देश में पिछले कुछ वर्षों में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। केंद्र सरकार इन ट्रांजैक्शंस पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) को दोबारा लागू करने पर विचार नहीं कर रही। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने यह जानकारी दी है। मिनिस्ट्री ने कहा है कि डिजिटल तरीके से पेमेंट्स के लिए UPI एक कम कॉस्ट वाला प्लेटफॉर्म बना रहेगा।
हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार अधिक वैल्यू वाली
UPI पेमेंट्स पर शून्य MDR की दोबारा समीक्षा कर रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि MDR को 3,000 रुपये से अधिक की ट्रांजैक्शंस पर लागू करने पर विचार किया जा रहा है। NDTV Profit की एक रिपोर्ट में इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि अधिक वैल्यू वाली UPI ट्रांजैक्शंस पर MDR की अनुमति देने के एक प्रपोजल पर विचार किया जा रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री कार्यालय, डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज और डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के बीच हुई एक मीटिंग में पॉलिसी में बदलाव करने पर विचार किया गया था। हालांकि, सूत्रों ने कहा है कि सरकार की योजना कम वैल्यू वाली ट्रांजैक्शंस पर MDR लागू करने की कोई योजना नहीं है। UPI को ऑपरेट करने वाले नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की UPI के लिए 20 से 30 करोड़ नए यूजर्स को जोड़ने की योजना है। इसके रिटेल यूजर्स की संख्या 45 करोड़ से अधिक हो गई है।
UPI की लोकप्रियता तेजी से बढ़ने के साथ दुनिया में डिजिटल ट्रांजैक्शंस में भारत का योगदान भी बढ़ रहा है। हाल ही में PwC की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि पिछले 12 वर्षों में रिटेल डिजिटल पेमेंट्स में लगभग 90 गुणा की बढ़ोतरी हुई है। NPCI की योजना में UPI के फीचर्स बढ़ाना भी शामिल है। पिछले वर्ष की दूसरी छमाही में
मोबाइल फोन्स के इस्तेमाल से ट्रांजैक्शंस की वैल्यू बढ़कर 198 लाख करोड़ रुपये की थी। यह वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। इसमें UPI ट्रांजैक्शंस की बढ़ी हिस्सेदारी है। NPCI ने इन ट्रांजैक्शंस के लिए वॉल्यूम की लिमिट को दो वर्ष के लिए बढ़ाया था। इसके अलावा WhatsApp के सभी यूजर्स के लिए UPI सर्विसेज उपलब्ध कराने की अनुमति दी गई थी।