नई टेक्नोलॉजीज पर बेस्ड ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म और डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi) के रेगुलेशन के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने वैश्विक स्तर पर सहमति बनाने पर जोर दिया है। RBI ने पिछले वर्ष क्रिप्टोकरेंसीज पर रोक लगाने की मांग की थी। हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि वह इस सेगमेंट पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाएगी।
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक कॉन्फ्रेंस में
कहा, "क्या रेगुलेशन के लिए समन्वय की जरूरत है? क्या एक रेगुलेटर के लिए विदेश में अन्य रेगुलेटर्स के साथ सहयोग करने की जरूरत है? टेक्नोलॉजी रेगुलेटरी या देश के दायरे से आगे जाती है। इसका एक बड़ा उदाहरण ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी है। विभिन्न ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म्स को एक रेगुलेटर या एक विशेष देश के साथ नहीं जोड़ा जा सकता। एक अन्य उदाहरण DeFi का है, जहां फाइनेंशियल एप्लिकेशंस को सेंट्रलाइज्ड इंटरमीडियरीज के न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ एक ब्लॉकचेन पर प्रोसेस किया जाता है।"
उनका कहना था कि DeFi से रेगुलेटर्स के लिए एक नई चुनौती खड़ी हुई है क्योंकि इसके अज्ञात प्रकार का होने और इस पर एक सेंट्रलाइज्ड अथॉरिटी के नियंत्रण की कमी और कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं होने से इसका सामान्य तरीके से रेगुलेशन मुश्किल है। इसके लिए ग्लोबल लेवल पर रेगुलेटर्स के बीच सहयोग की जरूरत है। हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार V Anantha Nageswaran ने कहा था कि क्रिप्टो सेगमेंट के लिए सेंट्रलाइज्ड रेगुलेटरी अथॉरिटी नहीं होने की वजह से यह कैरिबियाई समुद्री डाकुओं के कब्जे वाले क्षेत्र के समान है। Nageswaran मानते हैं कि सामान्य करेंसी की तरह
क्रिप्टोकरेंसीज स्टोर वैल्यू, बड़े स्तर पर स्वीकार्यता और एकाउंट की यूनिट जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं करती।
उन्होंने कहा था, "क्रिप्टोकरेंसीज के अधिक डीसेंट्रलाइज्ड होने और किसी सेंट्रलाइज्ड रेगुलेटरी अथॉरिटी की मौजूदगी नहीं होने से यह एक बिना नियंत्रण वाले किसी क्षेत्र के समान है।" डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFI) के बारे में उनका कहना था, "इसे इनोवेशन माना जा रहा है लेकिन मैं इसके इनोवेटिव होने या एक सकारात्मक तरीके से एक बड़ा बदलाव लाने को लेकर कोई निष्कर्ष नहीं दूंगा।" Nageswaran ने कहा कि सामान्य करेंसी के एक विकल्प के तौर पर क्रिप्टोकरेंसीज को बहुत से उद्देश्यों को पूरा करने की जरूरत है। उन्होंने बताया था कि क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर वह बहुत उत्साहित नहीं हैं।