• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • पहली बार वैज्ञानिकों को मिला वायरस खाने वाला जीव, क्‍या कोरोना जैसी बीमारियां हो जाएंगी खत्‍म?

पहली बार वैज्ञानिकों को मिला वायरस खाने वाला जीव, क्‍या कोरोना जैसी बीमारियां हो जाएंगी खत्‍म?

वायरसों को खाने वाले जीवों को वैज्ञानिकों ने वीरोवोरी (virovore) नाम दिया है। नेब्रास्का-लिंकन यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजिस्ट जॉन डेलॉन्ग और उनकी टीम ने यह सफलता हासिल की है।

पहली बार वैज्ञानिकों को मिला वायरस खाने वाला जीव, क्‍या कोरोना जैसी बीमारियां हो जाएंगी खत्‍म?

Photo Credit: phys.org

रिसर्चर्स ने यह भी पाया कि जब हेलटेरिया ने क्लोरोवायरस को खाया, तो हेलटेरिया की आबादी तेजी से बढ़ने लगी।

ख़ास बातें
  • यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का-लिंकन के रिसर्चर्स ने की खोज
  • माइक्रोस्कोपिक सिलियेट्स का लगाया पता
  • इन जीवों को वैज्ञानिकों ने वीरोवोरी नाम दिया है
विज्ञापन
कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को यह बता दिया है कि कोई वायरस कितना खतरनाक हो सकता है। दो साल से हम कोविड-19 से लड़ रह हैं। वैज्ञानिक भी इसका पुख्‍ता इलाज तलाशने में जुटे हैं। उनकी तलाश एक जीव पर जाकर खत्‍म हो सकती है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने एक ऐसे जीव का पता लगाया है, जो वायरस को खाता है। यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का-लिंकन के रिसर्चर्स ने यह खोज की है। वैज्ञानिकों ने जिस जीव को खोजा है, वह हेलटेरिया (Halteria) की एक प्रजाति माइक्रोस्कोपिक सिलियेट्स (microscopic ciliates) है। यह दुनियाभर में मीठे पानी को साफ करती है। 

रिसर्चर्स का कहना है कि हेलटेरिया की यह प्रजाति बड़ी संख्‍या में संक्रामक क्लोरोवायरस (chloroviruses) खा सकती है। दिलचस्‍प बात है कि यह जीव सिर्फ वायरस ही खाता है। दूसरे जीव भोजन के रूप में बाकी चीजें भी खा सकते हैं लेकिन माइक्रोस्कोपिक सिलियेट्स का भोजन सिर्फ और सिर्फ वायरस हैं।  

वायरसों को खाने वाले जीवों को वैज्ञानिकों ने वीरोवोरी (virovore) नाम दिया है। नेब्रास्का-लिंकन यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजिस्ट जॉन डेलॉन्ग और उनकी टीम ने यह सफलता हासिल की है। रिसर्चर्स ने यह भी पाया कि जब हेलटेरिया ने क्लोरोवायरस को खाया, तो हेलटेरिया की आबादी तेजी से बढ़ने लगी। 2 दिन के अंदर हेलटेरिया यानी वीरोवोरी की आबादी में 15 फीसदी का उछाल देखा गया, वहीं वायरसों की संख्‍या में कमी आ गई। 

यह स्‍टडी अपने शुरुआत मुकाम पर है। वैज्ञानिक यह पता लगा रहे हैं कि क्‍या ऐसा पानी के अलावा यानी जमीन पर भी हो रहा है। रिसर्चर्स की स्‍टडी के निष्कर्ष प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित किए गए हैं। वैज्ञानिकों को लगता है कि जो उन्‍होंने पानी में पाया है, अगर वही बड़े पैमाने पर हो रहा है, तो ग्‍लोबल कार्बन साइक्लिंग का विचार पूरी तरह से बदल जाना चाहिए। स्‍टडी के लिए रिसर्चर्स ने एक तालाब से पानी लिया। उन्‍होंने देखा कि दो दिनों में क्लोरोवायरस की संख्या 100 गुना तक कम हो गई। 
 

Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

संबंधित ख़बरें

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
#ताज़ा ख़बरें
  1. Samsung के Galaxy S25+ में मिल सकता है Exynos 2500 SoC, जल्द लॉन्च की तैयारी
  2. BSNL Live TV vs JioTV+ : क्‍या फर्क है बीएसएनल लाइव टीवी और जियो टीवी प्‍लस में? जानें
  3. Reliance Jio की IPO लाने की तैयारी, 100 अरब डॉलर से ज्यादा का वैल्यूएशन
  4. Realme GT 7 Pro vs iQOO 13: कौन सा फोन Snapdragon 8 Elite चिपसेट के साथ है बेस्ट चॉइस? जानें
  5. Acer ने 10 घंटे तक बैटरी लाइफ और 10.36-इंच तक स्क्रीन साइज वाले 2 Iconia टैबलेट किए लॉन्च, कीमत 11,990 रुपये से शुरू
  6. Upcoming Electric Scooters in India: Honda, TVS और Suzuki के धांसू इलेक्ट्रिक स्कूटर्स जल्द होंगे भारत में लॉन्च, जानें सब कुछ
  7. OnePlus Ace 5 Pro होगा पावरफुल Snapdragon 8 Elite प्रोसेसर के साथ आने वाला सबसे सस्ता फोन? डिटेल्स हुईं लीक
  8. 55 घंटों तक बैटरी लाइफ के साथ Philips ने लॉन्‍च किए 4 TWS ईयरबड्स, एक ईयरफोन, जानें खूबियां
  9. शनि के सबसे बड़े चंद्रमा पर है जीवन! नई स्टडी कर रही बड़ा दावा
  10. 16GB रैम, डाइमेंसिटी 9400 प्रोसेसर के साथ लॉन्‍च होगा iQOO Neo 10 Pro
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2024. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »