सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स से लाखों यूजर्स के डेटा की चोरी का एक मामला पकड़ा गया है। इसमें शामिल गैंग कथित तौर पर सरकार और महत्वपूर्ण संगठनों से जुड़े संवेदनशील डेटा की चोरी और बिक्री में शामिल था। इसमें 2.50 लाख से अधिक सैन्य कर्मियों की डिटेल्स और लगभग 16.8 करोड़ नागरिकों का गोपनीय डेटा शामिल है।
इस मामले में सायबराबाद पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों को 140 से अधिक कैटेगरी में इनफॉर्मेशन को बेचते पाया गया था। इसमें सैन्य कर्मियों के विवरण, नागरिकों और NEET स्टूडेंट्स के मोबाइल नंबर्स शामिल थे। सायबरा पुलिस कमिश्नर, M Stephen Raveendra ने संवाददाताओं को
बताया कि इस मामले में दिल्ली से डेटा के सात ब्रोकरेस को गिरफ्तार किया गया है। ये आरोपी नोएडा और अन्य स्थानों से तीन फर्मों (काल सेंटर्स) के जरिए यह कर रहे थे। यह पता चला है कि आरोपियों ने कम से कम 100 जालसाजों को डेटा बेचा था, जिन्होंने इसका इस्तेमाल सायबर अपराधों के लिए किया है। इस मामले की जांच चल रही है।
स्टीफन ने बताया कि आरोपियों के पास से सैन्य कर्मियों का संवेदनशील डेटा भी मिला है। इसमें उनके रैंक, ईमेल आईडी और तैनाती का स्थान जैसे विवरण हैं। स्टीफन ने कहा, "राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी इसका असर हो सकता है। सैन्य और सरकारी कर्मियों के डेटा का इस्तेमाल जासूसी के लिए किया जा सकता है।" आरोपी इस डेटा को कॉन्टैक्ट डिटेल्स सर्विस प्रोवाइडर और ऐसे अन्य प्लेटफॉर्म्स के जरिए बेच रहे थे और लगभग 50,000 नागरिकों का डेटा 2,000 रुपये तक की कम कीमत में बेचा जा रहा था। पुलिस ने बताया कि इस मामले में सर्विस प्रोवाइडर्स को भी नोटिस भेजे जाएंगे और उनकी जांच करने के बाद कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
आरोपियों ने
वॉट्सऐप के लगभग 1.2 करोड़ यूजर्स और फेसबुक के 17 लाख यूजर्स को निशाना बनाया था। पुलिस को दो करोड़ स्टूडेंट्स, 12 लाख CBSE के क्लास 12 के स्टूडेंट्स, जॉब की खोज कर रहे लगभग 40 लाख लोगों, 1.47 करोड़ कार मालिकों, 11 लाख सरकारी कर्मचारियों और 15 लाख IT प्रोफेशनल्स से जुड़ा डेटा भी मिला है। इसके अलावा तीन करोड़ लोगों का मोबाइल नंबर डेटाबेस भी आरोपियों के पास था। इसके टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स से लीक होने की आशंका है।