अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की एस्ट्रोनॉट Sunita Williams ने इंटनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की आधिकारिक तौर पर कमान संभाल ली है। यह दूसरी बार है कि जब विलियम्स ने ISS की कमान संभाली है। इससे पहले वह 2012 में भी एक मिशन की अगुवाई कर चुकी हैं। जून में विलियम्स और उनके साथी एस्ट्रोनॉट Butch Wilmore केवल आठ दिन के मिशन पर Boeing के Starliner स्पेसक्राफ्ट के जरिए ISS पर पहुंचे थे।
हालांकि, स्टारलाइनर में तकनीकी समस्या के कारण विलियम्स और विल्मोर की वापसी अगले वर्ष फरवरी तक टल गई है। ISS की कमान रूस के एस्ट्रोनॉट Oleg Kononenko ने विलियम्स को सौंपी है। Kononenko की जल्द धरती पर वापसी निर्धारित है। ISS के कमांडर के तौर पर विलियम्स विभिन्न प्रकार के कामकाज और रिसर्च की निगरानी करेंगी।
हाल ही में विलियम्स ने एक वीडियो प्रेस कॉन्फ्रेंस में धरती पर वापसी में हो रही देरी पर अपने विचार साझा किए थे। उन्होंने ISS को एक 'खुशगवार स्थान' बताया था। विलियम्स का कहना था कि उनके पिछले अनुभव के कारण अंतरिक्ष में जीवन को लेकर एडजस्टमेंट मुश्किल नहीं है। इस बारे में Wilmore ने कहा था कि स्टारलाइनर पर उनकी वापसी को लेकर सहमति नहीं थी। कुछ तकनीकी समस्याओं का समाधान नहीं होने के कारण उनका स्टे बढ़ गया है। Wilmore ने बताया था कि स्टारलाइनर के साथ सुरक्षा से जुड़ी आशंकाओं के मद्देनजर उनकी वर्तमान स्थिति बेहतर के लिए है।
विलियम्स ने यह माना कि ISS पर उनका स्टे बढ़ने से कुछ तनाव है लेकिन वह मिशन पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। इन दोनों एस्ट्रोनॉट्स ने अमेरिका में प्रेसिडेंट के लिए आगामी चुनाव में अंतरिक्ष से अपना वोट डालने की इच्छा भी जताई थी। इस चुनाव में Donald Trump और Kamala Harris के बीच मुकाबला है।
स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट को ISS तक पहुंचने में मुश्किलें हो रही थी। इनमें स्पेसक्राफ्ट से हीलियम का लीक भी एक समस्या थी। इस कारण से
NASA और Boeing ने इसे बिना एस्ट्रॉनॉट्स के धरती पर लाने का फैसला किया था। पिछले महीने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा था कि NASA के सामने आ रही ये चुनौतियां देश के Gaganyaan मिशन के लिए महत्वपूर्ण सीख होगी। ISRO के प्रमुख, S Somanath ने कहा था कि यह स्थिति गगनयान मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण सीख है। इस ह्युमन रेटेड रॉकेट की पहली टेस्ट फ्लाइट इस वर्ष के अंत में हो सकती है।