दुनिया भर में मौसम पर असर डालने में लाखों नदियों और झीलों का बड़ा योगदान होता है। वैज्ञानिकों को धरती पर पानी की ट्रैकिंग में मदद के लिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA का नया सैटेलाइट मदद करेगा। Surface Water and Ocean Topography Satellite (SWOT) को कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग फोर्स बेस से गुरुवार को लॉन्च किया जाएगा। इस सैटेलाइट की कॉस्ट लगभग 1.2 अरब डॉलर की है।
यह
NASA और फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर स्पेस स्टडीज का ज्वाइंट मिशन है। इससे पानी के ऐसे स्रोतों की निगरानी भी हो सकेगी जो मौजूदा तरीकों से ट्रैक नहीं किए जा सकते। SWOT से वैज्ञानिकों को दुनिया भर में पानी के मूवमेंट और गहराई को मापने में आसानी होगी। इस
मिशन से जुड़ी ओशनोग्राफर Rosemary Morrow ने बताया, "इससे स्थिति में बड़ा बदलाव होगा। यह कम दिखने पर चश्मा लगाने जैसा होगा जिससे स्थिति को स्पष्ट देखा जा सकेगा।" इस मिशन में शामिल हाइड्रोलॉजिस्ट Tamlin Pavelsky ने कहा कि धरती पर मौजूद लगभग 60 लाख झीलों और जलाश्यों में से केवल 10,000-20,000 का ही डेटा सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है। SWOT ने लगभग इन सभी झीलों और जलाश्यों को नियमित अंतराल पर मापा जाएगा।
पिछले वर्ष ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी में जियोग्राफर Sarah Cooley की अगुवाई वाली एक टीम ने लगभग 2.27 लाख झीलों के क्षेत्र और पानी के स्तर की सैटेलाइट मेजरमेंट्स को एकत्र किया था। हालांकि, यह डेटा 90 दिनों के बाद ही उपलब्ध होता है। यह डेटा भी SWOT को उपलब्ध कराया जाएगा।
SWOT से पहले ही नदियों की हाइड्रोलॉजी में आगे बढ़ने में मदद मिली है। रिसर्चर्स ने पानी के स्तर और गहराई को प्रवाह के अनुमानों में तब्दील करने के लिए नए तरीके विकसित किए हैं। इन तरीकों को मौजूदा सैटेलाइट डेटा के साथ जोड़ने पर वैज्ञानिकों ने ताजा पानी को नदियों के समुद्र में ले जाने की मात्रा का संशोधित अनुमान दिया है। SWOT से इस अनुमान में बदलाव हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि SWOT के सफल रहने पर हाइड्रोलॉजी को लेकर बड़े बदलाव हो सकते हैं। क्लाइमेट चेंज जैसी मुश्किलों से निपटने में भी इससे मदद मिल सकती है। SWOT से मिलने वाले डेटा और इमेजेज का इस्तेमाल पानी के स्तर पर नियंत्रण और इसे बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है।
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