ऐप के जरिए बाइक टैक्सी की सर्विस देने वाली Uber और Rapido को सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को बड़ा झटका लगा। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस ऑर्डर पर रोक लगा दी है जिसमें इन बाइक टैक्सी ऑपरेटर्स को दिल्ली में सर्विस जारी रखने की अनुमति दी थी। हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नई पॉलिसी बनने तक इन फर्मों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था।
जस्टिस Aniruddha Bose और Rajesh Bindal की वैकेशन बेंच ने इन दोनों फर्मों को दिल्ली हाई कोर्ट से उनकी याचिका पर तुरंत सुनवाई करने का निवेदन करने की छूट दी है। इस बेंच ने हाई कोर्ट के 26 मई के
ऑर्डर पर रोक लगाई है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार के वकील की जुलाई के अंत से पहले अंतिम पॉलिसी की अधिसूचना देने की जानकारी को रिकॉर्ड किया है। सुप्रीम कोर्ट में दो अलग याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी। ये याचिकाएं दिल्ली में आप आदमी पार्टी की सरकार के 26 मई के हाई कोर्ट के ऑर्डर को चुनौती देने वाली थी। पिछले सप्ताह कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बारे में जवाब मांगा था।
दिल्ली सरकार ने पिछले महीने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर स्कीम को स्वीकृति दी थी। इसमें राजधानी में कैब एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सर्विस प्रोवाइडर्स को रेगुलेट किया गया था। इस स्कीम में टैक्सी में इमरजेंसी बटन होना, इमरजेंसी नंबर '112' के साथ इंटीग्रेशन और फेज के अनुसार इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) पर शिफ्ट होना शामिल था। मोटर व्हीकल एग्रीगेटर स्कीम ऐसी एंटीटीज, किसी व्यक्ति पर लागू होगी जो पैसेंजर्स को ले जाने या किसी सेलर, ई-कॉमर्स फर्म या कंसाइनर के एक प्रोडक्ट, कूरियर, पैकेज या पार्सल की डिलीवरी के लिए इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल या किसी अन्य तरीके से एक ड्राइवर के साथ कनेट होते हैं।
इस वर्ष की शुरुआत में
Rapido ने महाराष्ट्र में सर्विस बंद करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। महाराष्ट्र में Rapido के पास बाइक टैक्सी या ऑटोरिक्शा की सर्विस देने के लिए लाइसेंस नहीं था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने Rapido को ऑपरेट करने वाली Roppen Transportation Services को महाराष्ट्र में तुरंत सर्विसेज बंद करने के लिए कहा था क्योंकि फर्म को राज्य सरकार से लाइसेंस नहीं मिला था।
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