अमेरिका में दूसरी बार प्रेसिडेंट बनने के बाद Donald Trump के पहले संबोधन में क्रिप्टो का कोई जिक्र नहीं था। इससे Bitcoin में बड़ी गिरावट हई है। बिटकॉइन ने सोमवार को ट्रंप के शपथ लेने से पहले 1,09,200 डॉलर से अधिक का नया हाई लेवल बनाया था। बहुत सी अन्य क्रिप्टोकरेंसीज के प्राइस में भी मंगलवार को काफी गिरावट थी।
बिटकॉइन का
प्राइस इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने पर लगभग 5.60 प्रतिशत घटकर 1,02,400 से कुछ अधिक पर ट्रेड कर रहा था। दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Ether में 3.60 प्रतिशत से अधिक की गिरावट थी। इसका प्राइस लगभग 3,264 डॉलर पर था। गिरावट वाली अन्य क्रिप्टोकरेंसीज में Solana, Polkadot, Ripple, Tether, Chainlink और Tron शामिल थे। पिछले एक दिन में क्रिप्टो का मार्केट कैपिटलाइजेशन एक प्रतिशत से अधिक घटकर लगभग 3.50 लाख करोड़ डॉलर पर था।
मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि ट्रंप के कार्यभार संभालने की शुरुआत में क्रिप्टोकरेंसीज के बारे में कोई जानकारी नहीं देने से इस मार्केट को झटका लगा है। ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दोरान
बिटकॉइन का रिजर्व बनाने का संकेत दिया था। इससे बिटकॉइन के प्राइस में काफी तेजी आई थी। इस सेगमेंट में इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ रही है। बिटकॉइन की सबसे अधिक होल्डिंग रखने वाली सॉफ्टवेयर मेकर MicroStrategy इस सबसे अधिक वैल्यू वाली क्रिप्टोकरेंसी की खरीदारी बढ़ा सकती है। पिछले कुछ सप्ताह से अमेरिकी कंपनी माइक्रोस्ट्रैटेजी लगातार इस सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी की खरीदारी कर रही है। इस कंपनी के को-फाउंडर, Michael Saylor ने बिटकॉइन की होल्डिंग बढ़ाने का संकेत दिया है।
हाल ही में माइक्रोस्ट्रैटेजी ने लगभग 2,530 बिटकॉइन को लगभग 24.3 करोड़ डॉलर में खरीदा था। इस कंपनी के पास लगभग 4,50,000 बिटकॉइन हैं। इस इनवेस्टमेंट पर माइक्रोस्ट्रैटेजी को काफी प्रॉफिट मिला है। यह कंपनी अपने ऑथराइज्ड A क्लास कॉमन स्टॉक को लगभग 33 करोड़ शेयर्स से बढ़ाकर 10 अरब से अधिक शेयर्स करने की योजना बना रही है। इस योजना को 21 जनवरी को माइक्रोस्ट्रैटेजी के शेयरहोल्डर्स की मीटिंग में वोटिंग के लिए पेश किया जा सकता है। हालांकि, शेयर्स की वोटिंग में Saylor की हिस्सेदारी लगभग 47 प्रतिशत की है। इस सॉफ्टवेयर कंपनी के शेयर्स में इस बढ़ोतरी से इसके आउटस्टैंडिंग शेयर्स की कुल संख्या ई-कॉमर्स और टेक्नोलॉजी से जुड़ी Amazon और इंटरनेट सर्च इंजन Google को ऑपरेट करने वाली अमेरिकी कंपनी Alphabet के निकट हो जाएगी।