अम‍ेरिकी लैब में बना कोविड का हाइब्रिड वायरस है कितना है हानिकारक?

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि रिसर्चर्स ने कोविड वायरस को ज्‍यादा घातक बना दिया है।

अम‍ेरिकी लैब में बना कोविड का हाइब्रिड वायरस है कितना है हानिकारक?

एक बयान में बोस्टन यूनिवर्सिटी ने कहा है कि यह रिसर्च गेन-ऑफ-फंक्शन रिसर्च नहीं है। इसका मतलब है कि इसने वाशिंगटन में SARS-CoV-2 वायरस के तनाव को नहीं बढ़ाया या इसे और अधिक खतरनाक नहीं बनाया।

विज्ञापन
Covid-19 महामारी से जूझ रहे दुनिया के देशों के सामने एक रिसर्च ने चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्टों में कहा गया है कि अमेरिकी रिसर्चर्स ने लैब में कोविड-19 वायरस का एक खतरनाक वैरिएंट डेवलप किया है। दावा है कि यह बेहद खतरनाक है और इससे संक्रमितों में मृत्‍यु दर 80% है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि रिसर्चर्स ने कोविड वायरस को ज्‍यादा घातक बना दिया है। बताया जाता है कि नया म्‍यूटेंट वैरिएंट, मूल कोविड-19 और ओमिक्रॉन का एक हाइब्रिड है। रिसर्च करने वाली बोस्‍टन यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने इन दावों को ‘झूठा और गलत' बताया है। 

लाइव साइंस के अनुसार, नया ओमिक्रॉन स्पाइक-कैरिंग वायरस, ओमिक्रॉन वैरिएंट से स्पाइक प्रोटीन को मूल SARS-CoV-2 वायरस से जोड़कर बनाया गया है। बताया जाता है कि इससे संक्रमित 80% चूहे लैब में मर गए। इससे यह मूल ओमिक्रॉन वैरिएंट से भी ज्‍यादा गंभीर हो गया है। इसके मुकाबले मूल ओमिक्रॉन वैरिएंट ने किसी चूहे को नहीं मारा था। हालांकि नया हाइब्रिड वायरस उस वायरस से कम घातक था, जो वुहान में था और जिसने 100 फीसदी लैब के चूहों को मार डाला था। 

रिसर्चर्स का कहना है कि चूहों में ओमिक्रॉन हल्के और गैर घातक संक्रमण का कारण बनता है। वहीं, हाइब्रिड वायरस 80 फीसदी मृत्यु दर के साथ गंभीर बीमारी शुरू करता है। रिसर्चर्स का कहना है कि स्पाइक प्रोटीन संक्रामता के लिए जिम्मेदार है। इसकी संरचना में बदलाव से यह ज्‍यादा घातक हो जाता है। रिसर्चर्स ने अपनी फाइंडिंग्‍स को 14 अक्टूबर को प्रीप्रिंट डेटाबेस bioRxiv पर पब्लिश किया है। इनका पियर-रिव्‍यू होना बाकी है। 

हालांकि तमाम मीडिया रिपोर्टों में इस रिसर्च पर सवाल उठाए जा रहे हैं। रिसर्च को खतरनाक बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस रिसर्च ने एक खतरनाक वैरिएंट को जन्‍म दे दिया है। अब रिसर्चर्स ने अपना पक्ष रखा है। एक बयान में बोस्टन यूनिवर्सिटी ने कहा है कि यह रिसर्च गेन-ऑफ-फंक्शन रिसर्च नहीं है। इसका मतलब है कि इसने वाशिंगटन में SARS-CoV-2 वायरस के तनाव को नहीं बढ़ाया या इसे और अधिक खतरनाक नहीं बनाया। इस शोध ने वायरस को कम खतरनाक बना दिया। एनईआईडीएल के डायरेक्‍टर रोनाल्ड बी. कॉर्ली ने कहा है कि मीडिया रिपोर्टों ने ‘मैसेज को सनसनीखेज बना दिया' और ‘स्‍टडी और इसके लक्ष्यों को पूरी तरह से गलत तरीके से प्रस्तुत किया।'
 

Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

संबंधित ख़बरें

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. 11 महीने तक 24GB डेटा, अनलिमिटिड कॉलिंग, फ्री बेनिफिट्स के साथ BSNL लाई धमाकेदार प्लान
  2. Samsung Galaxy M17 5G vs Redmi 15 5G vs Motorola G45 5G: कौन सा किफायती फोन है बेस्ट
  3. WhatsApp पर चुपचाप चैट में फोटो या लिंक देखने का आसान तरीका, सामने वाले को नहीं लगेगी भनक
  4. अपने फोन में ये सेटिंग्स ऑन कर ली तो कभी लीक नहीं होगा पासवर्ड!
  5. Flipkart दिवाली सेल: 4 हजार रुपये सस्ता मिल रहा Realme का 50MP मेगापिक्सल कैमरा वाला फोन
  6. iPhone Air की 'हवा' मार्केट में हुई सुस्त, Apple घटाएगी फोन का प्रोडक्शन!
  7. iPhone 17 दिवाली ऑफर! यहां मिल रहा Rs 6 हजार तक सस्ता, ऐसे लागू होगा डिस्काउंट
  8. BSNL कर रही रिकवरी, 9 करोड़ से ज्यादा हुए कस्टमर्स
  9. iQOO 15 लॉन्च से पहले स्पेसिफिकेशंस लीक, मिलेंगे 144Hz डिस्प्ले, 7000mAh बैटरी, 100W चार्जिंग जैसे फीचर्स!
  10. IND vs AUS 1st ODI Live: भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया पहले वनडे आज, ऐसे देखें फ्री
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »