Science News In Hindi

Science News In Hindi - ख़बरें

  • चांद पर उड़ने वाला रोबोट भेजेगा चीन, करना क्‍या चाहता है? जानें
    चंद्रमा के लिए कई मिशन तैयार हो रहे हैं। अमेरिका आर्टिमिस मिशन भेजकर वहां दोबारा से इंसान को उतारना चाहता है, तो चीन एक रोबोटिक मिशन भेजने की योजना बना रहा है। ड्रैगन, चांद पर पानी की खोज करना चाहता है और उसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक स्मार्ट रोबोटिक ‘फ्लायर डिटेक्टर’ भेजने की योजना का खुलासा किया है।
  • पृथ्‍वी 24 घंटे में कैसे घूमती है? लद्दाख में भारतीय वैज्ञानिक ने शूट किया Video, देखें
    एक भारतीय खगोलशास्त्री दोर्जे अंगचुक (Dorje Angchuk) ने बेहतरीन टाइम-लैप्स वीडियो बनाया है। इसे लद्दाख में शूट किया गया है। वीडियो में वहां की एक साइंस लेबोरेटरी के सामने पृथ्‍वी को घूमते हुए दिखाया गया है। वीडियो अपने आप में यूनीक है और हमारे ग्रह की गति को लेकर अनूठा दृश्‍य पेश करता है। दोर्जे अंगचुक लद्दाख के हानले में स्थित ऑब्‍जर्वेट्री के इंजीनियर इन-चार्ज हैं।
  • वैज्ञानिकों का काम खत्‍म! AI भी कर सकता है सौर तूफान की भविष्‍यवाणी
    एक नई स्‍टडी में कहा गया है कि AI, पिछले साल मई में पृथ्वी पर आए शक्तिशाली सौर तूफान (solar storm) की भविष्यवाणी कर सकता था। वह तूफान सूर्य पर एक्टिव AR13664 नाम के सनस्‍पॉट से निकला था। जेनोआ यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का मानना है कि ऐतिहासिक सौर घटनाओं पर एआई को ट्रेनिंग दी जाए तो वह कोरोनल मास इजेक्शन (CME) से पहले के पैटर्नों की पहचान कर सकता है।
  • क्‍या एस्‍टरॉयड्स लेकर आए धरती पर जीवन? Bennu के सैंपल में वैज्ञानिकों को मिला नया सबूत
    वैज्ञानिकों ने बेन्नू (Bennu) नाम के एस्‍टरॉयड में ऐसे अणुओं का पता लगाया है, जो जीवन के लिए जरूरी होते हैं। यह स्‍टडी नेचर जर्नल में पब्‍ल‍िश हुई है, जो संकेत देती है कि जिस रसायन ने बेन्नू एस्‍टरॉयड का निर्माण किया, वह आज बृहस्पति और शनि के बर्फीले चंद्रमाओं पर हो सकता है।
  • पृथ्‍वी से 1.5 लाख किलोमीटर दूर से आई चिड़‍ियों के ‘चहचहाने’ जैसी आवाज! जानें पूरा मामला
    वैज्ञानिक वर्षों से ऐसी चहकती (chirping) तरंगों के बारे में जानते हैं, जो खतरनाक रेडिएशन से जुड़ी हैं। ये तरंगें इंसानों और सैटेलाइट्स दोनों को प्रभावित कर सकती हैं। अब खगोलविदों की एक इंटरनेशनल टीम ने अंतरिक्ष के एक नए क्षेत्र में इन तरंगों का पता लगाया है। इससे सवाल पैदा हुआ है कि आखिर इन तरंगों की उत्‍पत्‍त‍ि कहां से होती है। ये तरंगें अंतरिक्ष में मौजूद सबसे पावरफुल नेचुरल इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेटिक रेडिएशन में से एक हैं।
  • धरती से 400Km ऊपर से दिखा महाकुंभ का नजारा, Nasa ने शेयर की तस्‍वीरें
    यूपी के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 में रोजाना लाखों की संख्‍या में लोग संगम पर स्‍नान के लिए पहुंच रहे हैं। इस नजारे को ना सिर्फ पृथ्‍वी से बल्कि अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। नासा के अंतरिक्ष यात्री डॉन पेटिट ने इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन (ISS) से इस आयोजन की तस्‍वीरें ली हैं। ISS हमारी धरती से 400 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में है।
  • क्‍या हमारी दुनिया से पहले भी पृथ्‍वी पर कोई दुनिया थी जो डूब गई? वैज्ञानिकों को मिला सबूत
    जियोफ‍िजिसिस्‍ट की एक टीम ने पृथ्वी के आंतरिक भाग को लेकर नई जानकारी जुटाई है। वैज्ञानिकों ने अंतरिक भाग की ट्रेडिशनल प्‍लेट बाउंड्री से दूर डूबी हुई टेक्टोनिक प्लेटों के अवशेषों का पता लगाया है। यह रिसर्च ETH ज्यूरिख और कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्‍नॉलजी की एक टीम ने की है। उन्‍होंने पृथ्‍वी के नीचे ऐसे टेक्टोनिक प्लेटों जैसे क्षेत्र का पता लगाया है, जो महासागरों के नीचे हैं।
  • चीन के ‘कृत्रिम सूर्य’ का रिकॉर्ड! 1 हजार सेकंड तक रहा गर्म, तापमान पहुंचा 10 करोड़ डिग्री
    चीन पिछले कुछ साल से एक ‘कृत्रिम सूर्य’ के साथ प्रयोग कर रहा है। इसका मकसद भविष्‍य में क्‍लीन एनर्जी हासिल करना है। रिपोर्टों के अनुसार, चीन के बनाए एक्सपेरीमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग टोकामाक (EAST) फ्यूजन एनर्जी रिएक्टर ने 1 हजार सेकंड तक अपने प्लाज्‍मा को बनाए रखा और उसका तापमान 10 करोड़ डिग्री पर पहुंच गया।
  • पृथ्‍वी का ‘चुंबकीय उत्तरी ध्रुव’ खिसक रहा, कनाडा से पहुंच गया रूस! जानें पूरा मामला
    ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि पृथ्‍वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव (magnetic north pole) तेजी के साथ रूस की तरफ खिसक रहा है। पांच साल पहले यह जहां था, वहां से अब साइबेरिया के करीब पहुंच गया है। सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञ कई सदियों से पृथ्‍वी के चुंबकीय उत्तरी ध्रुव को ट्रैक कर रहे हैं। इसे वर्ल्‍ड मैग्‍नेटिक मॉडल का इस्‍तेमाल करके ट्रैक किया जाता है।
  • अंतरिक्ष से दिखा महाकुंभ मेला, सामने आई तस्‍वीरें, जानें पूरी‍ डिटेल
    दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला, प्रयागराज महाकुंभ (Prayagraj MahaKumbha) अंतरिक्ष से भी दिखाई दे रहा है। भारतीय स्‍पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने इंडियन सैटेलाइट्स का इस्‍तेमाल करके महाकुंभ की तस्वीरें ली हैं। इसरो की तस्वीरों में मेले में बनाए गए विशाल बुनियादी ढांचे को देखा जा सकता है। गौरतलब है कि प्रयागराज में महाकुंभ में 40 करोड़ लोगों के आने का अनुमान है।
  • Planetary Parade 2025 : आज आसमान में एकसाथ दिखेंगे 6 ग्रह, 4 बिना टेलीस्‍कोप आएंगे नजर
    अगर आप अंतरिक्ष में होने वाली घटनाओं में दिलचस्‍पी रखते हैं, तो आज मंगलवार को एक अहम खगोलीय नजारे का गवाह बनने का मौका मिलेगा। इसे ‘प्‍लैनेटरी परेड 2025’ कहा जा रहा है, जिसमें एकसाथ 6 ग्रहों को सीधी लाइन में देखा जा सकेगा। 4 ग्रह तो बिना टेलीस्‍कोप यानी नग्‍न आंखों से नजर आएंगे। क्‍या होती है प्‍लैनेटरी परेड। कौन-कौन से ग्रह आसमान में दिखाई देंगे। इसकी पूरी डिटेल हम आपको देने जा रहे हैं।
  • 83 हजार Km की स्‍पीड से एयरोप्‍लेन जितना बड़ा एस्‍टरॉयड आ रहा पृथ्‍वी के करीब, क्‍या होगा?
    एक बार फ‍िर से एयरोप्‍लेन जितना बड़ा एस्‍टरॉयड पृथ्‍वी की ओर बढ़ रहा है। इसका नाम है- 2025 AY2। नाम से पता चल जाता है कि एस्‍टरॉयड को इसी साल खोजा गया है। नासा के अनुसार, यह 220 फीट बड़ा है और 83 हजार 788 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पृथ्‍वी की ओर बढ़ रहा है। अनुमान है कि आज यह धरती के करीब से गुजरेगा। तब दोनों के बीच दूरी 67 लाख 90 हजार किलोमीटर रह जाएगी।
  • विस्‍फोट के बाद ब्रह्मांड में फैली तारे की धूल, James Webb टेलीस्‍कोप ने किया कैप्‍चर, देखें 3D इमेज
    अंतरिक्ष में तैनात दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्‍कोप- जेम्‍स वेब (James Webb Space Telescope) हर रोज हमारे ब्रह्मांड को कैप्‍चर कर रहा है। नासा के टेलीस्‍कोप ने अब अंतरतारकीय (interstellar) धूल और गैस की ज्‍यादा डिटेल इमेज ली हैं, जिससे वैज्ञानिकों ने इंटरस्‍टेलर धूल और गैस की 3डी संरचना बनाई है। रिपोर्ट के अनुसार, करीब 350 साल पहले एक तारे के खत्‍म होने से यह रोशनी, गैस और धूल निकली जो अबतक काफी लंबा सफर तय कर चुकी है।
  • ISRO : क्‍या होती है स्पेस डॉकिंग? अंतरिक्ष में दो स्‍पेसक्राफ्ट जोड़ने से भारत को क्‍या फायदा होगा? जानें
    भारतीय स्‍पेस एजेंसी इसरो (ISRO) का Spadex मिशन कामयाब हो गया। कई दिनों से देशवासी जिसका इंतजार कर रहे थे, वह गुड न्‍यूज गुरुवार सुबह आई। इसरो ने बताया कि उसने अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक दो स्‍पेसक्राफ्टों को आपस में जोड़ दिया है, जिसे स्‍पेस डॉकिंग कहा जाता है। ऐसा करने वाला भारत अब दुनिया का चौथा देश बन गया है। यह कामयाबी अबतक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के नाम थी।
  • चंद्रमा पर वैक्‍यूम क्‍लीनर भेज रहे वैज्ञानिक, क्‍या काम करेगा? जानें
    अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने एक अभूतपूर्व तकनीक को दुनिया को दिखाया है। इसका नाम लूनार प्‍लैनेटवैक (Lunar PlanetVac (LPV) है। इससे वैज्ञानिकों के चंद्रमा और अन्य ग्रहों पर मिट्टी और चट्टान के सैंपल इकट्ठा करने और उन्‍हें स्‍टडी करने के तरीके में बदलाव आएगा। रिपोर्टों के अनुसार, इस तकनीक को हनीबी रोबोटिक्स ने डेवलप किया है।

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