पृथ्वी से बाहर जीवन की तलाश में जुटे वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह को नए एक्सोप्लैनेट का पता चला है। वो ग्रह जो हमारे सूर्य की नहीं, बल्कि किसी और तारे की परिक्रमा करते हैं, एक्सोप्लैनेट कहलाते हैं। आईआईटी कानपुर के रिसर्चर्स समेत इंटरनेशनल वैज्ञानिकों की टीम ने पृथ्वी से लगभग 12 प्रकाश वर्ष दूर ‘सुपर-जुपिटर' एक्सोप्लैनेट का पता लगाया है। यह संभवतः सबसे ठंडे ग्रहों में से एक है। इसका तापमान दो डिग्री सेल्यियस आंका गया है।
एनडीटीवी की
रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने इसका नाम एप्सिलॉन इंडी एबी (Epsilon Indi Ab) बताया है, जो किसी भी एक्सोप्लैनेट के मुकाबले ज्यादा ठंडा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के अनुसार, पृथ्वी का सबसे नजदीकी एक्सोप्लैनेट प्रॉक्सिमा सेंटॉरी बी (Proxima Centauri b) है, जो हमारे ग्रह से 4 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है।
खास बात यह है कि एप्सिलॉन इंडी एबी की तस्वीर को नासा के सबसे पावरफुल जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने कैप्चर किया है। यह तस्वीर इसलिए भी अहम है क्योंकि जैसे-जैसे ग्रह ठंडे होते जाते हैं, वो काफी धुंधले हो जाते हैं। उनकी तस्वीर कैप्चर करना मुश्किल हो जाता है।
एक्सोप्लैनेट्स को लेकर वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं। उन्हें लगता है कि उनमें से किसी में जीवन की संभावना हो सकती है। हमारी आकाशगंगा में एक अरब एक्सोप्लैनेट्स का अनुमान है, जिसमें से 5 हजार की पुष्टि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी कर चुकी है।
एप्सिलॉन इंडी एबी परिक्रमा करता है एप्सिलॉन इंडी ए (Epsilon Indi A) तारे की। इसे सुपर जुपिटर कहा जाता है। हालांकि यह बृहस्पति ग्रह से थोड़ा गर्म और ज्यादा बड़ा है, लेकिन जितने भी एक्सोप्लैनेट अबतक खोजे गए हैं, उनमें से यही एक्सोप्लैनेट, बृहस्पति से ज्यादा मिलता-जुलता है। यह ग्रह अपने तारे से थोड़ा दूर है। इस वजह से भी इसका तापमान कम है। वैज्ञानिक इस एक्सोप्लैनेट के वायुमंडल के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल नहीं कर पाए हैं। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि इसमें जीवन की संभावना कितनी है।