पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टोकरेंसीज में इनवेस्टमेंट करने वाले इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स की संख्या बढ़ी है। जापान का सबसे बड़ा पेंशन फंड भी अपने इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइ करने के लिए बिटकॉइन में इनवेस्टमेंट करने पर विचार कर रहा है। पिछले सप्ताह बिटकॉइन ने 73,000 डॉलर से अधिक का हाई लेवल बनाया था।
जापान के गवर्नमेंट पेंशन इनवेस्टमेंट फंड (GPIF) के पास लगभग 1.4 लाख करोड़ डॉलर के एसेट्स अंडर मैनेजमेंट होने का अनुमान है। स्पेन की इनवेस्टमेंट रिसर्च फर्म RankiaPro के अनुसार, पिछले दो वर्ष से
GPIF दुनिया का सबसे बड़ा पेंशन फंड है। GPIF एक रिसर्च प्रोग्राम शुरू कर रहा है जिसमें इनवेस्टमेंट के अन्य संभावित जरियों की स्टडी की जाएगी। इनमें गोल्ड और बिटकॉइन शामिल हो सकते हैं। GPIF का मौजूदा इनवेस्टमेंट जापान और इंटरनेशनल स्टॉक मार्केट और बॉन्ड्स जैसे एसेट्स में है। बिटकॉइन में इसकी दिलचस्पी का कारण इस सबसे अधिक वैल्यू वाली क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता हो सकता है। जापान की सरकार भी क्रिप्टो सेगमेंट के पक्ष में दिख रही है। इस वर्ष की शुरुआत में जापान की बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में शामिल Mercari ने कहा था कि वह जल्द ही बिटकॉइन में पेमेंट्स लेने की योजना बना रही है।
पिछले वर्ष जापान में क्रिप्टो मार्केट तेजी से बढ़ा है। पिछले वर्ष के अंत में जापान के 50 लाख से अधिक नागरिकों के पास क्रिप्टोकरेंसीज होने का अनुमान था। भारत में
क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर केंद्र सरकार का रवैया सख्त बना हुआ है। देश में इस सेक्टर के लिए रूल्स बनाए जा रहे हैं। हाल ही में वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने कहा था कि देश में क्रिप्टोकरेंसीज को 'करेंसी' के तौर पर माना या देखा नहीं जाता।
क्रिप्टो मार्केट में आई तेजी के बाद इस सेक्टर को लेकर सरकार के रवैये में बदलाव के प्रश्न पर, सीतारमण का कहना था, "सरकार का हमेशा यह मानना रहा है कि क्रिप्टो को लेकर बनाए गए एसेट्स को ट्रेडिंग और कई अन्य चीजों के लिए एसेट्स के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। हमने इन्हें रेगुलेट नहीं किया है। ये करेंसीज नहीं हो सकते और यह केंद्र सरकार की पोजिशन है।" हाल ही में अमेरिका में बिटकॉइन स्पॉट ETF को सिक्योरिटीज रेगुलेटर की ओर से स्वीकृति मिलने के बाद क्रिप्टो मार्केट में काफी तेजी आई थी।