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16 फुट लंबा ‘सांप’ करेगा पृथ्‍वी के बाहर जीवन की खोज! Nasa कर रही तैयारी, आप भी जानें

Snake like Robot : सांप जैसे दिखने वाले रोबोट को इस तरह से ड‍िजाइन किया गया है कि वह शनि के चंद्रमा एन्सेलेडस की सतह तक पहुंच जाए।

16 फुट लंबा ‘सांप’ करेगा पृथ्‍वी के बाहर जीवन की खोज! Nasa कर रही तैयारी, आप भी जानें

Snake like Robot : रोबोट का नाम एक्सोबायोलॉजी एक्सटेंट लाइफ सर्वेयर (Exobiology Extant Life Surveyor) है। इसे शॉर्ट में EELS भी कहा जाता है।

ख़ास बातें
  • एन्सेलेडस, शनि ग्रह के 83 चंद्रमाओं में से एक है
  • रोबोट का मकसद एन्सेलेडस की बर्फीली खूबियों की जांच करना है
  • एन्सेलेडस में पानी होने की काफी संभावना है
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दुनियाभर की स्‍पेस एजेंसियां और वैज्ञानिक एलियंस (Aliens) से जुड़ी खोजों में लगे हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) भी इसमें शामिल है। यह पता लगाने के लिए कि पृथ्‍वी से बाहर जीवन मौजूद है या नहीं, नासा एक रोबोट डेवलप कर रही है। यह रोबोट सांप के जैसा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, सांप जैसे दिखने वाले रोबोट को इस तरह से ड‍िजाइन किया गया है कि वह एन्सेलेडस (Enceladus) की सतह तक पहुंच जाए। एन्सेलेडस, शनि ग्रह के 83 चंद्रमाओं में से एक है। रोबोट का मकसद एन्सेलेडस की बर्फीली खूबियों की जांच करना है। 

न्‍यूयॉर्क पोस्‍ट ने बताया है कि रोबोट का नाम एक्सोबायोलॉजी एक्सटेंट लाइफ सर्वेयर (Exobiology Extant Life Surveyor) है। इसे शॉर्ट में EELS भी कहा जाता है। यह शनि के छठे सबसे बड़े चंद्रमा ‘एन्सेलेडस' की सतह पर पानी और जीवन से जुड़े सबूतों की खोज करेगा। 

नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के अनुसार, EELS एक मोबाइल इंस्ट्रूमेंट प्लेटफॉर्म है। इसे बनाने का मकसद शनि के चंद्रमा की संरचनाओं का पता लगाना, वहां रहने की क्षमताओं का आकलन करना है। कुल मिलाकर मकसद जीवन से जुड़े सबूतों की खोज करना है। माना जाता है कि एन्सेलेडस की बर्फीली सतह बहुत स्‍मूद है। वैज्ञानिकों को ऐसा लगता है कि वहां की बर्फीली सतह की नीचे पानी की मौजूदगी हो सकती है।

जैसाकि हमने बताया EELS सांप की तरह दिखने वाला एक रोबोट है, जिसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि शनि ग्रह के चंद्रमा को एक्‍स्‍प्‍लोर करने में कोई रुकावट ना आए। EELS प्रोजेक्‍ट को लॉन्‍च करने की तारीख अभी फाइनल नहीं हुई है। इसका मतलब है कि ऐसा कोई मिशन अभी दूर है। अगर 16 फुट लंबे रोबोट की लॉन्चिंग कामयाब होती है, तो वो खोजें मुमकिन हो जाएंगी, जहां तक इंसान की पहुंच नहीं थी।  

दूसरी ओर, एलियंस से जुड़ी एक स्‍टडी में बताया गया है कि इंसान एलियंस तक क्‍यों नहीं पहुंच सका है। स्विट्जरलैंड की सांख्यिकीय बायोफिजिक्स लेबोरेटरी ने इस पर रिसर्च की है, जो एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में पब्लिश हुई है। स्‍टडी के बारे में बायोफिजिसिस्ट ‘क्लाउडियो ग्रिमाल्डी' का कहना है कि हम सिर्फ 60 साल से स्‍पेस को एक्‍स्‍प्‍लोर कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि पृथ्‍वी एक ऐसे बबल में स्थित हो सकती है, जहां एलियंस की ओर से भेजे जाने वाले सिग्‍नल ना पहुंचते हों। 

 

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प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

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