रिसर्चर्स ने हिमालय की बर्फ में छुपी लगभग 1700 प्राचीन वायरस प्रजातियों (virus species) का पता लगाया है। यह स्डटी नेचर जियोसाइंस मैगजीन में पब्लिश हुई है। इसमें कहा गया है कि जो वायरस मिले हैं, उनमें से लगभग तीन-चौथाई वायरस के बारे में साइंटिस्ट नहीं जानते थे। वैज्ञानिकों ने तिब्बत के पठार पर स्थित गुलिया ग्लेशियर (Guliya Glacier) से बर्फ की परतों के सैंपल लिए थे। उनमें वायरस प्रजातियां मिलीं। गुलिया ग्लेशियर समुद्र तल से लगभग 6400 मीटर ऊपर है। रिसर्चर्स यह समझना चाहते हैं कि वायरस, मौमस में होने वाले बदलावों के साथ तालमेल कैसे बैठाते हैं।
न्यूजवीक की
रिपोर्ट के अनुसार, स्टडी के को-ऑथर और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी से जुड़े साइंटिस्ट झिपिंग झोंग ने कहा है कि वायरस किस तरह क्लाइमेट चेंज से जुड़े हैं, इसकी जांच पहले कभी नहीं की गई। उन्होंने कहा कि हमारे पास वायरल और माइक्रोब्स पर रिसर्च के लिए ऐसा मटीरियल नहीं होता है, इस मामले में ग्लेशियर बर्फ बहुत कीमती है।
स्टडी के अनुसार, 2015 में वायरसों को खोजा गया। इन्होंने पिछले 41 हजार साल में तीन ठंडे-गर्म मौसम चक्रों को देखा। वैज्ञानिकों ने सैंपलों से एक ऐसा वायरस भी खोजा, जो लगभग 11 हजार 500 साल पहले का है। उस वक्त पृथ्वी की जलवायु ठंड से गर्म में बदल रही थी। वर्तमान में हम इसी मौमस में रहते हैं।
कई और जानकारियां वैज्ञानिकों को मिली हैं जैसे- लगभग एक चौथाई वायरस दूसरी जगहों पर पाई जाने वाली प्रजातियों से ओवरलैप हुए हैं। यानी कुछ वायरस मध्य पूर्व या आर्कटिक के इलाकों से आए।
इस खोज के बाद रिसर्चर्स को लगता है कि वो यह भविष्यवाणी बेहतर तरीके से कर पाएंगे कि फ्यूचर में वायरस क्लाइमेट चेंज पर कैसे रिएक्ट करेंगे। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, साइबेरिया समेत दुनियाभर में ऐसे वायरस का पता चला है, जो जमे हुए हैं लेकिन इंसानों को संक्रमित करने की क्षमता उनमें है।