अमेरिकी डिवाइसेज और टेक्नोलॉजी कंपनी Apple ने अपने iOS ऑपरेटिंग सिस्टम पर ऐप्स के मार्केट में अपनी मजबूत स्थिति का गलत इस्तेमाल किया था। कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिय़ा (CCI) की एक जांच में यह पाया गया है कि कंपनी ऐप्स के मार्केट में गलत कारोबारी तरीके अपना रही थी।
CCI की एक गोपनीय रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। इस रिपोर्ट को Reuters ने देखा है। लगभग तीन वर्षों से CCI इस मामले की जांच कर रहा है। हालांकि,
एपल ने इससे इनकार किया था। कंपनी ने कहा था कि देश में Google के एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स की बड़ी संख्या है और उसके पास इस मार्केट में बड़ी हिस्सेदारी नहीं है। CCI की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। हालांकि, इस 142 पेज की रिपोर्ट को CCI ने देखा है। इसमें कहा गया है कि कंपनी का इस पर बड़ा प्रभाव था कि डिजिटल प्रोडक्ट्स और सर्विसेज किस तरीके से उपभोक्ताओं तक पहुंचते हैं। इसके लिए कंपनी अपने iOS प्लेटफॉर्म और App Store का इस्तेमाल करती है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, "एपल का ऐप स्टोर ऐप डिवेलपर्स के लिए एक महत्वपूर्ण ट्रेडिंग पार्टनर है। इस वजह से ऐप डिवेलपर्स के पास कंपनी की अनुचित शर्तों को मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इन शर्तों में एपल के प्रॉपराइटरी बिलिंग और पेमेंट सिस्टम का इस्तेमाल करना शामिल है। ऐप डिवेलपर्स के नजरिए से
कंपनी का iOS प्लेटफॉर्म जरूरी है।" इस बारे में टिप्पणी के लिए भेजे गए निवेदन का एपल और CCI ने जवाब नहीं दिया।
एपल के खिलाफ कुछ अन्य देशों में भी इस तरह के आरोप लगे हैं। पिछले महीने यूरोपियन यूनियन में रेगुलेटर्स ने कहा था कि कंपनी के टेक नियमों का उल्लंघन किया है। इस वजह से iPhone बनाने वाली एपल पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। ऐप डिवेलपर्स पर लगाई गई नई फीस को लेकर भी कंपनी एक जांच का सामना कर रही है। हाल ही में एपल ने बहुत से देशों में यूजर्स को मर्सेनरी स्पाइवेयर के अटैक की चेतावनी दी थी। कंपनी की ओर से अप्रैल में भी इस तरह का अलर्ट दिया गया था। यह थ्रेट नोटिफिकेशन 98 देशों में आईफोन यूजर्स को भेजा गया है। एपल ने यूजर्स से उनके डिवाइसेज की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कदम उठाने को कहा है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)