चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर V Anantha Nageswaran ने कहा है कि क्रिप्टो सेगमेंट के लिए सेंट्रलाइज्ड रेगुलेटरी अथॉरिटी नहीं होने की वजह से यह कैरिबियाई समुद्री डाकुओं के कब्जे वाले क्षेत्र के समान है। Nageswaran मानते हैं कि सामान्य करेंसी की तरह क्रिप्टोकरेंसीज स्टोर वैल्यू, बड़े स्तर पर स्वीकार्यता और एकाउंट की यूनिट जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं करती।
उन्होंने कहा, "क्रिप्टोकरेंसीज के अधिक डीसेंट्रलाइज्ड होने और किसी सेंट्रलाइज्ड रेगुलेटरी अथॉरिटी की मौजूदगी नहीं होने से यह एक बिना नियंत्रण वाले किसी क्षेत्र के समान है।" डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFI) के बारे में उनका कहना था, "इसे इनोवेशन माना जा रहा है लेकिन मैं इसके इनोवेटिव होने या एक सकारात्मक तरीके से एक बड़ा बदलाव लाने को लेकर कोई निष्कर्ष नहीं दूंगा।" Nageswaran ने कहा कि सामान्य करेंसी के एक विकल्प के तौर पर
क्रिप्टोकरेंसीज को बहुत से उद्देश्यों को पूरा करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर वह बहुत उत्साहित नहीं हैं।
क्रिप्टोकरेंसीज को रेगुलेट करने को लेकर केंद्र सरकार ने कदम बढ़ाया है। इकोनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी Ajay Seth ने हाल ही में बताया था कि क्रिप्टोकरेंसीज पर सरकार ने कंसल्टेशन पेपर तैयार कर लिया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने पिछले वर्ष क्रिप्टोकरेंसीज पर बैन लगाने की मांग की थी। हालांकि, सरकार का कहना है कि वह इस सेगमेंट पर पूरी तरह रोक नहीं लगाएगी।
इस वर्ष के बजट में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसीज की ट्रेडिंग से मिलने वाले प्रॉफिट पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगाने की घोषणा की थी। डिजिटल एसेट्स से मिलने वाले प्रॉफिट पर
टैक्स लागू होने के बाद क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग की वॉल्यूम में काफी गिरावट आई है। इसके अलावा 1 जुलाई से प्रत्येक क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर एक प्रतिशत का TDS भी चुकाना होगा। फरवरी में बजट में क्रिप्टो ट्रेडिंग पर टैक्स लगाने की घोषणा की गई थी और इसके बाद से यह मुद्दा क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के बीच विवाद का एक कारण बना है। इंडस्ट्री के बहुत से एक्सपर्ट्स और क्रिप्टो से जुड़े लोगों ने इस सेगमेंट पर प्रतिबंध लगाने के बजाय इसे रेगुलेट करने के सरकार के रवैये की प्रशंसा की है, जबकि कुछ अन्य का मानना है कि क्रिप्टो से मिलने वाले प्रॉफिट पर टैक्स कम होना चाहिए।
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