उपभोक्ता मामलों के मंत्री Pralhad Joshi ने बताया है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ मिली शिकायतों की डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स एक विस्तृत जांच करेगा
अगर कस्टमर्स को गलत चार्जेज से जुड़ी कोई शिकायत हो तो वे '1915' डायल कर इसकी रिपोर्ट कर सकते हैं
देश में पिछले कुछ वर्षों में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का बिजनेस तेजी से बढ़ा है। हालांकि, ई-कॉमर्स से जुड़ी कंपनियों पर गलत कारोबारी तरीकों का इस्तेमाल करने के आरोप भी लगते रहे हैं। इन कंपनियों की ओर से कैश-ऑन-डिलीवरी (COD) से जुड़े ऑर्डर्स पर कथित तौर पर हिडेन चार्जेज लगाने की डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स ने जांच शुरू की है। आमतौर पर, ये चार्ज ऑनलाइन रिटेल प्लेटफॉर्म्स पर चेकआउट प्रोसेस के दौरान लगाए जाते हैं।
उपभोक्ता मामलों के मंत्री Pralhad Joshi ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में बताया कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ मिली शिकायतों की डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स एक विस्तृत जांच करेगा। ये शिकायतें इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए दिए जाने वाले COD ऑर्डर्स से जुड़ी हैं। जोशी ने इसे एक 'डार्क पैटर्न' बताया जिससे उपभोक्ताओं को भ्रमित कर नुकसान किया जाता है। हालांकि, उन्होंने यह जानकारी नहीं दी कि किन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की जांच की जाएगी। उनकी X पर पोस्ट में एक अन्य यूजर (@sidnan_s) का हवाला दिया गया है जिसमें इस यूजर ने Flipkart पर चेकआउट स्क्रीन का एक पेमेंट हैंडलिंग स्क्रीनशॉट पोस्ट किया है। इस इमेज में एक परचेज पर तीन फीस दिख रही हैं। इनमें ऑफर हैंडलिंग फीस, पेमेंट हैंडलिंग फीस और प्रोटेक्ट प्रॉमिस फीस शामिल हैं।
बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में शामिल Amazon भी कस्टमर्स की खरीदारी में एक फीस को शामिल करती है। एमेजॉन के सपोर्ट पेज पर बताया गया है कि यह सभी कस्टमर्स से 'एमेजॉन मार्केटप्लेस फीस' के तौर पर 5 रुपये लेती है। इसमें एमेजॉन प्राइम सब्सक्रिप्शन रखने वाले कस्टमर्स भी शामिल हैं। ई-कॉमर्स कंपनियों की जांच करने का फैसला यह संकेत दे रहा है कि इनके जरिए खरीदारी करने पर कस्टमर्स को जल्द ही अधिक पारदर्शिता दिख सकती है। अगर कस्टमर्स को गलत चार्जेज से जुड़ी कोई शिकायत हो तो वे '1915' डायल कर नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर इसकी रिपोर्ट कर सकते हैं।
क्विक-कॉमर्स से जुड़ी कंपनियां Swiggy और Zomato भी पेमेंट की शुरुआत से पहले विभिन्न चार्जेज लगाती हैं। ये चार्ज इन ऐप्स के प्रीमियम सब्सक्रिप्शन लेने वाले कस्टमर्स को भी चुकाने होते हैं। डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स ने बताया है कि नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन को 21 सितंबर से विभिन्न कंपनियों के खिलााफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) के रेट में कटौती से जुड़ी 3,981 शिकायतें मिली हैं। GST के रेट में कम के बाद अपने प्रोडक्ट्स का मैक्सिमम रिटेल प्राइस (MRP) नहीं घटाने वाली कंपनियों के खिलाफ डिपार्टमेटं कार्रवाई कर रहा है।
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