क्रिप्टो से RBI को फाइनेंशियल सिस्टम के कमजोर होने की आशंका

पूर्व वित्त मंत्री जयंत सिन्हा की अगुवाई वाली संसद की स्थायी समिति के साथ मीटिंग में RBI के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी दी है

क्रिप्टो से RBI को फाइनेंशियल सिस्टम के कमजोर होने की आशंका

क्रिप्टोकरेंसीज का इस्तेमाल गैर कानूनी गतिविधियों में भी होने की आशंका है

ख़ास बातें
  • इसका बैंकिंग सिस्टम पर भी नकारात्मक असर होगा
  • इससे फाइनेंशियल सिस्टम की स्थिरता को बड़ा खतरा हो सकता है
  • इस वर्ष बजट में सरकार ने क्रिप्टो के लिए टैक्स की पॉलिसी घोषित की थी
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क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एक बार फिर आशंका जताई है। RBI का मानना है कि इससे मॉनेटरी पॉलिसी को तय करने और मॉनेटरी सिस्टम को रेगुलेट करने की उसकी क्षमता पर असर पड़ सकता है। पूर्व वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा की अगुवाई वाली संसद की स्थायी समिति के साथ मीटिंग में RBI के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। 

इस मीटिंग में RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास भी शामिल थे। RBI के अधिकारियों का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसीज एक्सचेंज का एक बड़ा माध्यम बन सकती हैं और ये देश और विदेश में होने वाली फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस में करेंसी की जगह ले सकती हैं। इससे सिस्टम में फंड के फ्लो को रेगुलेट करने के लिए RBI की क्षमता भी कमजोर हो सकती है। इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसीज का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए फाइनेंसिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और नशीले पदार्थों की तस्करी में भी होने की आशंका है। इससे देश के फाइनेंशियल सिस्टम की स्थिरता को बड़ा खतरा हो सकता है। 

समिति के सदस्यों को अधिकारियों ने बताया, "लगभग सभी क्रिप्टोकरेंसीज का डिनॉमिनेशन डॉलर में होता है और इन्हें विदेशी प्राइवेट एंटिटीज जारी करती है। इससे देश की इकोनॉमी के एक हिस्से पर डॉलर का दबदबा हो सकता है जो देश के हित के खिलाफ होगा।" अधिकारियों ने कहा कि इसका बैंकिंग सिस्टम पर भी नकारात्मक असर होगा क्योंकि ये आकर्षक एसेट्स हैं और लोग अपनी बचत का क्रिप्टोकरेंसीज में निवेश कर सकते हैं जिसके परिणाम में बैंकों के पास कर्ज देने के लिए रिसोर्सेज कम हो सकते हैं। 

इस वर्ष के बजट में सरकार ने क्रिप्टो इंडस्ट्री के लिए टैक्स से जुड़ी पॉलिसी की घोषणा की थी। इसके तहत डिजिटल एसेट्स पर 30 प्रतिशत कैपिटल गेन्स टैक्स और इनके ट्रांसफर पर 1 प्रतिशत TDS लगाया गया है। इससे क्रिप्टो एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग वॉल्यूम बहुत कम हो गई है। क्रिप्टो इनवेस्टर्स को प्रॉफिट पर 30 प्रतिशत टैक्स, 1 प्रतिशत TDS और 28 प्रतिशत के संभावित GST के अलावा एक्सचेंज की फीस और अतिरिक्त सेस और सरचार्ज को भी जोड़ना होगा। इससे क्रिप्टो में इनवेस्टमेंट करना बहुत महंगा हो जाएगा। इसका असर क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस पर भी पड़ेगा। टैक्स अथॉरिटीज क्रिप्टो एक्टिविटीज को उन सर्विसेज की कैटेगरी में रखने की योजना बना रही हैं जिन पर सबसे अधिक 28 प्रतिशत का गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लगता है। 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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