क्या आप 31 मार्च तक बैंक अकाउंट को आधार नंबर से जोड़ने वाले मैसेज से परेशान हैं? क्या आप मोबाइल नंबर को भी आधार कार्ड से जोड़ने वाले मैसेज से तंग आ चुके हैं? उम्मीद है कि आपको इन स्पैम मैसेज से जल्द ही छुटकारा मिल जाएगा। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आधार को विभिन्न सेवाओं से अनिवार्य रूप से जोड़ने की समयसीमा बढ़ा दी है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली संविधान पीठ ने कहा कि आधार की वैधता को चुनौती देने वाले याचिकाओं पर फैसला आने तक मोबाइल नंबर, बैंक खाते और अन्य सेवाओं को आधार नंबर से जोड़ना अनिवार्य नहीं होगा।
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बता दें कि आधार की वैधता को चुनौती देने वाले कई याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि यह निजता के अधिकारों का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को दिए गए आदेश से पहले आधार को बैंक खाते और मोबाइल नंबर से अनिवार्य रूप से जोड़ने की समयसीमा 31 मार्च तक की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि कल्याणकारी योजनाओं को आधार नंबर से जोड़ना अनिवार्य होगा।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में 5 जजों वाली संवैधानिक पीठ ने यह भी कहा कि सरकार अनिवार्य आधार के लिए जोर नहीं डाल सकती है।
शीर्ष न्यायालय में कई याचिकाकर्ताओं ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) संख्या को बैंक खातों और मोबाइल नंबर से जोड़ने को ‘‘गैरकानूनी तथा असंवैधानिक’’ बताया है। हाल ही में उच्चतम न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि संविधान के तहत निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। आधार की वैधता को चुनौती देने वाले कई याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि यह निजता के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
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