बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल ( EV) कंपनियों में शामिल Tesla ने भारत में बिजनेस शुरू करने की तैयारी की है। देश में EV की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार नई पॉलिसी पर कार्य कर रही है। पिछले वर्ष मार्च में सरकार ने विशेष शर्तों के साथ EV के इम्पोर्ट पर कस्टम ड्यूटी को घटाकर 15 प्रतिशत की थी।
एक मीडिया
रिपोर्ट के अनुसार, नई EV पॉलिसी में कार मेकर्स के लिए कारोबार शुरू करने के दूसरे वर्ष के अंदर टर्नओवर को 2,500 करोड़ रुपये करने की जरूरत हो सकती है। इसके साथ ही सरकार इम्पोर्ट ड्यूटी में और कमी कर सकती है। पिछले वर्ष पेश की गई पॉलिसी में मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने के लिए न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट करने की जरूरत थी। इसमें मैन्युफैक्चरिंग को तीन वर्षों के अंदर शरू किया जाना था। नई EV पॉलिसी की घोषणा मार्च के मध्य में की जा सकती है। इसके लिए मिले आवेदनों को अगले कुछ महीनों में मंजूरी दी जा सकती है।
बिलिनेयर Elon Musk की अगुवाई वाली
टेस्ला भारत में इम्पोर्ट के लिए शुरुआत में जर्मनी के बर्लिन में अपनी गीगाफैक्टरी पर निर्भर कर सकती है। इसके बाद कंपनी देश में मैन्युफैक्चरिंग शुरू करेगी। पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री Narendra Modi ने अमेरिका के दौरे के दौरान मस्क के साथ भी मीटिंग की थी। हाल ही में Bloomberg की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि टेस्ला की योजना शुरुआत में दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री करने की है। हालांकि, यह पता नहीं चला है कि देश में टेस्ला के कौन से मॉडल लाए जाएंगे। कंपनी के पास अमेरिका, चीन और जर्मनी में फैक्टरियां हैं। अमेरिका के साथ ट्रेड डील के हिस्से के तौर पर भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के इम्पोर्ट पर टैरिफ को घटाया जा सकता है। इसमें कम टैरिफ पर 8,000 व्हीकल्स के इम्पोर्ट की लिमिट को बढ़ाकर लगभग 50,000 यूनिट्स करना शामिल हो सकता है।
टेस्ला के लिए अमेरिका और चीन बड़े मार्केट्स हैं। हालांकि, कंपनी को चाइनीज EV मेकर BYD से कड़ी टक्कर मिल रही है। हाल ही में भारत में इस अमेरिकी कंपनी ने कुछ जॉब्स के लिए उम्मीदवारों से आवेदन भी मांगे थे। इनमें ऐडवर्टाइजिंग और कस्टमर सर्विस से जुड़ी जॉब्स शामिल हैं। टेस्ला ने दिल्ली और मुंबई में जॉब्स के लिए आवेदन मांगे हैं। पिछले कुछ वर्षों से केंद्र सरकार और टेस्ला के बीच बातचीत के कुछ दौर हुए हैं।