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भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला पहुंचे स्पेस स्टेशन, Dragon स्पेसक्राफ्ट की हुई डॉकिंग

धरती के आसपास ISS बहुत तेजी से घूम रहा है और इसे एक ऑर्बिटल साइकल को पूरा करने में लगभग 90 मिनट लगते हैं

भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला पहुंचे स्पेस स्टेशन, Dragon स्पेसक्राफ्ट की हुई डॉकिंग

Axiom-4 मिशन के क्रू के सदस्य ISS पर कई एक्सपेरिमेंट्स करेंगे

ख़ास बातें
  • इस मिशन के पायलट के तौर पर जिम्मेदारी शुक्ला ने संभाली है
  • स्पेसक्राफ्ट Dragon की गुरुवार को 4.01 पर ISS के साथ डॉकिंग हुई है
  • Axiom-4 मिशन के क्रू के सदस्य ISS पर कई एक्सपेरिमेंट्स करेंगे
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देश के अंतरिक्ष से जुड़े इतिहास में गुरुवार को नया इतिहास जुड़ गया है। Axiom-4 मिशन में शामिल भारतीय एस्ट्रोनॉट Shubhanshu Shukla ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंचकर एक बड़ी सफलता हासिल की है। इस मिशन के चार सदस्यीय क्रू में शुक्ला के अलावा अमेरिका की Peggy Whitson, पोलैंड के Slawosz Uznanski Wisniewski और हंगरी के Tibor Kapu शामिल हैं। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री Rakesh Sharma ने 1984 में अंतरिक्ष में पहुंचकर इतिहास बनाया था। 

अमेरिका में कैलिफोर्निया के Kennedy Space Centre से बुधवार को  SpaceX का Falcon 9 रॉकेट इस मिशन के स्पेसक्राफ्ट Dragon के साथ बुधवार को 12.01 PM पर लॉन्च किया गया था। इस स्पेसक्राफ्ट की लगभग 29 घंटे की उड़ान के बाद गुरुवार को 4.01 पर ISS के साथ डॉकिंग हुई है। इस डॉकिंग के बाद Axiom-4 मिशन का क्रू और कार्गो ISS पर पहुंचा है। इस मिशन के पायलट के तौर पर जिम्मेदारी शुक्ला ने संभाली है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के केनेडी स्पेस सेंटर से ISS की दूसरी 400 किलोमीटर से अधिक की है। 

धरती के आसपास ISS बहुत तेजी से घूम रहा है और इसे एक ऑर्बिटल साइकल को पूरा करने में लगभग 90 मिनट लगते हैं। Dragon स्पेसक्राफ्ट को ऑर्बिट के अपने रास्ते को ISS की मौजूदा स्थिति के साथ सिंक्रोनाइज करने के लिए काफी एडजस्टमेंट करने पड़े हैं। इसके लिए यह स्पेसक्राफ्ट अपनी रफ्तार और रास्ते में बदलाव करने के दौरान कम से कम दो बार धरती के आसपास घूमा है। यह प्रक्रिया ISS के साथ सटीक और सुरक्षित डॉकिंग के लिए महत्वपूर्ण है। 

Axiom-4 मिशन के क्रू के सदस्य ISS पर कई एक्सपेरिमेंट्स करेंगे। इनमें से सात एक्सपेरिमेंट्स की अगुवाई शुक्ला करेंगे। इस मिशन में 31 देशों की भागीदारी है  इस मिशन को सुरक्षा के साथ ISS पर पहुंचाने के लिए NASA और अमेरिकी स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपर Axiom Space ने कड़ी तैयारी की थी। इसके लिए मिशन के लॉन्च को भी कई बार टाला भी गया था। इन एस्ट्रोनॉट्स के साथ शून्य ग्रेविटी के उनके संकेतक के तौर पर Joy कहे जाने वाले एक स्वैन टॉय को भी भेजा गया है। इस मिशन से भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO को देश के पहले ह्युमन स्पेस मिशन Gaganyaan की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण सबक मिल सकते हैं। 

 
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आकाश आनंद

Gadgets 360 में आकाश आनंद डिप्टी न्यूज एडिटर हैं। उनके पास प्रमुख ...और भी

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