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WhatsApp, Google Meet की फ्री कॉल के मजे जल्द होंगे खत्म! जानें क्या है पूरा मामला?

सरकार ने अभी तक ओटीटी सर्विस प्रोवाइडर को विनियमित करने की योजना की आधिकारिक घोषणा नहीं की है।

WhatsApp, Google Meet की फ्री कॉल के मजे जल्द होंगे खत्म! जानें क्या है पूरा मामला?

WhatsApp, Facebook Messenger, Google Meet आदि यूजर्स को फ्री इंटरनेट कॉल की सुविधा देते हैं

ख़ास बातें
  • TRAI ने पहले कहा था कि OTT सर्विस को विनियमित करने की कोई आवश्यकता नहीं
  • DOT ने पिछले हफ्ते TRAI से नई सिफारिशें मांगीं थी
  • सरकार ने अभी तक ओटीटी सर्विस प्रोवाइडर के नियमितीकरण की घोषणा नहीं की है
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दूरसंचार विभाग (DoT) ने कथित तौर पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) से इंटरनेट मैसेजिंग और वॉयस कॉलिंग एप्लिकेशन के नियमन के लिए एक रूपरेखा तैयार करने पर उसके विचार मांगे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, यह नियम Meta के स्वामित्व वाले WhatsApp, Signal, Google Meet और इनके जैसे अन्य ऐप और सर्विस जैसे ओवर-द-टॉप (OTT) सर्विस प्रोवाइडर्स पर लागू किया जा सकता है। भारत में टेलीकॉम ऑपरेटरों ने कई वर्षों से ट्राई से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि टेलीकॉम के लिए उसके नियम इन सर्विस पर भी लागू हों जो समान कॉलिंग और मैसेजिंग सुविधाएं देते हैं।

समाचार एजेंसी PTI द्वारा एक अनाम सरकारी कार्यकर्ता का हवाला देते हुए बताया गया कि इंटरनेट टेलीफोनी पर ट्राई की पिछली सिफारिशों को DOT द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था, जिसके बाद इंटरनेट टेलीफोनी और ओटीटी सर्विस प्रोवाइडर्स पर व्यापक संदर्भ मांगा गया, जो यूजर्स को कॉल करने और इंटरनेट पर मैसेज भेजने की अनुमति देते हैं।

TRAI ने पहले कहा था कि OTT सर्विस को विनियमित करने की कोई आवश्यकता नहीं है, और DOT ने पिछले हफ्ते नई टेक्नोलॉजी के साथ बदलते परिवेश के चलते ट्राई से नई सिफारिशें मांगीं। उस समय, ट्राई ने सिफारिश की थी कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISP) फोन नेटवर्क पर कॉल करने के लिए इंटरनेट टेलीफोनी प्रदान कर सकते हैं, अगर उन्होंने रिपोर्ट के अनुसार इंटरकनेक्शन फीस का भुगतान किया और वैध इंटरसेप्शन एक्वपमेंट स्थापित किया।

सरकार ने अभी तक ओटीटी सर्विस प्रोवाइडर को विनियमित करने की योजना की आधिकारिक घोषणा नहीं की है।

गौरतलब है कि देश में ओटीटी प्लेयर्स के रेगुलेशन को लेकर ट्राई कई सालों से टेलीकॉम ऑपरेटरों के दबाव का सामना कर रहा है। दूरसंचार कंपनियों ने तर्क दिया है कि इन सर्विस को लाइसेंस फीस का भुगतान करना चाहिए और वैध इंटरसेप्शन और सर्विस क्वालिटी से संबंधित समान नियमों के अधीन होना चाहिए।

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