिलकर लगभग एक लाख नए टाइप के वायरसों (Virus) की खोज की है, जिनके बारे में अब तक जानकारी नहीं थी। यह स्‍टडी तेल अवीव यूनिवर्सिटी (Tel Aviv University) ने की है, जो बताती है कि इस खोज के बाद RNA वायरसों की संख्‍या करीब 9 गुना बढ़ गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वैज्ञानिकों ने एक लाख नए वायरसों को मिट्टी के नमूनों, झीलों और दूसरे इकोसिस्‍टम में खोजा, जाेकि अभूतपूर्व है। इस स्‍टडी में दुनियाभर के संस्‍थानों ने सहयोग किया। 

स्‍टडी बताती है कि इस खोज से एंटी-माइक्रोबियल दवाओं (anti-microbial drugs) के विकास में मदद मिल सकती है और उन नुकसानदेह कवक (fungi) और परजीवियों (parasites) से बचाव हो सकता है, जो कृषि के लिए हानिकारक हैं। 

यह स्‍टडी डॉक्टरेट के छात्र उरी नेरी ने तेल अवीव यूनिवर्सिटी में लाइफ साइंस के प्रोफेसर उरी गोफना की गाइडेंस में पूरी की। स्‍टडी में अमेरिका की रिसर्च बॉडीज NIH और JGI के अलावा फ्रांस में पाश्चर इंस्टिट्यूट (Pasteur Institute) ने भी सहयोग किया। स्‍टडी को जर्नल सेल (journal Cell) में पब्लिश किया गया है, जिसमें दुनिया भर के 100 से ज्‍यादा वैज्ञानिकों का जुटाया गया डेटा शामिल था।

उरी नेरी ने बताया कि स्‍टडी के दौरान दुनियाभर से सैंपल जुटाए गए। ये सैंपल महासागरों, मिट्टी, सीवेज यहां तक कि गीजर तक से लिए गए। RNA वायरस का पता लगाने के लिए रिसर्चर्स ने नई कम्प्यूटेशनल तकनीकों का इस्तेमाल किया। स्‍टडी कहती है कि वायरस, जेनेटिक पैरासाइट्स होते हैं। इसका मतलब है कि उन्हें अपनी जेनेटिक इन्‍फर्मेशन को रेप्लिकेट करने, नए वायरस पैदा करने और इन्‍फेक्‍शन साइकल को पूरा करने के लिए एक जीवित कोशिका (living cell) को संक्रमित करना होगा। 

कुछ वायरस, रोग पैदा करने वाले एजेंट होते हैं और इंसानों को नुकसान पहुंचा सकते हैं जैसे कोरोना वायरस। इसके बावजूद ज्‍यादा वायरस हमें नुकसान नहीं पहुंचाते। कुछ हमारे शरीर अंदर रहते हैं, लेकिन उनसे कोई नुकसान नहीं होता। स्‍टडी बताती है कि हमारी दुनिया में वायरसों का विस्‍तार कितना अधिक है खासतौर पर RNA वायरस। 
 

Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

संबंधित ख़बरें

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. MG Motor की Windsor EV को जोरदार रिस्पॉन्स, कंपनी को प्रति दिन मिल रही 200 बुकिंग्स
  2. Infinix ने 40 इंच फुलएचडी डिस्प्ले, 16W साउंड के साथ नया स्मार्ट TV किया लॉन्च, जानें कीमत
  3. iPhone 16e को Rs 4 हजार सस्ता खरीदने का मौका! प्री-ऑर्डर के साथ कंपनी लाई धांसू ऑफर
  4. IND vs PAK Live Streaming: भारत-पाकिस्तान के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का महामुकाबला, यहां देखें फ्री!
  5. Tata Motors की बड़ी कामयाबी, 2 लाख से ज्यादा EV की बिक्री
  6. Xiaomi 22.5W फास्ट चार्जर पर भारी छूट, Amazon पर मात्र Rs 599 में खरीदने का मौका!
  7. iPhone 17 में Apple लगाएगी अपनी खुद की WiFi चिप! यहां हुआ खुलासा
  8. Chhaava Box Office Collection Day 8: विक्की कौशल की फिल्म 'छावा' Rs 242 करोड़ के पार, पीएम मोदी ने भी की तारीफ!
  9. क्रिप्टोकरेंसी की सबसे बड़ी चोरी, Bybit एक्सचेंज को हुआ 1.5 अरब डॉलर का नुकसान
  10. 6.5 हजार फीट नीचे समुद्र में तैरने वाली भयानक मछली कैमरा में कैद! देखें वीडियो
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »