इसकी सतह पर चट्टानें पिघले हुए रूप में मौजूद हैं और इनसे लगातार गैसे निकल रही हैं जो इसके वातावरण में भरी हुई हैं। यानी यहां पर मैग्मा का महासागर मौजूद है।
एक एग्जोप्लेनेट अंतरिक्ष में दिखाई दिया है जिसका नाम TOI-715 b है। यह हमारी पृथ्वी से 1.5 गुना बड़ा है। इसका अपना सोलर सिस्टम है जो कि 137 प्रकाशवर्ष दूर मौजूद है।
Nasa New Study : नासा की एक स्टडी में 17 एक्सोप्लैनेट्स का पता लगाया गया है। अनुमान है कि इन ग्रहों में मौजूद बर्फ की सिल्लियों के नीचे कोई महासागर छुपा हुआ हो सकता है।
खगोलविदों ने पृथ्वी जैसे दो ‘सुपर-अर्थ’ एक्सोप्लैनेट (Exoplanet) का पता लगाया है। ये अपने सूर्य का चक्कर उस क्षेत्र में लगाते हैं, जो रहने के काबिल हो सकता है।
खगोलविदों ने एक एक्सोप्लैनेट में रिपीट होने वाले सिग्नलों को ट्रेस किया है, जो यह जानने में मदद कर सकते हैं कि एक्सोप्लैनेट में चुंबकीय क्षेत्र मौजूद हो सकता है।
अमेरिका की कोलोराडो यूनिवर्सिटी और बकनेल यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोनॉमर्स Sebastian Pineda और Jackie Villadsen ने YZ Ceti से लगातार रेडियो सिग्नल मिलने का पता लगाया है
James Webb Telescope : जेम्स वेब टेलिस्कोप ने जिस ग्रह को खोजा है, उसे पूर्व में LHS 475 b नाम से क्लासिफाइड किया गया था। यह एक एक्सोप्लैनेट है। एक्सोप्लैनेट शब्द का इस्तेमाल उन ग्रहों के लिए किया जाता है, जो हमारे सूर्य की परिक्रमा नहीं करते।