सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि OTT प्लेटफॉर्म्स पर दिखाई जाने वाली वेब सीरीज की प्री-सेंसरशिप की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने वेब सीरीज मिर्जापुर 2 के रिलीज को रोकने या बैन लगाने से इनकार कर दिया था। यह वेब सीरीज अगले सप्ताह रिलीज होनी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर बैन लगाने की मांग से जुड़ी याचिका खारिज पिछले सप्ताह खारिज कर दी थी। याचिका में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर सीधे रिलीज होने वाली वेब सीरीज, फिल्मों या अन्य प्रोग्राम के लिए सरकार को एक प्री-स्क्रीनिंग कमेटी बनाने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी।
चीफ जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने मिर्जापुर 2 पर बैन लगाने से मना कर दिया।
OTT प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज होने वाली वेब सीरीज और फिल्मों के लिए प्री-स्क्रीनिंग कमेटी बनाने की मांग पर चीफ जस्टिस ललित ने कहा, "इस कोर्ट का हमेशा यह रवैया रहा है कि प्री-सेंसरशिप की अनुमति नहीं दी जा सकती। वेब सीरीज के लिए एक प्री-स्कीनिंग कमेटी कैसे बनाई जा सकती है? फिल्मों के लिए एक विशेष कानून सिनेमाटोग्राफ एक्ट है। इसके तहत अथॉरिटीज प्रिव्यू सेंसरशिप करती हैं, जिसमें सेंसरशिप सर्टिफिकेट दिया जाता है। आपकी याचिका अलग होनी चाहिए थी।"
उनका कहना था कि OTT प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित होने वाले कंटेंट की प्री-स्क्रीनिंग से जुड़े कई मुद्दे हैं जिन पर विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामलों में प्रसारण अन्य देशों से होता है, दर्शक चाहे भारत में हों। अधिकतर सैटेलाइट्स इस देश में बेस्ड नहीं हैं। इस बारे में याचिका कुछ विस्तार से होनी चाहिए। प्रसारण के बाद किसी व्यक्ति को शिकायत होना अलग मुद्दा है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इस वेब सीरीज के पिछले भाग में मिर्जापुर शहर को खराब जगह की तरह चित्रित करने की शिकायत करने वाली एक याचिका पर वेब सीरीज मिर्जापुर और एमेजॉन प्राइम वीडियो के निर्माताओं को
नोटिस जारी किया था।
याचिका में कहा गया था कि वेब सीरीज में निर्माताओं ने मिर्जापुर को गुंडों और व्यभिचारियों के शहर के रूप में दिखाया है। इससे उत्तर प्रदेश में मौजूद मिर्जापुर की छवि खराब होती है। याचिका में कहा गया था कि वेब सीरीज में निर्माताओं ने मिर्जापुर को गुंडों और व्यभिचारियों के शहर के रूप में दिखाया है और इस तरह के प्रदर्शन से मिर्जापुर शहर की छवि खराब होती है।