Science News In Hindi

Science News In Hindi - ख़बरें

  • ISRO बनाएगी मून स्‍पेस स्‍टेशन! चांद का लगाएगा चक्‍कर, मंगल जाने वाले एस्‍ट्रोनॉट्स उसमें रुक पाएंगे!
    भारत की स्‍पेस एजेंसी इसरो (ISRO) एक ऐसे अंतरिक्ष स्‍टेशन की योजना बना रही है, जो चंद्रमा की परिक्रमा करेगा। इसके अलावा, इसरो की योजना नासा और अन्‍य अंतरिक्ष एजेंसियों की तरह चांद पर लंबे समय तक रुकने वाला सेटअप तैयार करना है। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता से उत्‍साहित इसरो चांद पर अपने एस्‍ट्रोनॉट्स भी भेजना चााहती है। कहा जाता है कि पूरी योजना को तीन हिस्‍सों में बांटा गया है, जिसे एक के बाद एक पूरा किया जाएगा।
  • आज रात फ‍िर उड़ेगा दुनिया का सबसे भारी रॉकेट Starship! मकसद क्‍या है? जानें
    दुनिया के सबसे भारी रॉकेट में रूप में ‘शोहरत’ पा चुका स्‍पेसएक्‍स का ‘स्‍टारशिप’ (Starship) एक बार फ‍िर टेस्‍ट फ्लाइट से गुजरने जा रहा है। भारतीय समय के अनुसार, 19 नवंबर की रात करीब 2.45 बजे इसे लॉन्‍च किया जा सकता है। पिछली पांचों टेस्‍ट फ्लाइट्स की तरह इस बार भी रॉकेट के दोनों हिस्‍सों- फर्स्‍ट स्‍टेज और अपर स्‍टेज को परखा जाएगा।
  • Elon Musk की कंपनी ने क्‍यों लॉन्‍च किया ISRO का सैटेलाइट? क्‍या भारत के पास नहीं है क्षमता? जानें
    स्‍पेसएक्‍स के फाल्‍कन-9 रॉकेट ने इसरो के GSAT-N2 कम्‍युनिकेशंस सैटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुंचाया। GSAT-N2 सैटेलाइट का वजन 10360 पाउंड यानी करीब 4700 किलोग्राम है। इसे अंतरिक्ष में ऐसी कक्षा में पहुंचाया गया है, जो हमारी पृथ्‍वी से 22,236 मील (35,786 किलोमीटर) ऊपर स्थित है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कोई भी भारतीय रॉकेट इतने भारी पेलोड को इतनी दूर तक नहीं ले जा सकता, इसलिए इसरो ने फाल्कन-9 रॉकेट का चुनाव किया।
  • अंतरिक्ष घूमकर आए आलू, मटर, मक्‍का अब पृथ्‍वी पर रोपे जाएंगे, क्‍या है पूरा मामला? जानें
    अंतरिक्ष में कई महीनों तक रखने के बाद वैज्ञानिकों ने कई प्रकार के बीजों (Seeds) को पृथ्‍वी पर भेज दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस वसंत की शुरुआत में बीजों को पृथ्‍वी पर रोपा जाएगा। यह कल्‍चरल एंड स्‍टेम स्‍टडी का हिस्‍सा है। स्‍टेम का पूरा नाम साइंस, टेक्‍नॉलजी, इंजीनियरिंग एंड मैथ है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल नवंबर में पांच किस्‍म के बीज- स्‍वीट पोटैटो, मटर, मक्‍का और लैम्ब्सक्वार्टर को इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन (ISS) पर भेजा गया था।
  • सेब जितना बड़ा रहस्‍यमयी जीव समुद्र में 1km से भी नीचे मिला, क्‍या है यह? जानें
    समुद्र में ऐसे रहस्‍यमयी जीव हैं, जिनके बारे में वैज्ञानिकों को बहुत कम पता है। मोंटेरे बे एक्वेरियम रिसर्च इंस्टिट्यूट (MBARI) के रिसर्चर्स की एक टीम ने समुद्र के मिडनाइट जोन में एक चमकता हुआ ‘रहस्यमयी मोलस्क’ खोजा है। इस प्रजाति का नाम बाथीदेवियस कॉडैक्टाइलस है। यह आकार में सेब के जैसा है, लेकिन इसे समुद्री स्लग के रूप में कैटिगराइज किया गया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, खोजा गया यह जीव बाकी समुद्री स्‍लगों से अलग है।
  • आपके नाखून जितना छोटा यह जीव अमर है! कैसे उम्र को मात देती है ‘टुरिटॉप्सिस डोहरनी’, जानें
    ‘अमर जेलीफ‍िश’ के नाम से मशहूर टुरिटॉप्सिस डोहरनी (Turritopsis dohrnii) में अपने जीवन चक्र को वापस शुरू करने की क्षमता है। यह एक लार्वा के रूप में शुरू होती है। फ‍िर धीरे-धीरे डेवलप होकर इंसान के नाखून के जितनी बड़ी हो जाती है। जब यह जेलीफ‍िश किसी एनवायरनमेंटल स्‍ट्रेस या शारीरिक चोट से जूझती है तो अपने जीवन चक्र के फर्स्‍ट स्‍टेज में वापस आ सकती है यानी यह फ‍िर से युवा बन सकती है।
  • चंद्रमा से लाई मिट्टी को ‘उधार’ में दे रहा चीन! मकसद क्‍या है? जानें
    चीन की अंतरिक्ष एजेंसी ने इस साल जून में पूरी दुनिया को चौंका दिया था, जब उसका चांग ई 6 (Chang'e 6) लूनार मिशन चंद्रमा के सुदूर हिस्‍से से सैंपल लेकर पृथ्‍वी पर लौटा। चंद्रमा का सुदूर हिस्‍सा वह जगह है, जो पृथ्‍वी से दिखाई नहीं देती। चांद से लाई गई मिट्टी को चीन उधार में देने जा रहा है! यह उन रिसर्चर्स को दी जाएगी, जो शोध करना चाहते हैं। इसके लिए ऐप्लिकेशंस मांगी गई हैं।
  • Asteroids दे रहे चकमा! इस साल 3 चट्टानी आफतों ने पृथ्‍वी के ऊपर ‘फटकर’ बढ़ाया खौफ
    साल 2024 में तीन ऐसे वाकये हुए हैं, जब एस्‍टरॉयड, पृथ्‍वी के वायुमंडल में प्रवेश कर गए और वैज्ञानिकों को कानों-कान खबर नहीं हुई। पिछले महीने एक एस्‍टरॉयड 2024 UQ ने पृथ्‍वी के वायुमंडल में एंट्री की। वैज्ञानिकों को उसकी खबर कुछ घंटे पहले ही लगी थी। इससे पहले सितंबर में 2024 RW1 नाम का एस्‍टरॉयड फ‍िलीपींस के ऊपर फट गया था। और जनवरी में 2024 BX1 नाम का एस्‍टरॉयड जर्मनी के आसमान में विस्‍फोट कर गया था।
  • चांद पर दौड़ लगाएगी यह गाड़ी! किसने बनाई? नाम-खूबियां क्‍या हैं? सब जान लें
    अमेरिकी कंपनी इंट्यूटिव मशीन्स (Intuitive Machines) जिस तरह की गाड़ी को चांद पर दौड़ाना चाहती है, उसकी एक झलक गुरुवार को सामने आई। इसे मून रेसर भी कहा जा रहा है। यह एक इलेक्‍ट्र‍िक रोवर है, जिसे रौश (Roush) ने तैयार किया है। 14 फुट लंबा, 8.5 फुट ऊंचा और 12 फुट चौड़ा मून रेसर काफी पावरफुल है। यह 108 फुट लंबे ट्रेलर को खींच सकता है।
  • चीनी रोवर ने मंगल ग्रह पर खोजे 3.42 अरब साल पुराने महासागर के सबूत
    कई शोधों में इस बात की तस्‍दीक हुई है कि मंगल ग्रह पर कभी महासागर हुआ करता था। नासा समेत यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी ने इसके सबूत खोजे हैं। अब चीन के झुरोंग रोवर की मदद से वैज्ञानिकों ने नए सबूत जुटाए हैं। इनसे पता चलता है कि अरबों साल पहले मंगल ग्रह पर महासागर था। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, झुरोंग रोवर 2021 में मंगल के उत्तरी निचले इलाकों में उतरा था। उसके स्‍पेसक्राफ्ट ने ग्रह की परिक्रमा की थी।
  • वैज्ञानिकों ने खोजा ‘भुक्‍खड़’ Black Hole, ब्रह्मांड में उड़ा रहा दावत! जानें इसके बारे में
    वैज्ञानिकों ने हमारे ब्रह्मांड में एक ऐसे ब्‍लैक होल (Black Hole) का पता लगाया है, जो अपने मैटर को बहुत तेजी से खा रहा है। यह खोज दुनिया के सबसे बड़े स्‍पेस टेलीस्‍काेप जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) और चंद्रा एक्स-रे ऑब्‍जर्वेट्री से मिले डेटा के जरिए की गई है। आमतौर पर ब्‍लैक होल जिस स्‍पीड से अपने मटीरियल को खाते हैं, यह ब्‍लैक होल उससे 40 गुना ज्‍यादा स्‍पीड के साथ ऐसा कर रहा है।
  • कॉफी मग जितना छोटा दुनिया का पहला लकड़ी का सैटेलाइट LignoSat लॉन्‍च, क्‍या करेगा? जानें
    अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा' और जापान की स्‍पेस एजेंसी ‘जाक्‍सा' ने दुनिया के पहले लकड़ी के सैटेलाइट को स्‍पेस में लॉन्‍च कर दिया है। लिग्नोसैट (LignoSat) नाम के सैटेलाइट को स्‍पेस स्‍टेशन (ISS) पर भेजा गया है, जो धरती से 400 किलोमीटर ऊपर है। अंतरिक्ष यात्री देखना चाहते हैं कि लकड़ी का इस्‍तेमाल किस तरह से मंगल और चंद्रमा पर स्‍पेस मिशनों के लिए किया जा सकता है। उसी मकसद के साथ लिग्नोसैट को रवाना किया गया है।
  • धरती से 400km ऊपर 1 दिन में 16 बार सूरज को उगते और डूबते देख रहीं सुनीता विलियम्‍स, ऐसा क्‍यों? जानें
    धरती से 400 किलोमीटर ऊपर इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन (ISS) में रहने वाले अंतरिक्ष यात्री एक दिन में सिर्फ एक बार सूर्योदय या सूर्यास्‍त नहीं देखते। उनके साथ ऐसा 16 बार होता है। मौजूदा समय में भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्‍स भी आईएसएस पर हैं और वह भी हर रोज 16 बार सूर्य को उदय और अस्‍त होते हुए देखती हैं। साल 2013 में जब सुनीता भारत आई थीं, तो उन्‍होंने यह वाकया शेयर किया था।
  • Video : अंतरिक्ष से धरती पर पहुंचे 3 चीनी एस्‍ट्रोनॉट, रात के वक्‍त की लैंडिंग, देखें वीडियो
    स्‍पेस में 6 महीने से भी ज्‍यादा समय तक रहने के बाद चीन का शेनझोउ 18 क्रू (Shenzhou 18 crew) पृथ्‍वी पर लौट आया है। तीन अंतरिक्ष यात्री- ये गुआंगफू, ली कांग और ली गुआंगसू पृथ्‍वी पर लौट आए हैं और उन्‍होंने अपने देश में लैंड किया। ये सभी 25 अप्रैल से अंतरिक्ष में थे और तियांगोंग स्‍पेस स्टेशन पर रह रहे थे। इन्‍होंने उत्तरी चीन के डोंगफेंग लैंडिंग साइट पर कदम रखे।
  • नकली नोट नहीं बना पाएंगे जालसाज! वैज्ञानिकों ने बनाई अनोखी स्‍याही
    भारतीय रिसर्चर्स ने चमकदार नैनो मटीरियल की मदद से एडवांस्‍ड सिक्‍योरिटी फीचर्स वाली एक अनोखी स्याही यानी इंक डेवलप की है। यह इंक करेंसी, डॉक्‍युमेंट्स, ब्रांडेड आइटम्‍स और दवाइयों की जालसाजी को रोकने में मददगार हो सकती है। नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी) ने यह खोज की है। इसे नकल-प्रूफ विभिन्न चीजों पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इनमें करेंसी, डॉक्‍युमेंट्स, दवाईयां और ब्रांडेड प्रोडक्‍ट शामिल हैं।

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