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AI हो रहा फेल? 95 प्रतिशत प्रोजेक्ट हुए नाकाम, जानें क्या है वजह

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के अधिकतर टूल बाजार में नाकाम हो रहे हैं।

AI हो रहा फेल? 95 प्रतिशत प्रोजेक्ट हुए नाकाम, जानें क्या है वजह

Photo Credit: Unsplash/Steve Johnson

AI मार्केट तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है।

ख़ास बातें
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मार्केट तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है।
  • कई छोटी कंपनियां भी हैं जो कि AI टूल पर काम कर रही हैं।
  • AI आने के बाद से यह चर्चा भी चल रही है कि AI से काम तेज हो जाएगा।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मार्केट तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है। दुनिया भर में NVIDIA, Microsoft, Apple, Google, Amazon और Meta जैसी बड़ी कंपनियां AI पर हजारों करोड़ों रुपये में काफी निवेश कर रही हैं। इसके अलावा देश और दुनिया में कई छोटी कंपनियां भी हैं जो कि AI टूल पर काम कर रही हैं। AI आने के बाद से यह चर्चा भी चल रही है कि AI से काम तेज हो जाएगा और मुनाफा ज्यादा होने लगेगा। कई जगह तो नौकरियां जाने लगेंगी और यह इंसानों की जगह ले लेगा और उनसे बेहतर काम करेगा। मगर हाल ही में आई MIT की रिपोर्ट से अब नए खुलासे हुए हैं और नई जानकारी सामने आ रही है। आइए AI को लेकर हुए खुलासों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

MIT के NANDA प्रोजेक्ट के तहत आई एक नई रिपोर्ट जेनएआई डिवाइड: स्टेट ऑफ एआई इन बिजनेस 2025 में एआई को लेकर काफी खुलासे हुए हैं। जहां कंपनियां जनरेटिव AI में लगातार निवेश कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर कंपनियों द्वारा AI में निवेश के बावजूद मुनाफा बढ़ता हुआ नजर नहीं आ रहा है, ज्यादातर AI प्रोजेक्ट नाकाम साबित हो रहे हैं। अपग्रेडेड और पावरफुल नए मॉडल को लाने के बावजूद लगभग 5 प्रतिशत AI पायलट प्रोग्राम ही सफल हो रहे हैं। वहीं अधिकतर प्रोग्राम बंद पड़ जाते हैं, जिससे कोई फायदा नहीं होता है। इस रिसर्च में लीडर्स के साथ 150 इंटरव्यू, 350 कर्मचारियों के सर्वे और 300 पब्लिक AI डिप्लॉयमेंट का विश्लेषण किया गया है, जिससे सफल होने वाले और रुके हुए प्रोजेक्ट के बीच अंतर साफ पता चला है।

क्यों फेल हो रहा AI


रिसर्च के अनुसार, 95 प्रतिशत कंपनियों के लिए जनरेटिव AI का उपयोग काफी कमजोर साबित हुआ है। इसमें दिक्कत AI मॉडल की क्वालिटी की नहीं, बल्कि टूल्स और कंपनियों दोनों के बीच सीखने का अंतर है। रिसर्च से पता चला है कि बिजनेस में खराब AI इंटीग्रेशन है, जिसके चलते नतीजे नहीं मिल रहे हैं। चैटजीपीटी जैसे सामान्य टूल अपनी फ्लेक्सिबिलिटी के चलते आम लोगों के लिए तो बेहतर हैं, लेकिन एंजटरप्राइजेस उपयोग में ये टूल वर्कफ्लो या उसके अनूकूल नहीं होने के चलते उतने कारगर नहीं रह जाते हैं। बिजनेस स्तर पर आधे से ज्यादा जनरेटिव AI बजट को सेल्स और मार्केटिंग टूल्स पर खर्च किया जाता है। हालांकि, बैक-ऑफिस ऑटोमेशन, बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग खत्म करने से लेकर एक्सटरनल एजेंसी की लागत कम करने में AI ज्यादा कारगर साबित हुआ है। MIT  की रिसर्च में AI के सफल न होने की वजह लर्निंग गैप बताया गया है।

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ये भी पढ़े: AI, AI Fail, MIT, Artificial Intelligence
साजन चौहान

साजन चौहान Gadgets 360 में सीनियर सब एडिटर हैं। उन्हें विभिन्न प्रमुख ...और भी

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