Chandrayaan-3 और
Aditya-L1 मिशन की कामयाबी के बाद भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) नए मिशनों की योजना बना रही है। उन्हीं में से एक हो सकता है Mangalyaan-2 (मंगलयान-2) मिशन। करीब 9 साल पहले 2014 में इसरो ने अपने पहले मार्स मिशन (ISRO Mars mission) को रवाना किया था। अब नए मकसदों के साथ मंगलयान-2 की तैयारी की जा रही है। मंगलयान-1 के जरिए इसरो के स्पेसक्राफ्ट ने मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया था। मंगलयान-2 इससे आगे के लक्ष्यों पर फोकस करेगा।
इसरो के नए मार्स मिशन को मार्स ऑर्बिटर मिशन-2 (Mars Orbiter Mission-2 (MOM-2) कहा जा सकता है। फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी की
रिपोर्ट के अनुसार, स्पेसक्राफ्ट में 4 पेलोड लगे होंगे। चारों को अलग-अलग भूमिका के लिए सिलेक्ट किया गया है। इनकी मदद से मंगल ग्रह के वायुमंडल, पर्यावरण और वहां की धूल को स्टडी किया जाएगा।
ये पेलोड होंगे MOM-2 मिशन का हिस्सा
जिन 4 पेलोड को मंगलयान-2 के साथ अटैच किए जाने की योजना है। उनमें मार्स ऑर्बिट डस्ट एक्सपेरिमेंट (MODEX), रेडियो ऑकल्टेशन (RO) एक्सपेरिमेंट, एनर्जेटिक आयन स्पेक्ट्रोमीटर (EIS) और लैंगमुइर प्रोब एंड इलेक्ट्रिक फील्ड एक्सपेरिमेंट (LPEX) शामिल हैं।
बात करें MODEX की, तो उसे मंगल ग्रह के ऊंचाई वाले इलाकों को टटोलने के लिए डिजाइन किया गया है। RO एक्सपेरिमेंट की मदद से मंगल ग्रह की इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का पता लगाया जाएगा। EIS का काम होगा सोलर एनर्जी पार्टिकल्स और सुपर थर्मल विंड पार्टिकल्स को स्टडी करना। वहीं, LPEX पेलोड के जरिए मंगल ग्रह के प्लाज्मा एनवायरनमेंट के बारे में गहराई से पता लगाया जाएगा।
मंगलयान-2 मिशन कब लॉन्च होगा, इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं बताया गया है। मिशन से जुड़ी कई चीजें अभी डेवलपमेंट के चरण में हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि अगले साल या 2025 तक मिशन मंगल के लिए भारत एक बार फिर उड़ान भर सकता है।