अमेरिकी डिवाइसेज मेकर Apple की सप्लायर Foxconn ने केंद्र सरकार से प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के तहत अरबों रुपये की बकाया सब्सिडी की मांग की है। सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने के लिए 41,200 करोड़ रुपये से अधिक की स्कीम लॉन्च की थी। इसमें मैन्युफैक्चरर्स को सब्सिडी दी गई थी।
Bloomberg की
रिपोर्ट में इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इस स्कीम के कुछ हिस्से का एलोकेशन नहीं किया गया है। इसका कारण कुछ कंपनियों का मैन्युफैक्चरिंग के अनुमानित टारगेट को पूरा नहीं करना था। फॉक्सकॉन और कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर Dixon Technologies की दलील है कि इस स्कीम की शर्तों के अनुसार, वे एलोकेट नहीं किए गए फंड का कुछ हिस्सा हासिल करने के लिए पात्र हैं। अगर सरकार की ओर से यह फंड जारी किया जाता है तो फॉक्सकॉन को लगभग 6 अरब रुपये और Dixon Technologies को लगभग एक अरब रुपये मिल सकते हैं।
फॉक्सकॉन, Dixon Technologies और टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने इस बारे में जानकारी के लिए भेजे गए निवेदनों का उत्तर नहीं दिया है। इस स्कीम में भारतीय और इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के लिए
मैन्युफैक्चरिंग की वैल्यू पर आधारित सब्सिडी दी गई थी। हालांकि, इसमें मैन्युफैक्चरिंग के एक सीमित लेवल तक ही सब्सिडी दी जानी थी। सरकार ने Apple और Samsung जैसी कंपनियों को देश में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए काफी इंसेंटिव दिए हैं।
इस वर्ष देश का स्मार्टफोन मार्केट 50 अरब डॉलर (लगभग 4.2 लाख करोड़ रुपये) से ज्यादा का हो सकता है। इस मार्केट में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर छह प्रतिशत की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। भारतीय कस्टमर्स का रुख प्रीमियम स्मार्टफोन्स की ओर बढ़ रहा है। इससे वैल्यू के लिहाज से स्मार्टफोन मार्केट में बढ़ोतरी हो रही है। अमेरिकी डिवाइसेज मेकर एपल की मैन्युफेक्चरिंग में भारत की हिस्सेदारी भी लगातार बढ़ रही है। पिछले चार वर्षों में कंपनी ने देश में लगभग 1,75,000 रोजगार के अवसर बनाए हैं। देश में एपल के iPhone की मैन्युफैक्चरिंग मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के अप्रैल से अक्टूबर के बीच 10 अरब डॉलर (लगभग 84,000 करोड़ रुपये) पर पहुंच गई है। हालांकि, कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग में चीन की बड़ी हिस्सेदारी है। एपल की 10 अरब डॉलर की FoB मैन्युफैक्चरिंग में एकाउंट सेल्स, डिस्ट्रीब्यूशन, मार्केटिंग, लॉजिस्टिक्स और मार्जिन को शामिल होने पर यह वैल्यू लगभग 15 अरब डॉलर की होती है। इस कुल वैल्यू में आईफोन्स के एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी लगभग सात अरब डॉलर की है।
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