अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी
नासा (Nasa) ने अपने लेटेस्ट सैटेलाइट को लॉन्च कर दिया है। इसका नाम पेस (Pace) है, जिसका पूरा मतलब है- Plankton, Aerosol, Cloud, Ocean Ecosystem (प्लैंकटन, एरोसोल, क्लाउड, महासागर इकोसिस्टम)। जैसाकि नाम से ही जाहिर होता है, यह सैटेलाइट दुनियाभर के महासागरों और वायमुंडल के बारे में वो जानकारियां जुटाएगा, जो अबतक छुपी हुई हैं। Pace सैटेलाइट को एलन मस्क की स्पेस कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) ने लॉन्च किया। मिशन की लागत 948 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 7866 करोड़ रुपये) है।
रिपोर्ट के अनुसार, स्पेसएक्स के फाल्कन रॉकेट ने सैटेलाइट को लॉन्च किया। यह सैटेलाइट पृथ्वी से 676 किलोमीटर ऊपर रहकर पृथ्वी के महासागरों और वायुमंडल को स्टडी करेगा। तीन साल का यह मिशन हर रोज 2 साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए ग्लोब को स्कैन करेगा।
प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जेरेमी वेर्डेल ने कहा कि यह हमारे ग्रह के लिए अभूतपूर्व है। सैटेलाइट के ऑब्जर्वेशन से वैज्ञानिकों को तूफान व मौसम के अन्य पूर्वानुमानों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। यह भी पता चलेगा कि टेंपरेचर बढ़ने से हमारे ग्रह पर क्या असर हो रहा है।
Pace मिशन से पहले भी नासा के करीब दो दर्जन अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट अंतरिक्ष से पृथ्वी को टटोल रहे हैं। पेस मिशन इसलिए अलग होगा क्योंकि यह इस बारे में जानकारी दे सकता है कि प्रदूषक और ज्वालामुखी की राख जैसे वायुमंडलीय एरोसोल, शैवाल और प्लैंकटन जैसे समुद्री जीवन के साथ कैसे इंटरेक्ट करते हैं। कुल मिलाकर यह हानिकारक शैवालों और प्रदूषकों के बीच कनेक्शन का पता लगा सकता है।
खास यह भी है कि मौजूदा सैटेलाइट्स सात या आठ रंगों में पृथ्वी का ऑब्जर्वेशन कर सकते हैं, जबकि पेस सैटेलाइट 200 कलर्स में हमारे ग्रह को टटोलेगा। इससे वैज्ञानिकों को समुद्र में शैवाल के टाइप और हवा में मौजूद प्रदूषकों के प्रकारों की पहचान करने में मदद मिलेगी। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उन्हें एक-दो महीने में डेटा मिलने लगेगा।